लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

साइबर सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा

  • 21 Jun 2022
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

साइबर सुरक्षा, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र, CERT-In 

मेन्स के लिये:

साइबर सुरक्षा खतरा, साइबर सुरक्षा के लिये सरकार की पहल 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में ‘साइबर सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन’ नई दिल्ली में संपन्न हुआ। 

  • यह सम्मेलन देश में साइबर अपराधों की रोकथाम के लिये व्यापक जागरूकता पैदा करने के प्रयासों का हिस्सा है। 
  • यह भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में भारत की प्रगति और उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिये आजादी का अमृत महोत्सव का भी हिस्सा है। 

साइबर सुरक्षा 

  • परिचय: 
    • साइबरस्पेस नेटवर्क, संबंधित हार्डवेयर और डिवाइस सॉफ्टवेयर और उनमें शामिल और संचार करने वाली जानकारी, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरों सहित सभी खतरों से संबंधित सॉफ्टवेयर और डेटा शामिल हैं, की सुरक्षा के लिये गतिविधि और अन्य उपाय किये जाते हैं। 
  • राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ संबंध: 
    • चूँकि भारत के खिलाफ साइबर हमले शुरू करने के लिये साइबर आर्मीज़ का गठन किया गया है, साइबर सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा से निकटता से जुड़ी हुई है। 
      • साइबर आर्मीज़ साइबर कौशल के साथ सूचना प्रौद्योगिकी में अत्यधिक कुशल व्यक्तियों का एक समूह है। 

 भारत के साइबर सुरक्षा खतरे से बचने के उपाय: 

  • डिजिटल इंडिया विज़न:  
    • भारत डिजिटल प्रौद्योगिकियों के लिये सबसे तेज़ी से बढ़ते बाज़ारों में से एक है, जो अपने डिजिटल इंडिया मिशन को साकार करने की दिशा में सरकार के प्रयासों को बढ़ावा दे रहा है। 
      • चाहे ब्रॉडबैंड हाईवे बनाना हो या डिजी लॉकर जैसी सेवाएँ शुरू करनी हों और जन धन योजना जैसी ई-गवर्नेंस योजनाएँ, सरकार ने जितना संभव हो उतना डिजिटल अपनाने पर ज़ोर दिया है। 
  • प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत पिछले 8 वर्षों में 45 करोड़ नए खाते खोले गए हैं और 32 करोड़ रुपे डेबिट कार्ड वितरित किये गए हैं। 
    • भारतनेट भी बहुत तेजी से विकसित हो रहा है इसके तहत 5.75 लाख किमी. फाइबर केबल बिछाई गई है। इसने पिछले 8 वर्षों में 1.80 लाख गांँवों को जोड़ने का काम किया गया है जो 8 साल पहले 10,000 से भी कम था।
  • डिजिटल गतिविधियों का बढ़ता दायरा: 
    • भारत में अब 1.15 बिलियन से अधिक फोन और 700 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्त्ता हैं जो भारत को से डिजिटल रूप से मज़बूत पूल प्रदान करता है। 
      • जनवरी 2020 में भारत में 550 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं के साथ दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट उपयोगकर्त्ता आधार था। 
      • वर्ष 2021 में कुल वैश्विक डिजिटल भुगतान का 40 प्रतिशत भारत में हुआ। 
      • डिजिटल समावेशन से साइबर हमलों और अपराधों के लिये अग्रणी डिजिटल खतरों की संभावना बढ़ जाती है। 

ाइबर अपराध को पारंपरिक आपराधिक गतिविधि से भिन्न करने वाले कारक: 

  • साइबर अपराध, जिसे कंप्यूटर अपराध भी कहा जाता है, कंप्यूटर का उपयोग एक उपकरण के रूप में अवैध उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जैसे धोखाधड़ी करना, चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी में तस्करी और बौद्धिक संपदा की चोरी करना या गोपनीयता का उल्लंघन करना। 
    • अधिकांश साइबर अपराध व्यक्तियों, निगमों या सरकारों के बारे में जानकारी पर हमला है। 
    • हालांँकि हमले पारंपरिक आपराधिक गतिविधि के रूप में भौतिक शरीर पर नहीं होते हैं, वे व्यक्तिगत या कॉर्पोरेट आभासी निकाय पर होते हैं, जो सूचनात्मक विशेषताओं का समूह है जो इंटरनेट पर लोगों और संस्थानों को परिभाषित करता है।

साइबर सुरक्षा के समक्ष चुनौतियाँ: 

