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COVID-19 महामारी के बाद की चिकित्सा जटिलताएँ

  • 15 Jul 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

COVID-19, थ्रोंबोसिस, पल्मोनरी एम्बोलिज़्म

मेन्स के लिये: 

चिकित्सा जटिलताओं से संबंधित एकत्र डेटा का महत्त्व

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (Directorate General of Health Services - DGHS) द्वारा सफदरजंग अस्पताल (Safdarjung Hospital), राम मनोहर लोहिया अस्पताल  (Ram Manohar Lohia Hospital) तथा ‘अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान’ (All India Institute Of Medical Sciences-AIIMS) के साथ-साथ भारत के प्रमुख केंद्रीय सरकारी अस्पतालों से COVID-19 के बाद की चिकित्सा जटिलताओं (Medical Complications) से संबंधित डेटा एकत्र करने का कार्य शुरू किया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • COVID-19 महामारी से ठीक हुए उन मरीज़ों का डेटा देश भर से एकत्र किया जा रहा है जो COVID-19 महामारी के साथ-साथ मधुमेह, फेफड़े, हृदय, यकृत एवं मस्तिष्क संबंधी अन्य चिकित्सा जटिलतााओं से भी पीड़ित थे।
  • इस डेटा को एकत्र करने का उद्देश्य आगे की देखभाल और उपचार के लिये दिशा-निर्देश जारी करना है क्योंकि महामारी का प्रभाव लोगों पर देखा जा रहा है।
  • स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में COVID-19 के  86% मामले देश के 10 राज्यों में देखे गए हैं। 
  • जिसमें  50% मामले महाराष्ट्र और तमिलनाडु में हैं।  
  • वर्तमान में (31 मई तक) कुल रिकवरी रेट (Recovery Rate) 47.6%  से बढ़कर 63.02% हो गया है।

सही होने की स्थिति

  • COVID-19 के साथ-साथ अन्य चिकित्सा जटिलता से पीड़ित व्यक्तियों को सुस्ती की शिकायत, मानसिक रूप से ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता तथा उदासी की स्थिति से पूरी तरह से ठीक होने में लंबा समय लगा है।
  • जिन लोगों में निमोनिया के लक्षण विद्यमान थे उनके  फेफड़े की कार्य क्षमता में कुछ महीनों के भीतर ही सुधार देखा गया है लेकिन कुछ लोगों में फाइब्रोसिस के कारण ऐसे नहीं हो पाया।
    • फाइब्रोसिस एक रेशेदार संयोजी ऊतक है जो शरीर के किसी हिस्से में चोट या क्षति के दौरान  विकसित होता है।
    • यह शरीर के किसी अंग में चोट लगने या कट जाने पर रक्त का थक्का जमाने में सहायक होता है।
  • चिकित्सा जटिलतााओं से पीड़ित व्यक्तियों में लंबे समय तक फेफड़ों के संक्रमित होने के कारण संवहनी रोगों (Vascular Diseases) के होने का खतरा बना रहता है।
    • संवहनी रोगों को ‘पेरिफेरल आर्टरी ऑक्ल्यूसिव डिज़ीज़’ भी कहा जाता है।  
    • इसमें हाथ एवं पैरों में बड़ी धमनियों के संकरा होने के कारण रक्त के प्रवाह में रुकावट हो जाती है। 
  • COVID-19 के रोगियों में मधुमेह से पीड़ित चिकित्सा जटिलताा वाले लोग भी शामिल थे।

COVID-19 के बाद के प्रभाव:

  • महामारी के बाद के प्रभाव जो मनुष्यों को प्रभावित कर सकते हैं उसके बारे में अभी निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा गया है फिर भी चिकित्सा समुदाय के अनुसार इस महामारी में फेफड़े प्रभावित होते हैं।
  • फेफड़ों के प्रभावित होने पर  थ्रोंबोसिस (Thrombosis) के कारण शरीर की भीतरी धमनियों में रक्त थक्के के रूप में जम जाता है ये थक्के फेफड़ों में पहुँचकर रक्त प्रवाह को अवरूद्ध कर सकते हैं। जिसे पल्मोनरी एम्बोलिज़्म (Pulmonary Embolism) कहा जाता है।पल्मोनरी एंबोलिज़्म (Pulmonary Embolism) एक ऐसी स्थिति है जिसमें फेफड़ों में एक या एक से अधिक धमनियाँ रक्त के थक्के द्वारा अवरुद्ध हो जाती हैं।

स्रोत: द हिंदू

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