अंतर्राष्ट्रीय संबंध
खदानों एवं खनिजों पर तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन का पूर्वावलोकन
- 20 Mar 2018
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चर्चा में क्यों?
खनन क्षेत्र से जुड़े मुद्दों को सुलझाने के प्रति एकजुटता सुनिश्चित करने की दृष्टि से खदानों एवं खनिजों पर आयोजित पिछले राष्ट्रीय सम्मेलनों को मिली सफलता एवं इनकी व्यापक उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए खान मंत्रालय द्वारा 20 मार्च, 2018 को नई दिल्ली में खदानों एवं खनिजों पर तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
पूर्व में हुए सम्मेलन
- खान मंत्रालय द्वारा 4-5 जुलाई, 2016 को रायपुर में खदानों एवं खनिजों पर प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन और 15 फरवरी, 2017 को नई दिल्ली में खदानों एवं खनिजों पर द्वितीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
- इन सम्मेलनों में राज्य सरकारों, खनन उद्योगों, उद्योग संगठनों, वित्तीय एवं शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधियों के अलावा कुछ अन्य व्यक्तियों ने भाग लिया था और खनन क्षेत्र से जुड़े विभिन्न मुद्दों, चुनौतियों और अवसरों पर प्रकाश डाला था, ताकि सतत् विकास के लिये इसकी इष्टतम संभावनाओं का उपयोग किया जा सके।
- इन दोनों ही राष्ट्रीय खनन सम्मेलनों को व्यापक सफलता मिली और उनमें बड़ी संख्या में भागीदारी भी की गई। समस्त प्रतिभागियों ने इन सम्मेलनों के आयोजन के साथ-साथ इसके निष्कर्षों पर अत्यंत संतुष्टि व्यक्त की थी।
इससे क्या परिणाम निकला?
- पिछले सम्मेलन के बाद से लेकर अब तक मंत्रालय द्वारा अनेक नई पहलें शुरू की गई हैं। खनिज नीलामी नियमों में संशोधन किया गया है, रेत खनन नीति को अंतिम रूप दिये जाने की संभावना है, एमटीएस से संबंधित महत्त्वपूर्ण मॉडयूल की शुरुआत किये जाने की संभावना है, सूक्ष्म खनिजों के लिये स्टार रेटिंग स्कीम शुरू की गई है, सूक्ष्म खनिजों के लिये खनिज निगरानी प्रणाली का क्रियान्वयन किया गया है और इसके साथ ही हाल के महीनों में कई अन्य योजनाएँ भी शुरू की गई हैं।
क्या किये जाने की आवश्यकता है?
- इनके साथ-साथ अन्य पहलुओं के क्रियान्वयन के लिये हितधारकों के क्षमता निर्माण के साथ विभिन्न उद्देश्यों के लिये समुचित तालमेल की आवश्यकता है।
- इसके लिये समस्त हितधारकों, जैसे कि खनिज सरंक्षण, विकास, नीति एवं नियमन और खनन उद्योग के लिये उत्तरदायी माने जाने वाले सरकारी निकायों के बीच गहन एवं व्यापक संवाद की ज़रूरत है।
- संबंधित सम्मेलन भारत सरकार की हालिया नीतिगत पहलों को प्रदर्शित करने के लिये एक कारगर प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएगा और खनन क्षेत्र से जुड़े विभिन्न मुद्दों, चुनौतियों और अवसरों पर व्यापक परिचर्चाएँ सुनिश्चित करेगा, ताकि सतत् विकास के लिये इसकी इष्टतम संभावनाओं का उपयोग किया जा सके।
- इससे केंद्र सरकार को नीतिगत माहौल को और बेहतर करने में मदद मिलेगी, ताकि सर्वोत्तम तौर-तरीकों को प्रोत्साहित किया जा सके और खनन क्षेत्र से जुड़े विभिन्न मुद्दों को सुलझाया जा सके।
- इससे मंत्रालय के विभिन्न प्रयासों को मज़बूत करने में मदद मिलेगी, जिसकी बदौलत खनन क्षेत्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के त्वरित विकास के साथ-साथ रोज़गार सृजन में भी अपना पूर्ण योगदान करने में सक्षम हो सकेगा।
- सम्मेलन के उपर्युक्त फायदों को ध्यान में रखते हुए इससे पहले आयोजित सम्मेलनों में उद्योग जगत और हितधारकों की भागीदारी को नि:शुल्क रखा गया था जिससे कि उनकी भागीदारी को बढ़ावा दिया जा सके।
- इसी व्यवस्था को इस सम्मेलन में भी अपनाया जाएगा। सार्वजनिक एवं निजी दोनों ही खनन कंपनियाँ इस सम्मेलन में सक्रियतापूर्वक भाग लेंगी।
- इसके अलावा, खनन गतिविधि में संलग्न धातु क्षेत्र एवं उससे संबद्ध क्षेत्र भी इस सम्मेलन में भाग लेंगे। यह खनन क्षेत्र के विभिन्न सरकारी संगठनों जैसे कि केन्द्रीय खान मंत्रालय, राज्यों के खनिज विभागों, नियामकों यथा आईबीएम एवं डीजीएम, उत्खनन निकायों जीएसआई एवं एनएमईटी इत्यादि को खनन एवं उससे संबद्ध उद्योग के हितधारकों के साथ संवाद करने के लिये एक प्रभावकारी प्लेटफॉर्म सुलभ कराएगा।
खदानों एवं खनिजों पर तीसरा राष्ट्रीय सम्मेलन
- भारतीय खनिज उद्योगों के महासंघ (फिमी) ने इस सम्मेलन में भागीदारी पर सहमति जताई है।
