सिविल सेवा में भ्रष्टाचार | 06 Sep 2022
मेन्स के लिये:सिविल सेवा में भ्रष्टाचार का प्रसार, पारदर्शिता और जवाबदेही, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान। |
चर्चा में क्यों?
स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद की दोहरी चुनौतियों के खिलाफ तीखा हमला किया और कहा कि यदि समय पर इसका समाधान नहीं किया गया, तो ये बड़ी चुनौती बन सकती हैं।
भ्रष्टाचार क्या है?
- सत्ता के पदों पर बैठे लोगों द्वारा किया गया असन्निष्ठ व्यवहार भ्रष्टाचार है।
- इसमें लोग अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हैं तथा वे व्यक्ति या व्यवसाय या सरकारों जैसे संगठनों से संबंधित हो सकते हैं।
- भ्रष्टाचार में कई तरह की कार्रवाइयाँ, जैसे- रिश्वत देना या उसे स्वीकार करना या अनुचित उपहार देना, दोहरा व्यवहार करना और निवेशकों को धोखा देना आदि शामिल शामिल है।
- भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक 2021 में भारत 180 देशों में से 85वें स्थान पर था।
सिविल सेवा में भ्रष्टाचार के प्रसार के कारण:
- सिविल सेवा का राजनीतिकरण: जब सिविल सेवा पदों को राजनीतिक समर्थन के लिये पुरस्कार के रूप में उपयोग किया जाता है या रिश्वत के लिये स्थानांतरण किया जाता है, तो उच्च स्तर के भ्रष्टाचार के अवसर काफी बढ़ जाते हैं।
- निजी क्षेत्र की तुलना में कम वेतन: निजी क्षेत्र की तुलना में सिविल सेवकों का वेतन।
- वेतन में अंतर की भरपाई के लिये कुछ कर्मचारी रिश्वत का सहारा लेते हैं।
- प्रशासनिक देरी: फाइलों की मंज़ूरी में देरी भ्रष्टाचार का मूल कारण है।
- चुनौतीरहित सत्ता की औपनिवेशिक विरासत: सत्ता के उपासक वाले समाज में सरकारी अधिकारियों के लिये नैतिक आचरण से विचलित होना आसान होता है।
- कानून का कमज़ोर प्रवर्तन: भ्रष्टाचार की बुराई को रोकने के लिये कई कानून बनाए गए हैं लेकिन उनके कमज़ोर प्रवर्तन ने भ्रष्टाचार को रोकने में एक बाधा के रूप में काम किया है।
भ्रष्टाचार का प्रभाव
- लोगों और सार्वजनिक जीवन पर:
- सेवाओं में गुणवत्ता की कमी: भ्रष्टाचार वाली प्रणाली में सेवा की कोई गुणवत्ता नहीं है।
- गुणवत्ता की मांग करने हेतु किसी को इसके लिये भुगतान करना पड़ सकता है। यह कई क्षेत्रों जैसे नगर पालिका, बिजली, राहत कोष के वितरण आदि में देखा जाता है।
- उचित न्याय का अभाव: न्यायपालिका प्रणाली में भ्रष्टाचार अनुचित न्याय की ओर ले जाता है जिससे पीड़ित लोगों को भुगतना पड़ सकता है।
- सबूतों की कमी या यहाँ तक कि मिटाए गए सबूतों के कारण एक अपराध संदेह के लाभ के रूप में साबित हो सकता है।
- पुलिस व्यवस्था में भ्रष्टाचार के कारण दशकों से जाँच प्रक्रिया चल रही है।
- खराब स्वास्थ्य और स्वच्छता: अधिक भ्रष्टाचार वाले देशों में लोगों के बीच अधिक स्वास्थ्य समस्याएँ देखी जा सकती हैं। यहाँ स्वच्छ पेयजल, उचित सड़कें, गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न आपूर्ति आदि की कमी होती है।
- ये निम्न-गुणवत्ता वाली सेवाएँ ठेकेदारों और इसमें शामिल अधिकारियों द्वारा पैसे बचाने के लिये की जाती हैं।
- सेवाओं में गुणवत्ता की कमी: भ्रष्टाचार वाली प्रणाली में सेवा की कोई गुणवत्ता नहीं है।
- वास्तविक अनुसंधान की विफलता: परियोजना में अनुसंधान हेतु सरकारी धन की आवश्यकता होती है और कुछ वित्त पोषण एजेंसियों में भ्रष्ट अधिकारीयों की वजह से इसमें समस्या होती है।
- ये लोग अनुसंधान के लिये उन जाँचकर्त्ताओं को धनराशि स्वीकृत करते हैं जो उन्हें रिश्वत देने के लिये तैयार हैं।
- समाज पर प्रभाव:
- अधिकारियों की अवहेलना : भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी के बारे में नकारात्मक बातें कर लोग उसकी अवहेलना करने लगते हैं।
- अवहेलना करने वाले अधिकारी भी अविश्वास पैदा करेंगे और निम्न श्रेणी के अधिकारी भी उच्च श्रेणी के अधिकारियों के प्रति अनादर करेगा इसी क्रम में वह भी उसके आदेशों का पालन नहीं करता है।
- प्रशासकों के प्रति सम्मान की कमी: राष्ट्र के प्रशासक जैसे राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री जनता के प्रति सम्मान में कमी आती है। सामाजिक जीवन में सम्मान मुख्य मानदंड है।
- जनता अपने जीवन स्तर में सुधार और नेता के सम्मान की इच्छा के साथ चुनाव के दौरान मतदान के लिये जाते हैं।
- यदि राजनेता भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, तो यह जानने वाले लोग उनके प्रति सम्मान खो देंगे और ऐसे नेताओं का निर्वाचित नहीं करेंगे।
- भ्रष्टाचार से जुड़े पदों में शामिल होने से परहेज:
- ईमानदार और मेहनती लोग भ्रष्ट समझे जाने वाले विशेष पदों के प्रति घृणा करने लगते हैं।
