CIC के विनियामक ढाँचे की समीक्षा के लिये कार्यदल का गठन | 04 Jul 2019
चर्चा में क्यों?
कोर निवेश कंपनियों (Core Investment Companies - CIC) पर लागू होने वाले विनियामक दिशा-निर्देशों और ढाँचे की समीक्षा करने के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक कार्यदल का गठन किया है।
मुख्य बिंदु :
- RBI के अनुसार, मौजूदा ढाँचा कंपनियों के जटिल कॉर्पोरेट प्रशासन संरचना को संभालने में असमर्थ है जिसके कारण उसकी समीक्षा करने और उसमें महत्त्वपूर्ण बदलाव करने की आवश्यकता है।
- RBI द्वारा गठित इस कार्यदल की अध्यक्षता कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के पूर्व सचिव और वर्तमान में सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष तपन रे द्वारा की जाएगी।
- कार्यदल में शामिल अन्य सदस्य :
- लिली वडेरा, RBI की कार्यकारी निदेशक
- अमरजीत सिंह, SEBI के कार्यकारी निदेशक
- टी रबीशंकर, RBI के मुख्य महाप्रबंधक
- एच के जेना, डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर, भारतीय स्टेट बैंक
- एन एस वेंकटेश, एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड के मुख्य कार्यकारी
कार्यदल के विचारार्थ विषय :
- CIC पर लागू होने वाले वर्तमान विनियामक ढाँचे की समीक्षा करना।
- तदनुसार उसमे परिवर्तन के सुझाव देना।
- CIC के पंजीकरण के लिये RBI के वर्तमान दृष्टिकोण में परिवर्तन के सुझाव देना।
- भारतीय रिज़र्व बैंक की ऑफ-विज़न निगरानी और CIC के पर्यवेक्षण को बढ़ाने के लिये उचित उपाय सुझाना।
कोर निवेश कंपनी :
- CIC एक प्रकार की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी होती है जिसका मुख्य कार्य अंशों (Shares) और प्रतिभूतियों के अधिग्रहण से लाभ कमाना होता है।
- CIC की प्रमुख विशेषताएँ :
- इस प्रकार की कंपनियाँ अपनी कुल संपत्ति का कम-से-कम 90 प्रतिशत हिस्सा समता अंशों, पूर्वाधिकार अंशों, बॉण्ड्स या ऋणपत्रों में निवेश के रूप में रखती हैं।
- इस प्रकार की कंपनियों में समता अंशों पर किया गया निवेश कुल संपत्ति के 60 प्रतिशत से कम नहीं होता है।