जैव विविधता और पर्यावरण
चक्रवात फणी के कारण चिल्का झील में चार नए मुहाने
- 11 May 2019
- 2 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के पूर्वी तट पर आए 'चक्रवात फणी’ के कारण चिल्का झील में चार नए मुहाने बन गए हैं।
प्रमुख बिंदु
- ओडिशा तट पर चक्रवात फणी के टकराने से पहले चिल्का झील के केवल दो मुहाने सक्रिय थे, ये ऐसे बिंदु होते हैं जहाँ झील समुद्र से मिलती है। लेकिन, अब उच्च ज्वारीय प्रिज्म युक्त तरंग ऊर्जा के कारण चार नए मुहाने खुल गए हैं।
- इन नए मुहानों के खुलने के कारण बहुत अधिक मात्रा में समुद्री जल चिल्का झील में प्रवेश कर रहा है, जिससे चिल्का लैगून की लवणता में वृद्धि होती जा रही है।
- चिल्का झील के जल में खारापन है, लेकिन एक निश्चित स्तर से अधिक लवणता होने पर इस झील के पारिस्थितिकी तंत्र में परिवर्तन की संभावना है।
- यदि समुद्री जल झील में प्रवेश करता है तो इससे मछलियों के प्रवासन में बढ़ोतरी होगी, जिससे जैव-विविधता समृद्ध होगी। लेकिन, इसके दीर्घकालिक प्रभावों के संबंध में विशेष रूप से सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
चिल्का झील
- ओडिशा की चिल्का झील भारत की सबसे बड़ी एवं विश्व की दूसरी सबसे बड़ी समुद्री झील है।
- यह एक अनूप झील है, अर्थात् यह समुद्र का ही एक भाग है जो महानदी द्वारा निक्षेपित गाद के जमाव के कारण समुद्र से छिटक कर एक छिछली झील के रूप में विकसित हो गई है।
- यह खारे पानी की एक लैगून है, जो भारत के पूर्वी तट पर ओडिशा राज्य के पुरी, खुर्दा और गंजम ज़िलों में विस्तारित है।
- यह भारत की सबसे बड़ी तटीय लैगून है।
- यह झील रामसर अभिसमय के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की 'आर्द्रभूमि' के रूप में नामित है।