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भारतीय अर्थव्यवस्था

दूसरी तिमाही में चालू खाता घाटा 2.9% तक बढ़ा

  • 08 Dec 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?


हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक ने कहा कि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 1.1% की तुलना में उच्च व्यापार घाटे के कारण इस वर्ष जुलाई-सितंबर तिमाही के लिये चालू खाता घाटा (CAD) सकल घरेलू उत्पाद के 2.9% तक बढ़ गया।


प्रमुख बिंदु

  • पिछले साल की समान अवधि में 6.9 अरब डॉलर की तुलना में इस वर्ष दूसरी तिमाही के लिये घाटा 19.1 बिलियन डॉलर था। अप्रैल-जून तिमाही के लिये CAD सकल घरेलू उत्पाद का 2.4% या 15.9 बिलियन डॉलर था।
  • केंद्रीय बैंक ने कहा कि सालाना आधार पर CAD की बढ़ोत्तरी मुख्य रूप पिछले वर्ष के 32.5 अरब डॉलर की तुलना में इस वर्ष के 50 बिलियन डॉलर के उच्च व्यापार घाटे के कारण थी।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, तेल की कीमतों में तेज वृद्धि के कारण चालू खाता घाटा बढ़ गया। लेकिन अब कीमतों में शीर्ष स्तर से 31% तक कमी आई है। डॉलर के मुकाबले रुपए के कमज़ोर होने के बाद भी निर्यात में वृद्धि हुई। अतः चालू खाते घाटे का पूरे वर्ष इसी प्रकार उच्च बने रहने की उम्मीद नहीं है।
  • सॉफ्टवेयर और वित्तीय सेवाओं से शुद्ध आय में वृद्धि के कारण निवल सेवाओं की प्राप्तियों में मुख्य रूप से 10.2% की वृद्धि हुई।
  • निजी हस्तांतरण प्राप्तियाँ (Private Transfer Receipts), मुख्य रूप से विदेशों में नियोजित भारतीयों द्वारा प्रेषण के कारण 20.9 बिलियन डॉलर थी, जो पिछले वर्ष से 19.8% अधिक है।
  • आरबीआई के अनुसार, "वित्तीय खाते में, शुद्ध विदेशी प्रत्यक्ष निवेश 2017-18 की दूसरी तिमाही में 12.4 बिलियन डॉलर की तुलना में घटकर 2018-19 की दूसरी तिमाही में 7.9 बिलियन डॉलर हो गया।"
  • पोर्टफोलियो निवेश ने पिछले साल की दूसरी तिमाही में 2.1 बिलियन डॉलर के अंतर्वाह की तुलना में 2018-19 की दूसरी तिमाही में ऋण और इक्विटी बाज़ारों में शुद्ध बिक्री के कारण 1.6 बिलियन डॉलर का शुद्ध बहिर्वाह दर्ज किया।
  • गैर-निवासी जमा (non-resident deposits) के कारण शुद्ध प्राप्तियाँ 2018-19 की दूसरी तिमाही में 3.3 अरब डॉलर हो गईं जो पिछले वर्ष 0.7 बिलियन डॉलर थीं।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक ने कहा कि 2017-18 दूसरी तिमाही में 9.5 बिलियन डॉलर की वृद्धि के मुकाबले इस वर्ष की दूसरी तिमाही में विदेशी मुद्रा भंडार (भुगतान संतुलन के आधार पर) में 1.9 बिलियन डॉलर की कमी आई।

रुपए की गिरावट को रोकना

  • केंद्रीय बैंक ने रुपए में तेज़ गिरावट को रोकने के लिये डॉलर बेचकर मुद्रा बाज़ार में हस्तक्षेप किया था। अक्टूबर 2018 तक रुपया डॉलर के मुकाबले 15% कमज़ोर हो गया था, लेकिन नवंबर में तेल की कीमतों में कमी आने से रुपए में मज़बूती देखी गई।
  • हाल ही में जारी किये गए नवीनतम आँकड़ों से पता चला है कि 30 नवंबर से एक हफ्ते के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 932.8 मिलियन डॉलर बढ़कर 393.718 बिलियन डॉलर हो गया।
  • कुल मिलाकर देश का भुगतान संतुलन जुलाई-सितंबर तिमाही में 1.9 बिलियन डॉलर के घाटे में था, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में इसमें 9.5 बिलियन डॉलर का अधिशेष था।
  • पिछले वर्ष की पहली छमाही में GDP के 1.8% की तुलना में 2018-19 की समान अवधि में चालू खाता घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 2.7% तह बढ़ गया है। रेटिंग एजेंसी फिच ने हाल ही में कहा कि चालू खाता अंतर के बढ़ने के कारण रुपया 75 प्रति डॉलर तक गिर सकता है।

स्रोत : द हिंदू

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