सामाजिक न्याय
खुले में मूत्रत्याग को रोकना होगा सरकार का अगला कदम
- 23 Aug 2018
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा ओडीएफ+ और ओडीएफ++ प्रोटोकॉल जारी किये गए जो कि स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के लिये अगला कदम हैं और इनका लक्ष्य स्वच्छता परिणामों में स्थायित्व सुनिश्चित करना है।
प्रमुख बिंदु
- नए मानदंडों के तहत, ओडीएफ+ (खुले में शौच से मुक्त प्लस) घोषित करने के इच्छुक शहरों और कस्बों को खुले में शौच से मुक्त होने के आलावा लोगों द्वारा खुले में मूत्रत्याग से भी मुक्त होना चाहिये।
- यह पहली बार है कि स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) आधिकारिक तौर पर लोगों द्वारा खुले में मूत्रत्याग की समाप्ति को अपने एजेंडे में शामिल कर रहा है। यह मिशन बुनियादी ढाँचे और नियामक परिवर्तनों पर केंद्रित है और साथ ही इस धारणा पर आधारित है कि इससे लोगों के व्यवहार में परिवर्तन आएगा।
- स्वच्छ भारत मिशन के ग्रामीण प्रभाग ने पहले कहा था कि लोगों द्वारा खुले में मूत्रत्याग की समाप्ति उनके एजेंडे में नहीं है।
- मार्च 2016 में जारी मूल ओडीएफ प्रोटोकॉल के अनुसार, "एक शहर/वार्ड को ओडीएफ शहर/वार्ड के रूप में अधिसूचित किया जाता है, यदि दिन के किसी भी समय, एक भी व्यक्ति खुले में शौच न करता हो।"
- अतः अब तक 2,741 शहरों को ओडीएफ के रूप में प्रमाणित किया गया है, जो ज़्यादातर शौचालय निर्माण के तृतीय पक्ष द्वारा सत्यापन पर आधारित है।
- कुछ दिन पहले जारी किये गए नए ओडीएफ+ प्रोटोकॉल के अनुसार एक शहर, वार्ड या कार्य क्षेत्र ओडीएफ+ घोषित किया जा सकता है, यदि "दिन के किसी भी समय, एक भी व्यक्ति द्वारा खुले में शौच और/या मूत्रत्याग न किया जाता हो तथा सभी सामुदायिक एवं सार्वजनिक शौचालय कार्यात्मक स्थिति में हों और साथ ही बेहतर ढंग से अनुरक्षित हों।"
- ओडीएफ++ प्रोटोकॉल इस शर्त को जोड़ता है कि "मानव अपशिष्ट गाद/ सेप्टेज और सीवेज सुरक्षित रूप से प्रबंधित और उपचारित किया जाए; नालियों, जल निकायों या खुले क्षेत्रों में अनुपचारित मानव अपशिष्ट गाद/सेप्टेज और सीवेज का कोई निर्वहन और/या डाला जाना न होता हो।"