उत्पादन के प्रमुख क्षेत्रों में 6.5% की गिरावट | 02 May 2020

प्रीलिम्स के लिये:

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 

मेन्स के लिये:

उत्पादन के प्रमुख क्षेत्रों में गिरावट से अर्थव्यवस्था पर प्रभाव 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, मार्च 2020 में अर्थव्यवस्था के आठ प्रमुख क्षेत्रों में 6.5% की गिरावट (उत्पादन में) दर्ज़ की गई है।

प्रमुख बिंदु:

  • गौरतलब है कि मार्च 2020 में इस्पात, विद्युत, सीमेंट, प्राकृतिक गैस, उर्वरक, कच्चा तेल तथा रिफाइनरी और पेट्रोलियम उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई। हालाँकि कोयला उत्पादन में वृद्धि हुई है।
    • ध्यातव्य है कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान आठ प्रमुख क्षेत्रों में वृद्धि दर 0.6% थी, जबकि फरवरी 2020 में इन क्षेत्रों में उत्पादन वृद्धि दर 5.5% हो गई थी।
  • देशभर में लॉकडाउन की वज़ह से वस्तुओं का आवागमन प्रभावित होने के साथ ही वस्तुओं की मांग में कमी भी दर्ज की गई है जिसके कारण उत्पादन में कमी आई है।
  • उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन के दौरान विद्युत और इस्पात उत्पादन को छूट प्रदान करने के बावजूद इन क्षेत्रों में गिरावट आई है।
  • औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Index of Industrial Production- IIP) में अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्र की हिस्सेदारी 40.27% है। अतः इन क्षेत्रों में दर्ज की गई गिरावट का असर IIP के आँकड़ों पर भी पड़ना निश्चित है।
  • प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ‘डी.के. श्रीवास्तव’ (D.K. Srivastava) के अनुसार, राज्य और केंद्र दोनों सरकारें प्रमुख क्षेत्रों के उत्पादन में गिरावट के कारण कर राजस्व में आई कमी की प्रतिपूर्ति पूंजीगत व्यय में कटौती से कर सकती हैं। 

पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure):

  • जमीन, भवन, मशीनरी, उपकरण, साथ ही शेयरों में निवेश जैसी परिसंपत्तियों के अधिग्रहण पर खर्च की गई धनराशि को पूंजीगत व्यय कहते हैं।

Growth-pangs

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक

(Index of Industrial Production-IIP):

  • यह सूचकांक अर्थव्यवस्था में विभिन्न क्षेत्रों जैसे- खनिज, खनन, विद्युत, विनिर्माण आदि के विकास का विवरण प्रस्तुत करता है।
  • इसे ‘सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय’ (Ministry of Statistics and Programme Implementation) के अंतर्गत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office- NSO)  द्वारा मासिक रूप से संकलित और प्रकाशित किया जाता है।
  • IIP एक समग्र संकेतक है जो प्रमुख क्षेत्रों (Core Sectors) उत्पादन एवं उपयोग का आँकड़ा उपलब्ध कराता है।
  • ध्यातव्य है कि वर्ष 2017 में IIP का आधार वर्ष 2004-05 से परिवर्तित कर वर्ष 2011-2012 कर दिया गया।
  • महत्त्व:
    • IIP का उपयोग वित्त मंत्रालय, भारतीय रिज़र्व बैंक सहित अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा नीति-निर्माण के लिये किया जाता है।
    • IIP त्रैमासिक और अग्रिम जीडीपी अनुमानों की गणना हेतु बेहद प्रासंगिक है। 
  • वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce & Industry) के अनुसार, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में शामिल आठ प्रमुख क्षेत्रों की भागीदारी निम्नलिखित हैं:

रिफाइनरी उत्पाद (Refinery Products)

28.04%

विद्युत (Electricity)

19.85%

इस्पात (Steel)

17.92%

कोयला (Coal)

10.33%

कच्चा तेल (Crude Oil)

8.98%

प्राकृतिक गैस (Natural Gas)

6.88%

सीमेंट (Cement)

5.37%

उर्वरक (Fertilizers)

2.63%


स्रोत: द हिंदू