ऑनलाइन अपराध संबंधी रिपोर्ट | 19 Feb 2020
प्रीलिम्स के लियेसाइबर बुलिंग मेन्स के लियेऑनलाइन अपराध व उनसे बचाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘बाल अधिकार और आप’ (Child Rights and You-CRY) नामक एक गैर सरकारी संगठन द्वारा स्कूली छात्रों पर किये गए एक अध्ययन में पता चला है कि प्रत्येक तीन में से एक किशोर ऑनलाइन अपराध का शिकार है।
प्रमुख बिंदु
- गैर सरकारी संगठन ‘बाल अधिकार और आप’ द्वारा ‘फोरम फाॅर लर्निंग एंड एक्शन विद इनोवेशन एंड रिगोर’ (Forum for Learning and Action with Innovation and Rigour-FLAIR) के सहयोग से इंटरनेट उपयोग और ऑनलाइन सुरक्षा के पैटर्न का आकलन करने हेतु दिल्ली-एनसीआर के 13 -18 आयु वर्ग के 630 स्कूली छात्रों पर एक सर्वेक्षण किया गया।
- अध्ययन से पता चलता है कि 93% छात्रों के घरों में इंटरनेट उपयोग संबंधी सुविधाएँ उपलब्ध थी।
- इंटरनेट उपकरणों तक व्यक्तिगत पहुँच के संदर्भ में पर्याप्त लैंगिक असमानता देखी जा सकती है, आँकड़ों से पता चलता है कि 60% बालकों की इंटरनेट उपकरणों तक व्यक्तिगत पहुँच के सापेक्ष केवल 40% बालिकाओं की इंटरनेट उपकरणों तक व्यक्तिगत पहुँच है।
- अध्ययन से यह भी पता चला है कि इंटरनेट उपयोग के संदर्भ में 30% छात्रों का अनुभव नकारात्मक रहा।
- इंटरनेट अपराध की विभिन्न श्रेणियों के आँकड़ो से पता चलता है कि लगभग 10% किशोर साइबर बुलिंग (Cyberbullying), अन्य 10% किशोर सोशल मीडिया अकाउंट और प्रोफाइल के दुरुपयोग तथा 23% किशोर फोटो व वीडियो में छेड़छाड़ को घटना से पीड़ित थे।
इंटरनेट उपयोग संबंधी आदत
- NCERT द्वारा विकसित इंटरनेट सुरक्षा संबंधी दिशा-निर्देशों की जानकारी के संबंध में जागरुकता का अभाव है। केवल 30% छात्रों को इंटरनेट सुरक्षा संबंधी दिशा-निर्देशों की जानकारी थी।
- इंटरनेट उपयोग संबंधी एक टेस्ट में लगभग 48% छात्र सामान्य रूप से इंटरनेट के उपयोग से ग्रस्त पाये गए वहीं 1% छात्र इंटरनेट के उपयोग से अत्यधिक ग्रस्त थे।
- इंटरनेट तक पहुँच सभी के लिये हानिकारक नहीं है क्योंकि 40% छात्रों ने माना कि उन्होंने इसका प्रयोग अपने अध्ययन में मदद के लिये किया (जैसे कि शब्दों या सूचनाओं, ट्यूटोरियल और अपने स्कूल के ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम तक ऑनलाइन खोज)।
- लगभग 50% छात्रों ने पाठ्येतर गतिविधियों जैसे कि संगीत, पेंटिंग या खेल के लिये भी इंटरनेट का उपयोग किया।
कानूनी प्रावधान
- भारत में ऑनलाइन अपराध के मामलों में सूचना प्रोद्योगिकी अधिनियम 2000 और सूचना प्रोद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम 2008 लागू होते हैं।
- भारत में बच्चों से संबंधित ऑनलाइन अपराध के मामले में कोई विशेष कानून नहीं है।
- सूचना प्रोद्योगिकी कानून की धारा 66(a)(b) साइबर बुलिंग पर लागू होती है, जिसके तहत तीन साल तक की सज़ा तथा जुर्माना हो सकता है।
आगे की राह
- इंटरनेट उपयोग संबंधी जागरूकता उत्पन्न करने के लिये स्कूलों में वर्कशॉप आयोजित किये जाने चाहिये।
- किशोरों के खिलाफ साइबर अपराधों से निपटने के लिये बुनियादी ढाँचे के निर्माण हेतु केंद्र सरकार की बाल संरक्षण योजना को संशोधित करने की आवश्यकता है।
- पारिवारिक स्तर पर अभिभावकों को अपने बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय व्यतीत करने का प्रयास करना चाहिये।