मैंडस चक्रवात | 07 Dec 2022
प्रिलिम्स के लिये:मैंडस चक्रवात, चक्रवात के प्रकार, चक्रवात का नामकरण मेन्स के लिये:चक्रवात के प्रकार, चक्रवात का नामकरण |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में यह बताया गया है कि मैंडस चक्रवात तमिलनाडु और पुद्दुचेरी के तटों को 8 दिसंबर, 2022 से प्रभावित कर सकता है।
मैंडस चक्रवात
- मैंडस धीमी गति से चलने वाला चक्रवात है जो अक्सर बहुत अधिक नमी को अवशोषित करता है, भारी मात्रा में वर्षा करता है एवं यह वायु की गति से शक्ति प्राप्त करता है।
- इसका नामकरण संयुक्त अरब अमीरात द्वारा किया गया है।
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department’s- IMD) ने भविष्यवाणी की है कि तूफान प्रणाली पश्चिम और उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर आगे बढ़ सकती है एवं 6 दिसंबर की शाम तक एक गर्त में बदल सकती है।
- यह बाद में बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिम में चक्रवात के रूप में अधिक मज़बूत हो सकता है और 8 दिसंबर की सुबह तक तमिलनाडु तथा पुद्दुचेरी के तटों की ओर बढ़ सकता है।
चक्रवात:
- चक्रवात एक कम दबाव वाला क्षेत्र होता है जिसके आस-पास तेज़ी से इसके केंद्र की ओर वायु परिसंचरण होते हैं। उत्तरी गोलार्द्ध में हवा की दिशा वामावर्त तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त होती है।
- आमतौर पर चक्रवात विनाशकारी तूफान और खराब मौसम के साथ उत्पन्न होते हैं।
- साइक्लोन शब्द ग्रीक शब्द साइक्लोस से लिया गया है जिसका अर्थ है साँप की कुंडलियांँ (Coils of a Snake)। यह शब्द हेनरी पेडिंगटन (Henry Peddington) द्वारा दिया गया था क्योंकि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उठने वाले उष्णकटिबंधीय तूफान समुद्र के कुंडलित नागों की तरह दिखाई देते हैं।
- चक्रवात दो प्रकार के होते हैं:
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात
- अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात: इन्हें शीतोष्ण चक्रवात या मध्य अक्षांश चक्रवात या वताग्री चक्रवात या लहर चक्रवात भी कहा जाता है।
- विश्व मौसम विज्ञान संगठन 'उष्णकटिबंधीय चक्रवात' शब्द का उपयोग मौसम प्रणालियों को कवर करने के लिये करता है जिसमें पवनें 'गैल फोर्स' (न्यूनतम 63 किमी प्रति घंटे) से अधिक होती हैं।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात मकर और कर्क रेखा के बीच के क्षेत्र में उत्पन्न होते हैं।
- यह उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय जल पर विकसित होने वाली वृहत मौसम प्रणाली हैं, जहाँ वे सतही हवा परिसंचरण में व्यवस्थित हो जाते हैं।
- अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात समशीतोष्ण क्षेत्रों और उच्च अक्षांश क्षेत्रों में उत्पन्न होते हैं, हालाँकि वे ध्रुवीय क्षेत्रों में उत्पत्ति के कारण जाने जाते हैं।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात मकर और कर्क रेखा के बीच के क्षेत्र में उत्पन्न होते हैं।
चक्रवात का नामकरण:
- विश्व भर में हर महासागर बेसिन में बनने वाले चक्रवातों को उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्र (Tropical Cyclone Warning Centres TCWCs) और क्षेत्रीय विशेष मौसम विज्ञान केंद्र (regional specialised meteorological centres – RSMC) द्वारा नामित किया जाता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग और पाँच TCWCs सहित दुनिया में छह क्षेत्रीय विशेष मौसम विज्ञान केंद्र हैं।
- वर्ष 2000 में संगठित हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देश (बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्याँमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका तथा थाईलैंड) एक साथ मिलकर आने वाले चक्रवातों के नाम तय करते हैं। जैसे ही चक्रवात इन आठों देशों के किसी भी हिस्से में पहुँचता है, सूची से अगला या दूसरा सुलभ नाम इस चक्रवात का रख दिया जाता है।
- WMO/ESCAP का विस्तार करते हुए वर्ष 2018 में पाँच और देशों, ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन को शामिल किया गया।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. उष्णकटिबंधीय अक्षांशों में दक्षिण अटलांटिक और दक्षिण-पूर्वी प्रशांत क्षेत्रों में चक्रवात की उत्पत्ति नहीं होती है। क्या कारण है? (2015) (a) समुद्र की सतह का तापमान कम है उत्तर: (b)
अतः विकल्प (b) सही है। मेन्स:प्रश्न. हाल ही में भारत के पूर्वी तट पर आए चक्रवात को “फैलिन” कहा गया था, दुनिया भर में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम कैसे रखे जाते हैं? विस्तार में बताइये। (2013) प्रश्न. भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा चक्रवात संभावित क्षेत्रों के लिये रंग-कोडित मौसम चेतावनियों के अर्थ पर चर्चा कीजिये। (2022) |