‘कॉर्बेवैक्स’ कोविड-19 वैक्सीन | 07 Jun 2021
प्रिलिम्स के लिये‘कॉर्बेवैक्स’ वैक्सीन, mRNA वैक्सीन, वायरल वेक्टर वैक्सीन निष्क्रिय वैक्सीन मेन्स के लियेवैक्सीन स्वदेशीकरण और उससे संबंधित विभिन्न पहलू |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत सरकार ने कोविड-19 की नई वैक्सीन ‘कॉर्बेवैक्स’ की 300 मिलियन खुराक के लिये अग्रिम आदेश दिया है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय: यह भारत की स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन है, जो वर्तमान में नैदानिक परीक्षण के तीसरे चरण से गुज़र रही है।
कार्यविधि
- यह एक ’रिकॉम्बिनेंट प्रोटीन सब-यूनिट’ टीका है।
- इसका अर्थ है कि यह ‘SARS-CoV-2’ के एक विशिष्ट भाग यानी वायरस की सतह पर मौजूद स्पाइक प्रोटीन से बना है।
- स्पाइक प्रोटीन वायरस को शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने की अनुमति देता है, जिससे वह रेप्लिकेट होता है यानी उसकी संख्या में वृद्धि होती है और बीमारी का कारण बनता है।
- हालाँकि जब अकेले स्पाइक प्रोटीन शरीर में प्रवेश करता है तो इसके हानिकारक होने की उम्मीद नहीं होती है, क्योंकि वायरस के शेष हिस्से अनुपस्थित होते हैं।
- इस तरह जब स्पाइक प्रोटीन को मानव शरीर में इंजेक्ट किया जाता है तो शरीर में एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया विकसित होने की उम्मीद होती है।
- इसके पश्चात् जब वास्तविक वायरस शरीर को संक्रमित करने का प्रयास करता है, तो शरीर के पास पहले से ही एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया तैयार होती है, जिससे उस व्यक्ति के गंभीर रूप से बीमार पड़ने की संभावना कम हो जाती है।
कॉर्बेवैक्स और अन्य कोविड-19 टीकों के बीच अंतर
- कोई भी वैक्सीन या तो mRNA वैक्सीन (फाइज़र और मॉडर्ना) या वायरल वेक्टर वैक्सीन (कोविशील्ड और स्पुतनिक वी) या निष्क्रिय वैक्सीन (कोवैक्सिन, सिनोवैक-कोरोनावैक और सिनोफार्म्स वेरो सेल) हो सकती है।
- वायरल वेक्टर और mRNA वैक्सीन स्पाइक प्रोटीन बनाने के लिये हमारी कोशिकाओं को प्रेरित करने हेतु एक कोड का उपयोग करते हैं और हमारे शरीर को इसी स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ प्रतिरक्षा का निर्माण करना होता है।
- ‘कॉर्बेवैक्स’ के मामले में भी शरीर को प्रोटीन ही दिया जाता है।
- mRNA वैक्सीन, मैसेंजर RNA (एमआरएनए) के उपयोग से कार्य करती है, यह एक अणु है और अनिवार्य रूप से डीएनए निर्देशों के लिये कार्रवाई में भाग लेता है। कोशिका के अंदर mRNA का उपयोग प्रोटीन बनाने के लिये टेम्पलेट के रूप में किया जाता है।
- वायरल वेक्टर टीके हमारी कोशिकाओं को महत्त्वपूर्ण निर्देश देने के लिये एक अलग वायरस (वेक्टर) के संशोधित संस्करण का उपयोग करते हैं।
- निष्क्रिय वैक्सीन में समग्र ‘SARS-CoV-2’ वायरस के मृत अथवा निष्क्रिय कण शामिल होते हैं, जो वायरस की पूरी संरचना को लक्षित करने का प्रयास करते हैं।
- इस तरह ‘कॉर्बेवैक्स’ भी mRNA और वायरल वेक्टर कोविड-19 वैक्सीन की तरह केवल स्पाइक प्रोटीन को लक्षित करता है, लेकिन एक अलग तरीके से।
अन्य प्रकार के टीके
सक्रिय वैक्सीन
- इसमें किसी रोगाणु के कमज़ोर (अथवा क्षीण) रूप का उपयोग किया जाता है।
- क्योंकि यह वैक्सीन प्राकृतिक संक्रमण से इतनी मिलती-जुलती है कि एक शक्तिशाली एवं दीर्घकालीन प्रतिरक्षा प्रदान करती है।
- इस वैक्सीन की सीमा यह है कि इसे आमतौर पर कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को नहीं दिया जा सकता है।
- सक्रिय वैक्सीन का उपयोग खसरा, गलसुआ, रूबेला (MMR संयुक्त टीका), रोटावायरस, चेचक से प्रतिरक्षा के लिये किया जाता है।
सबयूनिट, रिकॉम्बिनेंट, पॉलीसेकेराइड और संयुग्म टीके
- इस प्रकार की वैक्सीन में रोगाणु के विशिष्ट हिस्सों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि इसका प्रोटीन, कैप्सिड (रोगाणु के चारों ओर एक आवरण) आदि। वे बहुत मज़बूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया प्रदान करते हैं।
- इनका उपयोग कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों पर भी किया जा सकता है।
- इनका उपयोग हीमोफिलस इन्फ्लुएंज़ा टाइप बी रोग, हेपेटाइटिस बी, ह्यूमन पेपिलोमावायरस, न्यूमोकोकल रोग से प्रतिरक्षा के लिये किया जाता है।
टॉक्सोइड वैक्सीन
- टॉक्सोइड टीके रोगाणु द्वारा बनाए गए विष का उपयोग करते हैं। टॉक्सोइड टीकों का उपयोग डिप्थीरिया और टिटनेस से बचाव के लिये किया जाता है।