- हालाँकि वे इन पदों पर कार्य करना पसंद करते हैं, फिर भी ऐसी स्थिति में वे उस पद पर नहीं जाना चाहते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि अगर वे इस पद पर आते हैं तो उन्हें भी भ्रष्टाचार में शामिल होना पड़ेगा।
- अधिकारियों की अवहेलना : भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी के बारे में नकारात्मक बातें कर लोग उसकी अवहेलना करने लगते हैं।
- अर्थव्यवस्था पर:
- विदेशी निवेश में कमी: सरकारी निकायों में भ्रष्टाचार के कारण कई विदेशी निवेशक विकासशील देशों से वापस जा रहे हैं।
- विकास में देरी: एक अधिकारी जिसे परियोजनाओं या उद्योगों के लिये मंज़ूरी प्रदान करना होता है, वह धनार्जन और अन्य गैरकानूनी ढंग से लाभ कमाने के उद्देश्य से जान-बूझ कर इस प्रक्रिया में देरी करता है। अतः जो कार्य कुछ दिनों/सप्ताह का होता है उसमें महीनों लग जाते हैं।
- इससे निवेश, उद्योगों की शुरुआत और विकास की गति धीमी हो जाती है
- विकास का अभाव: किसी विशेष क्षेत्र में कई नए उद्योग शुरू करने के इच्छुक व्यक्ति, क्षेत्र के अनुपयुक्त होने पर अपनी योजनाओं को बदल देते हैं।
- यदि उचित सड़क, पानी और बिजली की व्यवस्था नहीं है, तो ऐसे क्षेत्र कंपनियांँ नए उद्योग स्थापित नहीं करना चाहती हैं, जो उस क्षेत्र की आर्थिक प्रगति में बाधा डालती है।
संबंधित पहलें:
- भारतीय दंड संहिता, 1860
- भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988
- धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002
- विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010
- कंपनी अधिनियम, 2013
- लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013
- केंद्रीय सतर्कता आयोग
आगे की राह
- सिविल सेवा बोर्ड: सिविल सेवा बोर्ड की स्थापना कर सरकार अत्यधिक राजनीतिक नियंत्रण पर अंकुश लगा सकती है।
- अनुशासनात्मक प्रक्रिया का सरलीकरण: अनुशासनात्मक प्रक्रिया को सरल बनाकर और विभागों के भीतर निवारक सतर्कता को मज़बूत करके, यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि भ्रष्ट सिविल सेवक संवेदनशील पदों पर काबिज न हों।
- मूल्य आधारित प्रशिक्षण: सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी सुनिश्चित करने के लिये सभी सिविल सेवकों को मूल्य आधारित प्रशिक्षण पर ज़ोर देना महत्त्वपूर्ण है।
- व्यावसायिक नैतिकता सभी प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में अभिन्न अंग होनी चाहिये और दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC) की सिफारिशों के आधार पर सिविल सेवकों के लिये व्यापक आचार संहिता की मांग की जानी चाहिये।
- नैतिक और सार्वजनिक उत्साही सिविल सेवक की गणना:
- नैतिक और लोक-उत्साही सिविल सेवक के गुणों की गणना करते हुए, आदर्श अधिकारी को अपने अधिकार क्षेत्र में मुद्दों की शून्य लंबितता सुनिश्चित करनी चाहिये और कार्यालय में ईमानदारी एवं अखंडता के उच्चतम गुणों को प्रदर्शित करना चाहिये, साथ ही सरकार के उपायों को लोगों तक ले जाने में सक्रिय होना चाहिये और सबसे बढ़कर हाशिये वर्गों के लोंगों के प्रति सहानुभूति रखे।
- 'सुशासन' के लिये 'अच्छे संस्थानों' के महत्त्व पर विचार करते हुए, हमारे संस्थानों पुनर्स्थापित करने एवं सेवाओं की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिये प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है।
- नैतिक और लोक-उत्साही सिविल सेवक के गुणों की गणना करते हुए, आदर्श अधिकारी को अपने अधिकार क्षेत्र में मुद्दों की शून्य लंबितता सुनिश्चित करनी चाहिये और कार्यालय में ईमानदारी एवं अखंडता के उच्चतम गुणों को प्रदर्शित करना चाहिये, साथ ही सरकार के उपायों को लोगों तक ले जाने में सक्रिय होना चाहिये और सबसे बढ़कर हाशिये वर्गों के लोंगों के प्रति सहानुभूति रखे।
- आधुनिक आकांक्षाओं के अनुरूप परिवर्तन:
- शासन मॉडल लोगों की आधुनिक आकांक्षाओं के अनुरूप बदलना चाहिये और नौकरशाही व्यवस्था को 'संवेदनशील, पारदर्शी और मज़बूत ' रखना आवश्यक है।
- सरकार ने राष्ट्र के लिये नागरिक-केंद्रित और भविष्य हेतु तैयार सिविल सेवा के निर्माण के उद्देश्य से 'मिशन कर्मयोगी' शुरू किया है।
- शासन मॉडल लोगों की आधुनिक आकांक्षाओं के अनुरूप बदलना चाहिये और नौकरशाही व्यवस्था को 'संवेदनशील, पारदर्शी और मज़बूत ' रखना आवश्यक है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रश्न. "संस्थागत गुणवत्ता आर्थिक प्रदर्शन का महत्त्वपूर्ण चालक है"। इस संदर्भ में लोकतंत्र को मज़बूत करने के लिये सिविल सेवा में सुधारों का सुझाव दीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2020) |