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जैव विविधता और पर्यावरण

थाईलैंड में नष्ट हो रहे प्रवाल

  • 27 Jan 2023
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

प्रवाल रीफ्स, ओवरफिशिंग, प्रदूषण, ज़ूजैन्थेले (Zooxanthellae), महासागर अम्लीकरण, प्रवाल ब्लीचिंग, इंटरनेशनल प्रवाल रीफ इनिशिएटिव, क्रायोमेश(Cryomesh), बायोरॉक तकनीक।

मेन्स के लिये:

प्रवाल के प्रकार, प्रवाल रीफ का महत्त्व, प्रवाल की रक्षा के लिये पहल।  

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में यह बात प्रकाश में आई है कि एक तेज़ी से फैलने वाली बीमारी, जिसे आमतौर पर येलो बैंड डिज़ीज़ के रूप में जाना जाता है, थाईलैंड के समुद्र तल के विशाल हिस्सों में प्रवाल को नष्ट कर रही है।

  • वैज्ञानिकों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण ओवरफिशिंग, प्रदूषण और पानी का बढ़ता तापमान, चट्टानों को येलो बैंड डिज़ीज के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकते हैं।

 येलो बैंड डिज़ीज:

  • प्रवाल को नष्ट करने से पहले येलो बैंड डिज़ीज़ इसे जिस रंग में बदल देता है, उसी के नाम पर इसे नामित किया गया है। दशकों पहले पहली बार यह देखा गया कि इस डिज़ीज ने कैरिबियन में चट्टानों को व्यापक नुकसान पहुँचाया था। इसका अभी कोई ज्ञात उपचार नहीं है। 
  • येलो बैंड रोग पर्यावरणीय तनावों के संयोजन के कारण होता है, जिसमें पानी के तापमान, प्रदूषण और अवसादन में वृद्धि के साथ-साथ अधिक विस्तार के लिये अन्य जीवों से बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा शामिल है।  
    • ये कारक प्रवाल को कमज़ोर कर सकते हैं और इसे बैक्टीरिया एवं कवक जैसे रोगजनकों के संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकते हैं।
  • प्रवाल ब्लीचिंग के प्रभावों के विपरीत रोग के प्रभाव को परिवर्तित नहीं किया जा सकता है। 

प्रवाल भित्ति:

