अंतर्राष्ट्रीय संबंध
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज़ द्वारा भारत की रेटिंग बढ़ाए जाने के मायने
- 18 Nov 2017
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चर्चा में क्यों
पिछले कुछ समय में सरकार द्वारा किये गए आर्थिक और संस्थागत सुधारों के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था में सकारात्मक माहौल देखने को मिला, जिसके परिणामस्वरूप क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने 13 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद भारत की रेटिंग Baa-3 (सकारात्मक) से Baa-2 (स्थिर) कर दी है। 2004 में मूडीज़ द्वारा भारत को दी गई Baa-3 रेटिंग निवेश श्रेणी की न्यूनतम रैंकिंग है, जो कि ‘जंक’ दर्ज़े (निवेश के ख़राब माहौल की स्थिति) से थोड़ी ही बेहतर रैंकिंग है। मूडीज़ ने 2015 में क्रेडिट रेटिंग के आउटलुक अर्थात् भविष्य के परिदृश्य को स्थिर से सकारात्मक (positive) कर दिया था।
क्रेडिट रेटिंग क्या है?
साधारण शब्दों में क्रेडिट रेटिंग किसी भी देश, संस्था या व्यक्ति की ऋण लेने या उसे चुकाने की क्षमता का मूल्यांकन होती है।
मूडीज़ क्या है व क्रेडिट रेटिंग किस आधार पर दी जाती है ?
मूडीज़ विश्व की तीन बड़ी अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों में से एक है। दो अन्य रेटिंग एजेंसियाँ स्टैण्डर्ड एंड पुअर्स (S & P) तथा फिच हैं। मूडीज़ Aaa से लेकर C तक रेटिंग जारी करती है। AAA सर्वश्रेष्ठ और C सबसे ख़राब रेटिंग है।
इन कंपनियों द्वारा रेटिंग देते वक्त किसी देश पर कर्ज़ की मौजूदा स्थिति और उसे चुकाने की उसकी क्षमता को ध्यान में रखा जाता है। इसके अतिरिक्त ये एजेंसियाँ देश में हुए आर्थिक सुधारों, भविष्य के आर्थिक परिदृश्य तथा देश में निवेश के लिये सुरक्षित माहौल को भी ध्यान में रखती हैं। इसके लिये ये एजेंसियाँ आँकड़ों और तथ्यों का इस्तेमाल करती हैं। इसमें सरकार द्वारा दी गई रिपोर्टों और सूचनाओं आदि का इस्तेमाल किया जाता है। क्रेडिट रेटिंग से देश की आर्थिक स्थिति का पता चलता है।
भारत की क्रेडिट रेटिंग बढ़ाए जाने के कारण-
- सरकार द्वारा किये गए आर्थिक और संस्थागत सुधार के प्रयासों के चलते देश में वित्तीय अनुशासन का माहौल बना है तथा सरकारी कर्ज़ में वृद्धि का जोखिम भी कम हो गया है।
- भारत में निवेश और व्यापार करने के माहौल में काफी सुधार हुआ है। हाल ही में विश्व बैंक द्वारा जारी ‘व्यापार सुगमता सूचकांक’ (Index of Ease of doing Business) में भारत की रैंकिंग में 30 पायदानों के सुधार ने इस बात की पुष्टि भी कर दी है।
- मूडीज़ ने नोटबंदी और बैंकों में फँसे कर्ज़ को लेकर सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को देश की अर्थव्यवस्था के लिये साहसिक और उल्लेखनीय बताया है।
- एजेंसी ने आधार कार्ड और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना (DBT) को भी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये सकारात्मक कदम बताया है।
- मूडीज़ ने कहा है कि हालाँकि GST व नोटबंदी से अल्प समय के लिये देश की GDP में गिरावट अवश्य आई, परंतु विशेषकर GST से देश के अंतर्राज्यीय व्यापार को लाभ होने की प्रबल संभावना है।
- मूडीज़ ने यह भी कहा है कि दीर्घावधि में भारत की विकास क्षमता Baa रेटिंग वाले कई देशों की तुलना में काफी अधिक है।
क्रेडिट रेटिंग बढ़ाए जाने के क्या लाभ होंगे?
- क्रेडिट रेटिंग में सुधार से भारत सरकार और भारतीय कंपनियों को बाहर से कर्ज़ मिलना आसान हो जाएगा।
- कर्ज़ की दर भी कम होगी, जिससे अवसंरचना के विकास में सहायता मिलेगी और रोज़गार की संभावनाओं में भी वृद्धि होगी।
- संभावना है कि अन्य रेटिंग एजेंसियाँ भी भारत की रेटिंग बढ़ा दें। इससे विदेशी निवेशकों में भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति विश्वास बढ़ेगा, जो कि उन्हें भारत में निवेश के लिये प्रेरित करेगा।
- मूडीज़ ने अनुमान लगाया है कि सरकार के कुछ सुधारात्मक क़दमों का असर कुछ समय बाद दिखाई देगा, जिससे भारत की GDP विकास दर में भी वृद्धि देखने को मिलेगी। एजेंसी ने मार्च 2018 तक देश की जीडीपी विकास दर 6.7% तथा 2019 तक पुनः 7.5% होने का अनुमान लगाया है।
- निकट भविष्य में देश में महँगाई कम होने, शेयर बाज़ार में बेहतर रिटर्न मिलने तथा रुपए के मज़बूत होने की भी संभावना जताई गई है।
निहित चिंताएँ-
- मूडीज़ ने निजी क्षेत्र के निवेश में कमी और GST के सफल क्रियान्वयन की चुनौती को लेकर चिंता व्यक्त की है।
- बैंकों के ‘बैड लोन’ की समस्या को लेकर भी एजेंसी ने चिंता ज़ाहिर की है।
- एजेंसी ने इस बात के लिये भी सचेत किया है कि कर्ज़ का बड़ा बोझ भारत की क्रेडिट प्रोफाइल के समक्ष एक गंभीर चुनौती बना हुआ है।
- कुछ अर्थशास्त्रियों के अनुसार क्रेडिट रेटिंग में सुधार से होने वाले लाभ छोटे उद्यमियों की बजाय ज़्यादातर बड़ी कंपनियों को प्राप्त होंगे। अतः सरकार की कोशिश होनी चाहिये कि माहौल के सुधरने का लाभ सभी क्षेत्रों को प्राप्त हो।