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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

चीन और अमेरिका के मध्य करेंसी युद्ध

  • 07 Aug 2019
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिकी कोष विभाग (US Treasury Department) ने चीन को मुद्रा के साथ छेड़छाड़ करने वाला देश या फिर ‘करेंसी मैनीपुलेटर’ (Currency Manipulator) घोषित कर दिया है।

प्रमुख बिंदु:

  • अमेरिकी कोष विभाग द्वारा यह निर्णय तब लिया गया जब चीन के केंद्रीय बैंक, पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (People’s Bank of China) ने चीन की मुद्रा युआन का अमेरिकी डॉलर की अपेक्षा 1.9 प्रतिशत मूल्यह्रास करने की घोषणा की।
  • यह पहला मौका था जब इस निर्णय के परिणामस्वरूप चीन की मुद्रा 7 युआन प्रति डॉलर से भी नीचे आ गई थी।
  • चीन के इस निर्णय के बाद अमेरिका ने घोषणा की थी कि वह चीन की इस नई कार्यवाही द्वारा प्राप्त अनुचित प्रतिस्पर्द्धात्मक लाभ को समाप्त करने के लिये ‘अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष’ (IMF) से संपर्क करेगा।
  • यह इस बात का संकेत है कि विश्व की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मध्य चल रहा व्यापार युद्ध अब मुद्रा युद्ध में भी बदल सकता है।

क्या होती है मुद्रा की विनिमय दर?

  • आमतौर पर अर्थव्यवस्था में मुद्रा की विनिमय दर का आशय अर्थव्यवस्था के मौलिक मूल्य से होता है।
  • यह कहा जा सकता है कि विदेशी मुद्रा की प्रति इकाई की घरेलू मुद्रा में कीमत, मुद्रा की विनिमय दर कहलाती है। कुछ अर्थशास्त्री इसे घरेलू करेंसी का बाहरी मूल्य भी कहते हैं।
  • उदाहरण के लिये आप अमेरिका में बेची जा रही किसी वस्तु का भारत में आयात करना चाहते हैं और उस वस्तु का अमेरिकी मूल्य 500 डॉलर है तो इस हिसाब से आपको कुल 35,000 रुपए (यदि एक डॉलर 70 रुपए का है) चुकाने होंगे।
  • इस आधार पर हम कह सकते हैं कि यदि 1 डॉलर का मूल्य भारतीय रुपए में कम है (यानी एक डॉलर 70 रुपए का है) तो हम किसी विदेशी वस्तु को आसानी से खरीदने की स्थिति में होंगे और यदि 1 डॉलर का मूल्य भारतीय रुपए में अधिक (यानी एक डॉलर 100 रुपए का है) है तो वही वस्तु हमारे लिये काफी महंगी हो जाएगी।
  • परंतु यदि आप एक उत्पादक हैं और वैश्विक स्तर पर निर्यात करते हैं तो डॉलर के मजबूत होने से आपको काफी लाभ होगा, यह उपरोक्त सिद्धांत का एक अन्य पहलू है।
  • वैश्वीकरण के युग में मुद्रा की विनिमय दर वैश्विक व्यापार को सुगम बनाने के लिये काफी महत्त्वपूर्ण होती है।

कैसे निर्धारित होती है किसी देश की मुद्रा विनिमय दर?

  • सैद्धांतिक आधार पर किसी मुद्रा की विनिमय दर उस मुद्रा की मांग और पूर्ति की अंतर-क्रिया पर निर्भर करती है।
  • यदि भारतीय अधिक मात्रा में अमेरिकी सामान खरीदेंगे तो रुपए के सापेक्ष डॉलर की मांग बढ़ जाएगी जिसके प्रभावस्वरूप रुपए की अपेक्षा डॉलर मज़बूत हो जाएगा।
  • यदि इसके विपरीत भारतीय रुपए की मांग में वृद्धि होती है तो रुपए की अपेक्षा डॉलर कमज़ोर हो जाएगा

मुद्रा के साथ छेड़छाड़ या मैनीपुलेशन का क्या मतलब है?

  • इस सत्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि व्यावहारिक दुनिया सैद्धांतिक दुनिया से काफी अलग होती है।
  • कई बार देश की सरकारें और केंद्रीय बैंक देश की विकास दर को बढ़ाने के उद्देश्य से मुद्रा विनिमय दर की निर्धारण प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं।
  • मुद्रा के साथ छेड़छाड़ वह स्थिति होती है जब सरकारें व्यापार में "अनुचित" लाभ हासिल करने के लिये विनिमय दर को कृत्रिम रूप से मोड़ने की कोशिश करती हैं।
  • उदाहरणतः यदि चीन का केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा बाज़ार से अधिक मात्रा में डॉलर खरीदता है तो उसकी मुद्रा कृत्रिम रूप से कमज़ोर हो जाएगी और चीनी वस्तुएँ अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में काफी सस्ती हो जाएंगी जिसके कारण चीन को "अनुचित" लाभ प्राप्त होगा।
  • अब एक अमेरिकी फ़ोन का उदाहरण लेते हैं जिसकी मांग भारत में काफी ज़्यादा है, क्योंकि उसकी गुणवत्ता काफी अच्छी है, परंतु यदि कोई चीनी कंपनी भारत में वैसा ही फ़ोन निर्यात करती है तो चीनी मुद्रा की कीमत कम होने के कारण वह फ़ोन भारत में काफी सस्ता होगा और विवेकशील भारतीय उपभोक्ता चीनी मोबाइल फ़ोन को ही वरीयता देगा।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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