- ऐसे सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (पीएसयू) जो खनन गतिविधि से सीधे तौर पर घनिष्ठता के साथ जुड़े हुए हैं अथवा इसकी उत्पादन प्रक्रिया का अभिन्न अंग हैं, वे भी इस सम्मेलन के आयोजन में मंत्रालय की सहायता करने वाले प्रमुख हितधारकों में से एक होंगे। ये पीएसयू खान मंत्रालय के अधीनस्थ नाल्को, एचसीएल और एमईसीएल हैं।
- इसके अलावा कुछ कंपनियाँ जैसे कि एचजेडएल और बाल्को हैं, जिसमें सरकारी हिस्सेदारी खान मंत्रालय के प्रशासकीय नियंत्रण में है।
5 स्टार रेटिंग
- सम्मेलन के दौरान सर्वोत्तम प्रदर्शन करने वाली उन 20 खानों अथवा खदानों को जिन्हें स्टार रेटिंग प्राप्त है, ‘5 स्टार’ रेटिंग के लिये पुरस्कार प्रदान किये जाएंगे।
- स्टार रेटिंग प्रणाली के तहत तकनीकी, सामाजिक-आर्थिक, पर्यावरणीय पैमानों पर खदानों के प्रदर्शन का आकलन किया जाता है और खनन परिचालन में मानकीकरण सुनिश्चित करने तथा खनन के प्रभावों को न्यूनतम करने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय मानकों को अपनाया जाता है।
- तीसरे सम्मेलन के दौरान स्टार रेटिंग प्रणाली को सूक्ष्म खनिजों की खदानों पर भी लागू किये जाने के मुद्दे पर विचार किया जाएगा।
पीएमकेकेकेवाई की निगरानी के लिये पोर्टल
- इसके अतिरिक्त एमटीएस के पंजीकरण एवं रिटर्न मॉडयूल के साथ पीएमकेकेकेवाई की निगरानी के लिये पोर्टल लॉन्च किया जाएगा।
- पंजीकरण एवं रिटर्न मॉडयूल के मौजूदा 14500 उपयोगकर्त्ताओं (यूजर) को नई प्रणाली से जोड़ा जाएगा।
- दैनिक रिटर्न को मोबाइल एप से अथवा ऑनलाइन पोर्टल पर सीधे दाखिल किया जा सकता है।
- मासिक रिटर्न को नई प्रणाली पर ही दाखिल करना होगा, जिसकी शुरुआत इसी महीने के रिटर्न से हो रही है।
- प्रभावकारी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिये एमटीएस सॉफ्टवेयर को न केवल राज्यों की मौजूदा आईटी प्रणलियों, बल्कि अन्य मौजूदा आईटी एप्लीकेशंस यथा-आधार, आरटीओ डाटा, जीएसटी, इत्यादि से भी एकीकृत किया जाना है।
प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना
- केंद्र सरकार द्वारा खनन से संबंधित परिचालनों से प्रभावित लोगों तथा क्षेत्रों का कल्याण करने के उद्देश्य से इस योजना की शुरुआत की गई।
उद्देश्य
- खनन से प्रभावित क्षेत्रों में विभिन्न विकास तथा कल्याणकारी परियोजनाओं/कार्यक्रमों को लागू करना है। ये राज्य और केंद्र सरकार की वर्तमान में चल रही योजनाओं/परियोजनाओं के सम्पूरक भी होंगे।
- खनन प्रभावित ज़िलों में लोगों के स्वास्थ्य और सामाजिक-अर्थव्यवस्था, पर्यावरण पर खनन के दौरान और बाद में पड़े प्रतिकूल प्रभाव को कम करना/दूर करना शामिल है।
- खनन क्षेत्रों में प्रभावित लोगों के लिये दीर्घावधि टिकाऊ जीवन यापन व्यवस्था सुनिश्चित करना।
- जीवन की गुणवत्ता में ठोस सुधार सुनिश्चित करते हुए जीवन के सभी पहलुओं को शामिल करने पर ध्यान रखा गया है।
- पीने के पानी की आपूर्ति, स्वास्थ्य, स्वच्छता, शिक्षा, कौशल विकास, महिला और बाल विकास, वरिष्ठ तथा विकलांगजनों का कल्याण, कौशल विकास और पर्यावरण संरक्षण जैसे उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्र इस निधि का कम-से-कम 60 प्रतिशत हिस्सा प्राप्त करेंगे।
- हितकर जीवन यापन वातावरण बनाने के लिये निधि की शेष राशि सड़क, ब्रिज, रेलवे, जलमार्ग परियोजनाओं, सिंचाई और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को बनाने पर खर्च की जाएगी।
- इस तरह सरकार समाज के कमज़ोर वर्गों, जनजातियों और वन में रहकर जीवन यापन करने वाले और खनन गतिविधियों से सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाले लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिये सजग है।
योजना का क्रियान्वयन
- प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (पीएमकेकेकेवाई) का क्रियान्वयन ज़िला खनिज फाउन्डेशंस (डीएमएफ) के तहत एकत्रित किये जाने वाले कोष द्वारा किया जाएगा, जिसका उपयोग खनन प्रभावित क्षेत्रों के कल्याण एवं विकास के लिये किया जाएगा।
तकनीकी-सत्र
- सम्मेलन के दौरान निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श के लिये तीन तकनीकी सत्र आयोजित किये जाएंगे।
- इस तकनीकी सत्र के महत्त्वपूर्ण विषय हैं
(क) खनिज ब्लॉकों की नीलामी और पीएमकेकेकेवाई का क्रियान्वयन
(ख) उत्खनन को प्रोत्साहन
(ग) सतत् विकास की रूपरेखा-सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना