मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष | 25 Oct 2018
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति ने विशेष मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (Fisheries and Aquaculture Infrastructure Development Fund (FIDF) के निर्माण को अपनी मंज़ूरी दे दी है।
प्रमुख बिंदु
- इस मंज़ूरी के तहत कोष की अनुमानित राशि 7,522 करोड़ रुपए होगी जिसमें से 5266.40 करोड़ रुपए प्रमुख ऋणदाता निकायों द्वारा जुटाए जाएंगे, जबकि इसमें लाभार्थियों का योगदान 1316.6 करोड़ रुपए का होगा।
- भारत सरकार से बजटीय सहायता के रूप में 939.48 करोड़ रुपए प्राप्त होंगे।
- राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (National Bank for Agriculture and Rural Development- NABARD), राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (National Cooperatives Development Corporation (NCDC) और सभी अनुसूचित बैंक (अब बैंक लिखा जाएगा) इसके लिये प्रमुख ऋणदाता निकाय होंगे।
लाभ
- समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्य पालन दोनों ही क्षेत्रों में मत्स्य पालन से जुड़ी बुनियादी ढाँचागत सुविधाएँ स्थापित की जाएंगी।
- ‘नीली क्रांति’ के तहत वर्ष 2020 तक के लिये निर्धारित 15 मिलियन टन का लक्ष्य प्राप्त करने और 8-9 प्रतिशत की सतत् वृद्धि दर हासिल करने हेतु मछली उत्पादन बढ़ाया जाएगा। इसके बाद मछली उत्पादन को वर्ष 2022-23 तक बढ़ाकर लगभग 20 एमएमटी के स्तर पर पहुँचाया जाएगा।
- 9.40 लाख से भी ज़्यादा मछुआरों/मत्स्य पालन से जुड़े लोगों के साथ-साथ मत्स्य पालन एवं संबद्ध गतिविधियों के अन्य उद्यमियों के लिये रोज़गार के अवसर सृजित होंगे।
- मत्स्य पालन से जुड़ी बुनियादी ढाँचागत सुविधाओं की स्थापना एवं प्रबंधन से निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।
- नई प्रौद्योगिकियाँ अपनायी जाएंगी।
FIDF के तहत ऋण की व्यवस्था
- FIDF से राज्य सरकारों/केंद्रशासित प्रदेशों एवं राज्यों के निकायों, सहकारी समितियों, विभिन्न लोगों और उद्यमियों, इत्यादि को रियायती वित्त प्राप्त होगा जिससे वे मत्स्य पालन क्षेत्र के विकास से जुड़ी चिन्ह्ति निवेश गतिविधियाँ पूरी कर सकेंगे।
- FIDF के तहत ऋण का वितरण 2018-19 से लेकर 2022-23 तक के पाँच वर्षों की अवधि के दौरान किया जाएगा और अदायगी अधिकतम 12 वर्षों की अवधि में होगी जिसमें मूलधन के भुगतान पर दो वर्षों का ऋण स्थगन भी शामिल है।