‘सोहम’: एक अभिनव उपकरण | 18 Jul 2017
चर्चा में क्यों ?
देश में विकसित नवजात श्रवण स्क्रीनिंग उपकरण – ‘सोहम’ का लोकार्पण कर दिया गया है। विदित हो कि इस नवजात श्रवण स्क्रीनिंग उपकरण को स्कूल ऑफ इंटरनेशनल बायो डिज़ाइन (एसआईबी) के स्टार्टअप ‘मैसर्स सोहम इनोवेशन लैब्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ ने विकसित किया है।
क्या है सोहम ?
- सोहम एक कम लागत वाला विशेष उपकरण है, जो नवजात शिशु में सुनने की प्रक्रिया की जाँच के काम आता है। दरअसल, यह तकनीक बेहद महंगी है, जिसके कारण नवजातों की श्रवण शक्ति ठीक है या नहीं यह पता करना आम लोगों के लिये संभव नहीं हो पाता।
- उल्लेखनीय है कि ‘मैसर्स सोहम इनोवेशन लैब्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ नामक एक स्टार्टअप ने बहुत ही कम संसाधनों का इस्तेमाल कर यह तकनीक बनाई है, जो कि सस्ती है। इसका उद्देश्य देश में प्रति वर्ष पैदा होने वाले लगभग 26 मिलियन बच्चों की ज़रूरतों को पूरा करना है।
- सोहम को भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के बायो-टेक्नोलॉजी विभाग (डीबीटी) की देख-रेख में विकसित किया गया है।
- गौरतलब है कि एसआईबी, डीबीटी का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसका लक्ष्य भारत की आवश्यकताओं के अनुसार अभिनव और सस्ते चिकित्सा उपकरणों को विकसित करना है।
क्यों महत्त्वपूर्ण है यह प्रयास ?
- ध्यातव्य है कि श्रवण बाधिता जन्म विकारों में एक प्रमुख विकार है। जन्म से ही सुनाई न देना, आनुवंशिक और गैर-आनुवंशिक दोनों कारकों का ही परिणाम है। इस प्रकार के विकारों का पता लगाने वाली तकनीक के महंगा होने से श्रवण विकार का पता ही नहीं चल पाता।
- जब बच्चे की उम्र चार वर्ष से अधिक होने पर इस विकार का पता चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इससे कई बार बच्चे् बोल पाने में भी असमर्थ होते हैं और मानसिक रूप से भी बीमार हो सकते हैं। इन सबका बच्चे पर गहरा कुप्रभाव पड़ता है तथा जन्मपर्यन्त खामियाज़ा भुगतना पड़ता है।
- विश्व स्तर पर हर साल लगभग 8,00,000 श्रवण रूप से दिव्यांग बच्चें पैदा होते हैं, जिनमें से करीब 1,00,000 भारत में पैदा होते हैं, सोहम उपकरण से समय पर इन विकारों के उपचार में मदद मिलेगी।
- यह सरकार के मेक इन इंडिया अभियान में एक महत्त्वपूर्ण योगदान है। एम्स और आईआईटी दिल्ली ने अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के सहयोग से संयुक्त रूप से इस कार्यक्रम को लागू किया गया है। बायोटेक कंसोर्टियम इंडिया लिमिटेड इस कार्यक्रम की तकनीकी और कानूनी गतिविधियों का प्रबंधन करता है।