विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
टाइप-1 डायबिटीज़
- 17 Jun 2022
- 7 min read
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (IMCR) ने टाइप-1 डायबिटीज़ के निदान, उपचार और प्रबंधन के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किये।
- यह पहली बार है जब ICMR ने विशेष रूप से टाइप-1 डायबिटीज़ के लिये दिशा-निर्देश जारी किये हैं, जो टाइप-2 की तुलना में दुर्लभ है।
डायबिटीज़:
- परिचय: डायबिटीज़ एक गैर-संचारी (Non-Communicable Disease) रोग है जो किसी व्यक्ति में तब पाया जाता है जब मानव अग्न्याशय (Pancreas) पर्याप्त इंसुलिन (एक हार्मोन जो रक्त शर्करा या ग्लूकोज को नियंत्रित करता है) का उत्पादन नहीं करता है या जब शरीर प्रभावी रूप से उत्पादित इंसुलिन का उपयोग करने में असफल रहता है।
- डायबिटीज़ के प्रकार:
- टाइप (Type)-1:
- इसे ‘किशोर-मधुमेह’ के रूप में भी जाना जाता है (क्योंकि यह ज़्यादातर 14-16 वर्ष की आयु के बच्चों को प्रभावित करता है), टाइप-1 मधुमेह तब होता है जब अग्न्याशय (Pancreas) पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन करने में विफल रहता है।
- यह मुख्य रूप से बच्चों और किशोरों में पाया जाता है। हालांँकि इसका प्रसार कम है और टाइप-2 की तुलना में बहुत अधिक गंभीर है।
- टाइप (Type)-2:
- यह शरीर के इंसुलिन का उपयोग करने के तरीके को प्रभावित करता है, जबकि शरीर अभी भी इंसुलिन निर्माण कर रहा होता है।
- टाइप-2 डायबिटीज़ या मधुमेह किसी भी उम्र में हो सकता है, यहांँ तक कि बचपन में भी। हालांँकि मधुमेह का यह प्रकार ज़्यादातर मध्यम आयु वर्ग और वृद्ध लोगों में पाया जाता है।
- गर्भावस्था के दौरान मधुमेह: यह गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में तब होता है जब कभी-कभी गर्भावस्था के कारण शरीर अग्न्याशय में बनने वाले इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील हो जाता है। गर्भकालीन मधुमेह सभी महिलाओं में नहीं पाया जाता है और आमतौर पर बच्चे के जन्म के बाद यह समस्या दूर हो जाती है।
- टाइप (Type)-1:
- मधुमेह के प्रभाव: लंबे समय तक बगैर उपचार या सही रोकथाम न होने पर मधुमेह गुर्दे, हृदय, रक्त वाहिकाएँ, तंत्रिका तंत्र और आँखें (रेटिना) आदि से संबंधित रोगों का कारण बनता है।
- ज़िम्मेदार कारक: मधुमेह में वृद्धि के लिये ज़िम्मेदार कारक हैं- अस्वस्थ आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी, शराब का अत्यधिक सेवन, अधिक वज़न/मोटापा, तंबाकू का उपयोग आदि।
टाइप (Type)-1 की संभावना:
- विश्व में टाइप-1 मधुमेह से पीड़ित 10 लाख बच्चों और किशोरों में से सबसे अधिक संख्या भारत में है।
- भारत में टाइप-1 मधुमेह से पीड़ित 2.5 लाख लोगों में से 90,000 से 1 लाख लोग 14 वर्ष से कम आयु के हैं।
- देश में मधुमेह के सभी अस्पतालों में केवल 2% टाइप-1 के मामले हैं जिनका निदान अधिक बार किया जा रहा है।
मधुमेह में वृद्धि के लिये ज़िम्मेदार कारक:
- आनुवंशिक कारक: यह किसी व्यक्ति में टाइप-1 मधुमेह को निर्धारित करने में भूमिका निभाता है। एक बच्चे में मधुमेह का खतरा निम्नलिखित प्रकार से हो सकता है:
- माँ के संक्रमित होने पर 3%।
- पिता के संक्रमित होने पर 5%।
- भाई-बहन के संक्रमित होने पर 8%।
- कुछ जीनों की उपस्थिति: यह रोग के साथ भी दृढ़ता से जुड़ा हुआ है। उदाहरण के लिये सामान्य जनसंख्या में 2.4% की तुलना में टाइप-1 मधुमेह के रोगियों में DR3-DQ2 और DR4-DQ8 नामक जीन की व्यापकता 30-40% है।
- DR3- DQ2 और DR4-DQ8 का अर्थ है कि रोगी सीलिएक रोग के लिये अनुमेय है और रोग विकसित करने या होने में सक्षम है।
संभावित उपचार:
- ग्लूकोज़ मॉनीटरिंग: निरंतर ग्लूकोज़ मॉनीटरिंग डिवाइस सेंसर की मदद से पूरे 24 घंटे में रक्त में ग्लूकोज़ के स्तर की निगरानी की जा सकती है।
- कृत्रिम अग्न्याशय: यह आवश्यकता पड़ने पर स्वचालित रूप से इंसुलिन प्रवाहित कर सकता है।
संबंधित पहल:
- कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम तथा नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPCDCS):
- प्रमुख NCDs को रोकने और नियंत्रित करने के लिये भारत सरकार द्वारा वर्ष 2010 में आधारभूत संरचना को मज़बूत करने, मानव संसाधन विकास, स्वास्थ्य संवर्द्धन, शीघ्र निदान, प्रबंधन और रेफरल पर ध्यान देने के साथ यह पहल शुरू की गई थी।
- विश्व मधुमेह दिवस:
- यह प्रत्येक वर्ष4 नवंबर को मनाया जाता है। वर्ष 2022 का दिवस ‘मधुमेह शिक्षा तक पहुंँच पर केंद्रित होगा।
- वैश्विक मधुमेह कॉम्पैक्ट:
- WHO ने इंसुलिन की खोज की शताब्दी को चिह्नित करते हुए बेहतर तरीके से बीमारी से लड़ने के लिये वैश्विक मधुमेह कॉम्पैक्ट लॉन्च किया।