शासन व्यवस्था
COVID-19 का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
- 03 Apr 2020
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प्रीलिम्स के लिये:विश्व बैंक, COVID-19 मेन्स के लिये:COVID-19 से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्व बैंक (World Bank) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, COVID-19 के कारण पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में लगभग 11 मिलियन लोग गरीबी रेखा से नीचे आ सकते हैं।
प्रमुख बिंदु:
- संपूर्ण विश्व में इस वायरस के कारण अभी तक लगभग 7,80,000 लोग संक्रमित हो चुके हैं एवं 37,000 लोगों की मृत्यु हो चुकी है।
- वाशिंगटन स्थित एक वैश्विक ऋणदात्री संस्था के पूर्वानुमानों के अनुसार पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में वर्ष 2020 में लगभग 35 मिलियन लोग गरीबी से बाहर आ सकते थे, जिसमें केवल चीन से ही 25 मिलियन से अधिक लोग शामिल हैं।
- COVID-19 के और ज्यादा फैलने या फिर बहुत लंबे समय तक चलने से इसका पर्यटन गतिविधि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
अर्थव्यवस्था:
- विकासशील पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में वर्ष 2020 में COVID-19 के कारण वृद्धि दर 2.1% रह सकती है, जो 2019 में 5.8% थी। सबसे बुरी दशा में यह नकारात्मक 0.5% तक हो सकती है।
- चीन की वृद्धि दर वर्ष 2019 के 6.1% से घटकर वर्ष 2020 में वृद्धि दर 2.3% रह सकती है।
स्वास्थ्य सेवा हेतु दिशा-निर्देश:
- रिपोर्ट में COVID-19 की रोकथाम और व्यापक आर्थिक नीतियों पर ‘एकीकृत दृष्टिकोण’ का सुझाव दिया गया है।
- सरकार को आइसोलेशन वार्ड की सुविधा, सेपरेशन किट, मास्क इत्यादि के शीघ्र उत्पादन पर ज़ोर देना चाहिये।
- सरकार को अधिक-से-अधिक अत्याधुनिक उपकरणों से लैस प्रयोगशालाओं को स्थापित करना चाहिये, ताकि व्यक्ति में संक्रमण की पूरी तरह से पुष्टि हो सके।
- स्वास्थ्य सेवा के लिये सब्सिडी COVID-19 की रोकथाम में मदद करेगा तथा यह सुनिश्चित करेगा कि आने वाले दिनों में दुनिया की अर्थव्यवस्था कैसी होगी।
विश्व बैंक (World Bank):
- विश्व बैंक संयुक्त राष्ट्र की ऋण प्रदान करने वाली एक विशिष्ट संस्था है, इसका उद्देश्य सदस्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं को एक वृहद वैश्विक अर्थव्यवस्था में शामिल करना तथा विकासशील देशों में गरीबी उन्मूलन के प्रयास करना है।
- यह नीति सुधार कार्यक्रमों एवं संबंधित परियोजनाओं के लिये ऋण प्रदान करता है। विश्व बैंक की सबसे खास बात यह है कि यह केवल विकासशील देशों को ऋण प्रदान करता है।
- इसका प्रमुख उद्देश्य सदस्य राष्ट्रों को पुनर्निर्माण और विकास के कार्यों में आर्थिक सहायता प्रदान करना है। इसके अंतर्गत विश्व को आर्थिक तरक्की के मार्ग पर लाने, विश्व में गरीबी को कम करने, अंतर्राष्ट्रीय निवेश को बढ़ावा देने जैसे पक्षों पर बल दिया गया है।