  • परिचय:  
    • प्रवाल समुद्री अकशेरुकी जीव हैं जो फाइलम नाइडेरिया में एंथोज़ोआ वर्ग से संबंधित हैं।  
      • वे सामान्यतः कई समान व्यक्तिगत पॉलीप्स की कॉम्पैक्ट कॉलोनियों में रहते हैं। 
      • प्रवाल भित्ति जल के नीचे का पारिस्थितिक तंत्र हैं जो प्रवाल पॉलीप्स की कॉलोनियों से बने होते हैं।
    • प्रवाल पॉलीप्स विभिन्न प्रकार के प्रकाश संश्लेषक शैवाल के साथ सहजीवी संबंध में रहते हैं, जिन्हें ज़ूजैन्थेले(zooxanthellae) कहा जाता है, वे उनके ऊतकों के भीतर रहते हैं।  
      • ये शैवाल प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से प्रवाल को ऊर्जा प्रदान करते हैं, जबकि प्रवाल शैवाल को एक संरक्षित वातावरण और यौगिक प्रदान करता है, उन्हें विकास की आवश्यकता होती है। 
  • प्रवाल के प्रकार:  
    • कठोर प्रवाल: 
      • वे कठोर, सफेद प्रवाल एक्सोस्केलेटन बनाने के लिये समुद्री जल से कैल्शियम कार्बोनेट निकालते हैं। 
      • वे एक तरह से रीफ इकोसिस्टम के इंजीनियर हैं, प्रवाल भित्ति की स्थिति को मापने के लिये कठोर प्रवाल की सीमा को मापना व्यापक रूप से एक स्वीकृत मीट्रिक है। 
    • नरम प्रवाल: 
      • वे ऐसे कंकालों के साथ-साथ अपने पूर्वजों द्वारा बनाए गए पुराने कंकालों से जुड़े रहते हैं।
      • सॉफ्ट/कोमल प्रवाल आमतौर पर गहरे पानी में पाए जाते हैं और कठोर प्रवालों  की तुलना में कम पाए जाते हैं।  
  • महत्त्व:  
    • पारिस्थितिकीय महत्त्व: प्रवाल भित्तियाँ पृथ्वी पर सबसे विविध और उत्पादक पारिस्थितिक तंत्रों में से हैं, जो विभिन्न प्रकार के पौधों और जीव-जंतुओं की प्रजातियों के लिये आवास प्रदान करती हैं।
    • वे कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने और तटरेखाओं को कटाव तथा तूफान से होने वाली क्षति से सुरक्षा प्रदान कर हमारे ग्रह की जलवायु को विनियमित करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
    • आर्थिक महत्त्व: प्रवाल भित्तियाँ मछली पालन, पर्यटन और मनोरंजन सहित विभिन्न प्रकार के उद्योगों को सहायता प्रदान करती हैं। वे चिकित्सीय तथा जैव प्रौद्योगिकी के लिये संसाधन भी प्रदान करते हैं। 
    • जलवायु नियमन: प्रवाल भित्तियाँ लहरों से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को अवशोषित करती हैं, तटों की रक्षा करती हैं और तूफानों तथा समुद्र के स्तर में वृद्धि के प्रभाव को कम करती हैं, इस प्रकार वे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में प्राकृतिक बफर क्षेत्र के रूप में कार्य करती हैं।
    • जैवविविधता: प्रवाल भित्तियाँ मछलियों, शार्क, क्रस्टेशियन (Crustaceans), मोलस्क (Mollusks) और कई अन्य समुद्री जीवों का आवास हैं। एक प्रकार से यह समुद्र का वर्षावन है। 
  • खतरे:  
    • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण महासागरीय अम्लीकरण और प्रवाल विरंजन प्रवाल भित्तियों के लिये विशेष रूप से खतरनाक हैं।
      • प्रवाल विरंजन तब होता है जब प्रवाल/प्रवाल पॉलीप्स अपने ऊतकों में रहने वाले शैवाल (ज़ूजैन्थेले) को बाहर निकाल देते हैं, जिस कारण प्रवाल का रंग पूरी तरह से सफेद हो जाता है।
    • प्रदूषण: सीवेज, कृषि अपवाह और औद्योगिक निर्वहन सहित प्रदूषण प्रवाल भित्तियों के अस्तित्त्व के लिये चिंता का विषय है। 
      • साथ ही प्रदूषक तत्त्व उनके लिये कई बीमारियों का कारण बन सकते हैं और रीफ पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं।
    • ओवरफिशिंग: ओवरफिशिंग में प्रवाल भित्तियों के संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करने की क्षमता होती है, जिसके परिणामस्वरूप प्रवालों की संख्या में गिरावट आ सकती है। 
    • तटीय विकास: बंदरगाहों, मैरीना (बंदरगाह के पास मनोरजंन, नौका विहार के लिये छोटा जल-क्षेत्र) और अन्य बुनियादी ढाँचे का निर्माण, प्रवाल भित्तियों को नुकसान पहुँचा सकता है तथा रीफ पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर सकता है। 
    • अक्रामक प्रजातियाँ: लायनफिश जैसी अक्रामक प्रजातियाँ भी प्रवाल भित्तियों हेतु खतरा उत्पन्न कर सकती हैं।
  • प्रवाल भित्ति के संरक्षण हेतु पहल:   
    • तकनीकी हस्तक्षेप:  
      • क्रायोमेश: -196 डिग्री सेल्सियस पर प्रवाल लार्वा का भंडारण कर बाद में उन्हें समुद्र में छोड़ देना
      • बायोरॉक: कृत्रिम चट्टानें बनाना जिन पर प्रवाल तेज़ी से बढ़ सकता है
    • भारत:  
      • राष्ट्रीय तटीय मिशन कार्यक्रम  
    • वैश्विक:   

इन्फोग्रफिक: प्रवाल भित्ति

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न: निम्नलिखित स्थितियों में से किस एक में ‘‘जैवशैल प्रौद्योगिकी (बायोरॉक टेक्नोलॉजी)’’ की बातें होती हैं? (2022)

(a) क्षतिग्रस्त प्रवाल भित्तियों (प्रवाल रीफ्स) की बहाली
(b) पादप अवशिष्टों का प्रयोग कर भवन-निर्माण सामग्री का विकास
(c) शेल गैस के अन्वेषण/निष्कर्षण के लिये क्षेत्रों की पहचान करना
(d) वनों/संरक्षित क्षेत्रों में जंगली पशुओं के लिये लवण-लेहिकाएँ (साल्ट लिक्स) उपलब्ध कराना

उत्तर: (a)


प्रश्न. निम्नलिखित समूहों में से किनमें ऐसी जातियाँ होती हैं जो अन्य जीवों के साथ सहजीवी संबंध बना सकती हैं? (2021)

  1. नाइडेरिया  
  2. कवक (फंजाई)  
  3. आदिजंतु (प्रोटोजोआ)

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. विश्व की अधिकांश प्रवाल भित्तियाँ उष्णकटिबंधीय जल में हैं। 
  2. दुनिया की एक-तिहाई से अधिक प्रवाल भित्तियाँ ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और फिलीपींस के क्षेत्रों में स्थित हैं।  
  3. उष्णकटिबंधीय वर्षावनों की तुलना में प्रवाल भित्तियाँ कहीं अधिक संख्या में जंतु संघों की मेज़बानी करती हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रश्न. निम्नलिखित में से किनमें प्रवाल भित्तियाँ पाई जाती हैं? (2014)

  1. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह  
  2. कच्छ की खाड़ी  
  3. मन्नार की खाड़ी  
  4. सुंदरबन

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (a)


प्रश्न. उदाहरण के साथ प्रवाल जीवन प्रणाली पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव का आकलन कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2019)

स्रोत: द हिंदू

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