  • सेवा प्रदाता:  
    • लगभग हर क्षेत्र में डिजिटलीकरण की ओर बढ़ने से एप्लीकेशन सेवा प्रदाताओं के साथ सहयोग में वृद्धि हुई है जो ग्राहकों को कम से कम समय में सर्वोत्तम ऐप्स और सेवाएंँ प्रदान करने से संबंधित है। 
    • हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर विदेशी मूल के होने या डेटा के टेराबाइट्स जो भारत के बाहर सर्वर पर रखे जाते हैं, राष्ट्रीय साइबर स्पेस के लिये संभावित खतरा पैदा करते हैं। 
  • व्यापक कवरेज: 
    • भारत में अब 700 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्त्ता हैं और यह इसे डिजिटल रूप से संवेदनशील लक्ष्यों का एक बड़ा केंद्र बनाता है। हमारे देश के आकार और विस्तार को ध्यान में रखते हुए, यह डिजिटल खतरों की निगरानी करने के लिये चुनौती के रूप में कार्य करता है। 

साइबर सुरक्षा हेतु वर्तमान सरकार की पहल: 

  • साइबर क्राइम पोर्टल: 
    • इसका उद्देश्य नागरिकों को बाल पोर्नोग्राफी/बाल यौन शोषण सामग्री या यौन स्पष्ट सामग्री जैसे बलात्कार/सामूहिक बलात्कार (CP/RGR) से संबंधित ऑनलाइन सामग्री की रिपोर्ट करने में सक्षम बनाना है। 
  • भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C): 
    • गृह मंत्रालय के I4C और CIS डिवीजन के तहत सात स्तंभों के माध्यम से साइबर अपराधों की रोकथाम को नियंत्रित किया जा रहा है - 
    • राष्ट्रीय साइबर अपराध खतरा विश्लेषण इकाई 
    • राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल 
    • राष्ट्रीय साइबर अपराध प्रशिक्षण केंद्र 
    • राष्ट्रीय साइबर अपराध अनुसंधान और नवाचार केंद्र 
    • संयुक्त साइबर अपराध समन्वय 
    • राष्ट्रीय साइबर अपराध पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन इकाई 
    • राष्ट्रीय साइबर अपराध फोरेंसिक प्रयोगशाला 
  • सर्ट-इन (CERT-In) 
    • साइबर सुरक्षा के लिये भारत की राष्ट्रीय एजेंसी, द इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERT-IN) ने देश की साइबर सुरक्षा से निपटने में प्रगति के साथ सरकारी नेटवर्क पर साइबर हमलों में कमी की है। 
  • साइबर सुरक्षित भारत: 
    • यह इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) की एक पहल है जिसका उद्देश्य भारत में एक मज़बूत साइबर सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है। यह 'डिजिटल इंडिया' के लिये सरकार के विज़न के अनुरूप है। राष्ट्रीय ई-गवर्नमेंट डिवीजन (NeGD) ने इस कार्यक्रम को प्रायोजित किया। 
  • साइबर स्वच्छता केंद्र: 
    • यह इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तहत एक स्थापना है, जिसका उद्देश्य बॉटनेट संक्रमणों का पता लगाकर भारतीय उपयोग कर्त्ताओं के लिये सुरक्षित साइबर स्पेस बनाना है और अंतिम उपयोगकर्त्ताओं को अपने सिस्टम को साफ करने और उसके बाद आगे के संक्रमणों को रोकने के लिये अपने सिस्टम को सुरक्षित करने में सक्षम बनाना है। 
  • व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक:  
    • दुनिया भर में डेटा उल्लंघनों ने भारतीय नागरिकों के लिये व्यक्तिगत सुरक्षा हेतु खतरा पैदा किया, स्थानीय डेटा पर ध्यान केंद्रित करते हुए, PDP विधेयक को वैश्विक उल्लंघनों से बचाने के लिये केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया था। 

आगे की राह 

साइबर-सुरक्षित राष्ट्र के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये, भारत को एक मजबूत साइबर सुरक्षा रणनीति की आवश्यकता होगी जो सरकारी प्रणालियों, नागरिकों और व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा करे। यह न केवल नागरिकों को साइबर खतरों से बचाने में मदद करेगा, बल्कि अर्थव्यवस्था में निवेशकों का विश्वास भी बढ़ाएगा।

  • विश्वविद्यालय और स्कूल के पाठ्यक्रम में साइबर सुरक्षा को एक उच्च-डेसिबल जागरूकता विषय के रूप में शामिल करना चाहिये। 
  • नियमित भेद्यता मूल्यांकन करने और बढ़ते साइबर खतरे के बारे में आवश्यक जागरूकता पैदा करने के लिये सार्वजनिक डोमेन में अधिकारियों पर भी दबाव डालने की आवश्यकता है।   
  • साइबर हमलों की जांँच के लिये विश्वसनीय स्वदेशी समाधान विकसित करने हेतु साइबर सुरक्षा के लिये एक समर्पित उद्योग मंच स्थापित किया जाना चाहिये। 

स्रोत : पीआईबी 

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2