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सुरक्षा

क्रिप्टो-जैकिंग

  • 29 Jun 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

क्रिप्टो-जैकिंग, क्रिप्टोकरेंसी

मेन्स के लिये:

क्रिप्टोकरेंसी

चर्चा में क्यों?

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग के रूप में ‘क्रिप्टो-जैकिंग’ (Crypto-Jacking) नामक साइबर हमलों की पहचान की है।

प्रमुख बिंदु:

  • ‘क्रिप्टोजैकिंग’ एक प्रकार का साइबर हमला है, जिनका प्रयोग हैकर्स क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग (Mining) करने के लिये करते हैं।
  • माइनिंग बुनियादी तौर पर ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से किसी आभासी मुद्रा के लेन-देन को सत्यापित किया जाता है।

क्रिप्टोकरेंसी की कार्यप्रणाली:

  • क्रिप्टोकरेंसी एक प्रकार की डिजिटल मुद्रा है, जिसमें लेन-देन संबंधी सभी जानकारियों को कूटबद्ध (Encrypt) तरीके से विकेंद्रित डेटाबेस (Decentrelised Database) में सुरक्षित रखा जाता है।
  • बही-खाते (ledgers) के आँकड़ों को स्थानिक रूप से वितरित किया जाता है, और क्रिप्टोकरेंसी के प्रत्येक लेन-देन को ब्लॉक के रूप में कूटबद्ध किया जाता है।
  • इस प्रकार एक दूसरे को जोड़ने वाले कई ब्लॉक विकेंद्रीकृत बही-खाता (Distributed Ledger) के माध्यम से ब्लॉकचेन (Blockchain) बनाते हैं।
  • बिटक्वाइन (Bitcoin), एथरियम (Ethereum), मोनेरो (Monero), कैश (Zcash) आदि प्रमुख आभासी मुद्राएँ हैं।
  • ऐसा अनुमान है कि दुनिया भर में 47 मिलियन से अधिक क्रिप्टोकरेंसी उपयोगकर्ता हैं।

क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग (Cryptocurrency Mining):

  • क्रिप्टोकरेंसी कोई मुद्रित मुद्रा नहीं होती है अपितु इन्हें माइनिंग की प्रक्रिया द्वारा सत्यापित या निर्मित किया जाता है।
  • क्रिप्टोकरेंसी, माइनिंग नामक एक प्रक्रिया के माध्यम से बनाई जाती हैं।
  • माइनिंग की प्रक्रिया में माइनर्स द्वारा हाई-एंड प्रोसेसर्स (High-End Processors) का उपयोग किया जाता है।

क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग में चुनौतियाँ:

  • माइनिंग की लागत बहुत अधिक होती है।
  • माइनिंग की प्रक्रिया में हाई-एंड प्रोसेसर्स का उपयोग किया जाता है, जो प्रक्रिया बहुत महँगी है।
  • संपूर्ण माइनिंग प्रक्रिया में विद्युत की बहुत अधिक खपत होती है।

क्रिप्टो-जैकिंग की प्रक्रिया:

  • क्रिप्टोजैकिंग में इंटरनेट सर्वर, निजी कंप्यूटर या फिर स्मार्टफोन में मैलवेयर इंस्टाल कर क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग की जाती है।
  • अधिकांश अन्य प्रकार के मैलवेयर के विपरीत, क्रिप्टो-जैकिंग में कंप्यूटर के डेटा का उपयोग नहीं किया जाता है।

‘क्रिप्टो-जैकिंग’ का प्रभाव:

  • कंप्यूटर सिस्टम की कार्य-प्रणाली धीमी हो जाती है।
  • विद्युत उपयोग बढ़ जाता है।
  • स्मार्टफोन की बैटरी अचानक से खत्म होने लगती है।
  • हार्डवेयर को बहुत अधिक नुकसान हो सकता है।

एंड्रायड फोन पर खतरा ज़्यादा:

  • क्रिप्टो-जैकिंग में स्मार्टफोन की हैकिंग की जा सकती है अत: अन्य डिजिटल माइनिंग की तुलना में यह काफी कम खर्चीला है।
  • क्रिप्टो-जैकिंग से एंड्रायड स्मार्टफोन को ज्यादा खतरा होता है। एप्पल अपने फोन में इंस्टाल होने वाले एप को ज्यादा नियंत्रित करता है, इसलिए हैकर्स आईफोन को कम निशाना बनाते हैं।

निष्कर्ष:

  • क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में बढ़ती चिंताओं का समाधान करना आवश्यक है, ऐसे कई एप उपलब्ध हैं जो कंप्यूटर की क्रिप्टो-जैकिंग के हमलों से सुरक्षा कर सकते हैं। हालाँकि ये एप भी कंप्यूटरों को पूरी तरह से सुरक्षित करने में समर्थ नहीं हैं।

स्रोत: द हिंदू

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