COVID-19 और करेंसी स्वैप | 07 Mar 2020

प्रीलिम्स के लिये:

COVID-19, मुद्रा विनिमय

मेन्स के लिये:

COVID-19 का आर्थिक प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India - RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ( International Monetary Fund- IMF) जैसी अंतर्राष्ट्रीय बहुपक्षीय एजेंसियों द्वारा COVID-19 के प्रसार से प्रभावित देशों के लिये करेंसी स्वैप व्यवस्था को लागू किया जाना आवश्यक बताया है।

मुख्य बिंदु:

  • कोरोना वायरस का प्रकोप चीन के वुहान शहर से शुरू होकर हुए दुनिया के करीब 80 देशों तक फैल चुका है। इस वायरस की चपेट में आकर दुनिया भर में 3,300 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
  • RBI के अनुसार, भारत के पास कोरोना के प्रभावों से निपटने के लिये भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा का पर्याप्त भंडार है।
  • RBI ने वैश्विक स्तर पर नकदी संकट के दबाव को कम करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा मुद्रा विनिमय की आसान, निष्पक्ष और खुली प्रणाली शुरू करने की ज़रूरत बताई है।
  • कोरोना वायरस की वजह से वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर के नरम पड़ने की आशंका है।
  • सभी केंद्रीय बैंक कोरोना वायरस की चुनौती से निपटने के लिये साथ मिलकर काम करने को संकल्पित हैं।
  • RBI ने घरेलू उद्योगों के बारे में कहा कि देश में कुछ ही ऐसे क्षेत्र हैं जो चीन पर निर्भर हैं और वे इस महामारी से प्रभावित हो सकते हैं। लेकिन इसके असर को कम करने के लिये कदम उठाए जा रहे हैं।
  • कोरोना वायरस का भारत पर सीमित प्रभाव पड़ेगा क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था वैश्विक आपूर्ति श्रंखला पर बहुत ज्यादा निर्भर नहीं है।

मुद्रा विनिमय समझौता

(Currency Swap Agreement):

  • मुद्रा विनिमय समझौता दो देशों के बीच एक ऐसा समझौता है जो संबंधित देशों को अपनी मुद्रा में व्यापार करने और आयात-निर्यात के लिये अमेरिकी डॉलर जैसी किसी तीसरी मुद्रा के प्रयोग के बिना पूर्व निर्धारित विनिमय दर पर भुगतान करने की अनुमति देता है।
  • भारत सरकार ने सार्क सदस्‍य देशों के साथ मुद्रा विनिमय समझौते को विदेशी मुद्रा की अल्‍पकालिक वित्‍तीय ज़रूरतों को पूरा करने और अन्य सार्क देशों को वित्‍तीय सहायता प्रदान करने तथा समस्या का समाधान होने तक भुगतान संतुलन के संकट को दूर करने के उद्देश्य से 15 नवंबर, 2012 को मंज़ूरी दी थी।

आगे की राह:

  • वायरस जनित यह संकट किसी अन्य वित्तीय संकट से बिलकुल अलग है। अन्य वित्तीय संकटों का समाधान समय-परीक्षणित उपायों (Time-tested Measures) जैसे- दर में कटौती, बेल-आउट पैकेज (विशेष वित्तीय प्रोत्साहन) आदि से किया जा सकता है, परंतु वायरस जनित संकट का समाधान इन वित्तीय उपायों द्वारा किया जाना संभव नहीं है।
  • भारत सरकार को लगातार विकास की गति का अवलोकन करने की आवश्यकता है, साथ ही चीन पर निर्भर भारतीय उद्योगों को आवश्यक समर्थन एवं सहायता प्रदान करनी चाहिये।
  • अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों द्वारा कोरोना वायरस जैसी बीमारी की पहचान, प्रभाव, प्रसार एवं रोकथाम पर चर्चा की जानी चाहिये ताकि इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सके।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस