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भ्रष्टाचार नहीं है भारत में व्यवसाय करने हेतु प्रमुख बाधा

  • 20 Nov 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जारी की गई यूके इंडिया बिज़नेस काउंसिल की व्यापार में सुगमता रिपोर्ट के नवीनतम संस्करण के अनुसार, यू.के. के व्यवसायियों के बीच यह धारणा कि भ्रष्टाचार, भारत में व्यवसाय करने में एक बड़ी बाधा है, ऐसा मानने वाले लोगों की संख्या में 2015 की रिपोर्ट की तुलना में आधे की कमी आई है।

प्रमुख बिंदु

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि “जब पहली रिपोर्ट जारी की गई थी, तब से लेकर अब तक 'भ्रष्टाचार' को एक प्रमुख बाधा के रूप में देखने वाली कंपनियों की संख्या में साल दर साल गिरावट देखी गई है।”
  • वर्ष 2015 में भ्रष्टाचार को प्रमुख बाधा मानने वाली कंपनियाँ जहाँ 51% थीं, वहीं 2016 में 34% तथा 2017 में लगभग आधी या 25% रह गई हैं।
  • यह गिरावट एक बड़े सुधार को दर्शाती है, जो इस बात का संकेत है कि वर्तमान सरकार के भ्रष्टाचार को कम करने के प्रयास मूर्त और अधिक वांछित परिणाम देने वाले प्रतीत हो रहे हैं।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि "इस सर्वेक्षण के चार साल की अवधि के दौरान वर्तमान में भारत में व्यवसाय करने वाले लोगों के बीच उन लोगों की तुलना में जो कि वर्तमान में भारत में सक्रिय नहीं हैं, एक बड़े बाधा के रूप में 'भ्रष्टाचार' की पहचान करने वालों में नाटकीय रूप से गिरावट आई है [पिछले दो वर्षों में 27% की गिरावट], जहाँ इसे अब शीर्ष तीन बाधाओं के रूप में नहीं देखा जाता।"
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि आधार, सरकारी दस्तावेज़ों के इलेक्ट्रॉनिक सबमिशन, इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर की स्वीकृति और करों को ऑनलाइन फाइल करने पर ज़ोर जैसी सभी पहलों ने आमने-सामने की परस्पर क्रियाओं को कम किया है, जहाँ भ्रष्टाचार की सर्वाधिक संभावना होती है।
  • डिजिटलीकरण का विस्तार यद्यपि विभिन्न क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से भिन्न है किंतु बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में शामिल लोग अभी भी भ्रष्टाचार से संबंधित महत्त्वपूर्ण मुद्दों की शिकायत करते हैं।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रमशः 36% उत्तरदाताओं द्वारा कराधान के मुद्दों और 29% द्वारा 'मूल्य बिंदु' को प्रमुख बाधाओं के रूप में चिह्नित किया गया है तथा इन दोनों बाधाओं ने भ्रष्टाचार को पीछे छोड़ दिया है।
  • हालाँकि, 'कराधान मुद्दों' की पहचान करने वाले उत्तरदाताओं का अनुपात 2017 की तुलना में 2018 में 3% कम था, जो बताता है कि व्यवसाय जीएसटी को समायोजित करने का कार्य शुरू कर सकते हैं।
  • वर्तमान में भारत में व्यवसाय करने वाले लोग लगातार बाधा के रूप में 'कराधान मुद्दों' का हवाला देते हैं, जबकि भारतीय बाज़ार में प्रवेश के इच्छुक लोग 2017 से 2018 तक 'कानूनी और नियामक बाधाओं' की शिकायतों में काफी गिरावट आने के बाद 'उपयुक्त भागीदार की पहचान' को अपने सबसे महत्त्वपूर्ण मुद्दे के रूप में मानते हैं।
  • उन लोगों के लिये महत्त्वपूर्ण मुद्दा भारत के बाहर अपने उत्पादों और सेवाओं हेतु तेज़ी से बाज़ार की मांग के सापेक्ष सरकारी और नौकरशाही से संबंधित बाधाएँ हैं।
  • हालाँकि अधिकांश उत्तरदाताओं ने सहमति व्यक्त की कि तेज़ी से मंज़ूरी के लिये शुरू की गई सरकार की 'ई-बिज़' पहल कारोबारी माहौल में सुधार करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि व्यापार अनुमोदन के संबंध में पारदर्शिता की कमी से जुड़ी महत्त्वपूर्ण शिकायतें, विशेषकर निवेश के लिये सांविधिक मंज़ूरी के मामले में बनी हुई हैं।
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