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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

COVID- 19 तथा G- 20 वर्चुअल समिट

  • 30 Mar 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

G- 20 आभासी सम्मेलन 

मेन्स के लिये:

महामारी आपदा

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में G- 20 समूह के देशों द्वारा COVID- 19 महामारी से निपटने तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की दिशा में ‘G- 20 वर्चुअल समिट’ (Virtual Summit) का आयोजन सऊदी अरब की अध्यक्षता में किया गया। 

मुख्य बिंदु:

  • G- 20 समूह के देशों ने वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO) के नेतृत्व वाले COVID- 19 एकजुटता प्रतिक्रिया कोष (COVID-19 Solidarity Response Fund) में 5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक धन के योगदान की प्रतिबद्धता जाहिर की है।
  • COVID- 19 के चलते ‘G- 20 आभासी सम्मेलन’, भारत की पहल पर आयोजित किया जाने वाला दूसरा सम्मेलन है जबकि प्रथम आभासी सम्मेलन  ‘सार्क आभासी सम्मेलन’ का आयोजन भारत की पहल पर हाल ही मे किया गया है। 

सहयोग पर सहमति: 

  • G- 20 देशों ने निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग करने पर सहमति जाहिर की है-
  • महामारी संबंधी जानकारी:
    • इस सम्मेलन में समय पर पारदर्शी जानकारी साझा करने, महामारी विज्ञान एवं नैदानिक संबंधी आँकड़ों का देशों के मध्य आदान-प्रदान करने, अनुसंधान एवं विकास के लिये आवश्यक सामग्री साझा करने पर सहमति व्यक्त की गई। 
  • मंत्रीस्तरीय वार्ताओं में वृद्धि:
    • इस सम्मेलन के दौरान नवंबर 2020 में आयोजित होने वाले ‘G- 20 शिखर सम्मेलन’ से पहले G- 20 देशों के विदेश मंत्रियों, स्वास्थ्य अधिकारियों तथा संबंधित शेरपाओं (Sherpas) ने COVID- 19 पर अधिक-से-अधिक बातचीत तथा सहयोग करने पर सहमत हुए।
  • वित्तीय बाजार पुनर्बहाली:
    • वैश्विक विकास और वित्तीय बाजारों पर COVID-19 महामारी का प्रभाव बहुत प्रभावशाली रहा अत: वैश्विक अर्थव्यवस्था में विश्वास बहाल करने के लिये अतिशीघ्र वस्तुओं और सेवाओं के सामान्य प्रवाह (विशेष रूप से चिकित्सा संबंधी) की आवश्यकता पर सभी देशों ने सहमति व्यक्त की।
  • सामूहिक सहयोग की आवश्यकता:
    • अब तक महामारी को नियंत्रित करने में, अधिकांश देशों ने व्यक्तिगत रूप से प्रयास किये हैं। अत: सभी देश आगे अधिक सामूहिक सहयोग करने पर सहमत हुए हैं। 

असहमति के बिंदु:

  • लॉकडाउन पर मतभेद:
    • G-20 देशों द्वारा सामाजिक दूरी (Social Distancing) के माध्यम से महामारी को नियंत्रित करने के लिये अपनाई जाने वाले लॉकडाउन प्रणाली के प्रति दृष्टिकोण में विभिन्न देशों के मध्य मतभेद देखा गया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने संकेत दिया है कि वह अमेरिका में शट्डाउन को हटाना चाहते थे, क्योंकि यह अर्थव्यवस्था को बहुत अधिक प्रभावित कर रहा है तथा उनका मानना है कि इलाज स्वयं समस्या से बदतर नहीं होना चाहिये।
    • ब्राज़ील के राष्ट्रपति ने राज्य द्वारा आरोपित लॉकडाउन को एक 'अपराध' कहा, जबकि भारत ने देश भर में 21 दिनों की लिये कठोर लॉकडाउन लागू किया है।
  • WHO की विफलता:
    • कई देशों द्वारा WHO की इस तर्क के साथ आलोचना की गई कि 31 दिसंबर 2019 को चीन द्वारा वुहान में COVID- 19 के फैलने की सूचना दिये जाने के बाद भी WHO ने दुनिया को महामारी से संभावित खतरे के प्रति चेतावनी जारी नहीं की गई।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका ने चीन की महामारी से संबंधित सूचना साझा न करने जानकारी तथा वायरस को 'चीनी वायरस' या 'वुहान वायरस' नाम दिया। चीन ने अमेरिका के इस कदम का विरोध किया तथा WHO की कार्यप्रणाली पर अनेक सवाल खड़े किये।

आगे की राह:

  • भारत द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिये अधिक व्यापक जनादेश (mandate) तथा अधिक धन का आह्वान किया है क्योंकि भारत का मानना है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय नई चुनौतियों का सामना करने तथा खुद को अनुकूलित करने में विफल रहा है, अत: WHO सहित अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य प्रणालियों को मज़बूत करने की आवश्यकता है।
  • वायरस के लिये कोई अंतर्राष्ट्रीय सीमा नहीं होती है तथा COVID-19 महामारी ने सभी देशों की अंतर्संबंधता तथा कमजोरियों को उजागर किया है अत: इस महामारी से लड़ने के लिये पारदर्शी, मज़बूत, व्यापक स्तरीय तथा विज्ञान-आधारित वैश्विक प्रतिक्रिया के साथ एकजुटता की भावना की आवश्यकता है। 
  • G- 20 जैसे मंच का उपयोग महामारी के लिये किसी देश को दोषी ठहराने के स्थान पर इस बात के लिये किया जाना चाहिये कि G- 20 के नेतृत्त्व में कैसे इस वैश्विक चुनौती से निपटा जाए तथा बाकी दुनिया को इससे निपटने में मदद की जा सकती है।

स्रोत: द हिंदू

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