भारतीय समाज
देश की जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट
- 06 Jul 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में जारी आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) 2018-19 के अनुसार भारत की जनसंख्या वृद्धि दर अनुमान की अपेक्षा और अधिक तेज़ी से घटेगी।
मुख्य बिंदु
- आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, आने वाले दो दशकों में भारत अपनी जनसंख्या वृद्धि में तेज़ी से गिरावट दर्ज़ करेगा और इसी के साथ-साथ भविष्य में भारत को जनसांख्यिकीय लाभांश (Demographic Dividend) भी प्राप्त होगा।
- लेकिन इसी समयावधि में भारत के समक्ष अपनी जनसंख्या की बढ़ती उम्र को प्रबंधित करना सबसे बड़ी चुनौती होगी।
मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यन ने 4 जुलाई, 2019 को, चालू वित्त वर्ष का बजट पेश करने से एक दिन पहले आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया था।
- भारत में 13 राज्य ऐसे हैं जहाँ कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rates- TFR) प्रतिस्थापन दर से भी नीचे है।
- बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे घनी आबादी वाले राज्यों में प्रजनन दर, प्रतिस्थापन दर से ऊपर है, लेकिन राहत की बात यह है कि प्रजनन दर पहले की तुलना में तेज़ी से घट रही है।
- सर्वेक्षण के पूर्वानुमान के अनुसार, अगले दो वर्षों में भारत की कुल प्रजनन दर, प्रतिस्थापन दर से कम हो जाएगी।
- भारत की कार्य करने योग्य जनसंख्या वर्ष 2021-31 के दौरान 9.7 मिलियन प्रतिवर्ष की दर से बढ़ेगी, जबकि वर्ष 2031-41 के मध्य यह संख्या मात्र 4.2 मिलियन ही रह जाएगी।
- वर्ष 2021 से वर्ष 2041 के बीच भारत में स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों की संख्या में 18.4 प्रतिशत की कमी होगी।
- सर्वेक्षण के अनुसार, उपरोक्त कमी के बहुत महत्त्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक परिणाम होंगे।
- वर्ष 1971-81 के दौरान भारत की जनसंख्या वृद्धि दर 2.5 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2011-16 में 1.3 प्रतिशत हो गई। आँकड़े दर्शाते हैं कि वर्ष 1970-80 से अब तक भारत की जनसंख्या वृद्धि दर में काफी गिरावट आई है।
जनसांख्यिकीय लाभांश
(Demographic Dividend)
- भारत में युवाओं की एक बहुत बड़ी संख्या ऐसी है जो अकुशल और बेरोज़गार है तथा अर्थव्यवस्था में उनका योगदान न्यूनतम है। किसी भी देश के लिये उसकी युवा जनसंख्या जनसांख्यिकीय लाभांश होती है, यदि वह कुशल, रोज़गारयुक्त और अर्थव्यवस्था में योगदान देने वाली हो।
प्रजनन दर
- प्रजनन दर का अभिप्राय बच्चे पैदा कर सकने की आयु (जो आमतौर पर 15 से 49 वर्ष की मानी जाती है) वाली प्रति 1000 स्त्रियों की इकाई पर जीवित जन्मे बच्चों की संख्या से होता है।
प्रतिस्थापन दर
- यह एक ऐसी अवस्था होती है जिसमें जितने बूढ़े लोग मरते हैं उनका खाली स्थान भरने के लिये उतने ही बच्चे पैदा हो जाते हैं। कभी-कभी कुछ समाजों को ऋणात्मक प्रतिस्थापन दर का भी सामना करना पड़ता है; अर्थात् उनकी कुल प्रजनन दर उनकी कुल प्रतिस्थापन दर से कम हो जाती है। जापान, रूस, इटली एवं पूर्वी यूरोप सहित आज विश्व में ऐसे कई सारे देश हैं जहाँ यह स्थिति बनी हुई है।