शासन व्यवस्था
देश का पहला खेल विश्वविद्यालय
- 09 Oct 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में दिल्ली मंत्रिमंडल ने दिल्ली में भारत का पहला राजकीय खेल विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिये एक विधेयक को मंजूरी दी है।
प्रमुख बिंदु
- यह विधेयक खेल विश्वविद्यालय को खेल स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना का अधिकार देता है।
- खेल विश्वविद्यालय अन्य खेलों के साथ क्रिकेट, फुटबॉल और हॉकी में स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान करेगा।
- दिल्ली खेल विश्वविद्यालय (Delhi Sports University) को एक राजकीय विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करने का प्रस्ताव है और यह सीबीएसई (Central Board of Secondary Education-CBSE) से संबद्ध दिल्ली स्पोर्ट्स स्कूल होगा, जो खेल में छात्रों का करियर बनाने के लिये खेल शिक्षा प्रदान करने पर जोर देगा।
- दिल्ली खेल विश्वविद्यालय का चांसलर, उप-राज्यपाल होगा तथा
- कुलपति एक राष्ट्रीय-स्तर के संस्थान में प्रशासनिक अनुभव के साथ अंतर-राष्ट्रीय प्रतिभा का खिलाड़ी होगा।
मणिपुर राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय
- इससे पहले खेल शिक्षा, अनुसंधान और प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय की स्थापना से संबंधित एक विधेयक लोकसभा तथा राज्यसभा दोनों में पारित किया गया था।
- यह विधेयक राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय अध्यादेश, 2018 (National Sports University Ordinance, 2018) को प्रतिस्थापित करता है जिसे 31 मई, 2018 को प्रख्यापित किया गया था।
- इस विधेयक में मणिपुर में एक राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय स्थापित करने का प्रावधान था।
- मणिपुर राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission-UGC) द्वारा मान्यता प्राप्त है।
प्रासंगिकता
- अधिकांश छात्रों को खेल को अपना मुख्य विषयों में अपने प्रदर्शन के साथ बनाए रखने के लिये खेलों से समझौता करना पड़ता है।
- खेलों में खिलाड़ी अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित होता है, केवल इस तथ्य के आधार पर कि अगर वह खेल में करियर बनाने में सक्षम नहीं होता, तो उसे सिर्फ एक स्कूल पास कहा जाएगा।
- उसे इसलिये नौकरी नहीं मिल पाती क्योंकि आमतौर पर हर नौकरी के लिये कम-से-कम स्नातक की डिग्री की आवश्यकता होती है।
- इसलिये कई छात्र जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर खेलों में हिस्सा लिया वे उस मंच पर कहीं नहीं हैं, जहाॅं स्नातक की डिग्री वाले छात्र हैं।
- स्पोर्ट्स कोटा के तहत नौकरियों का हिस्सा भी सीमित है।