आंध्र प्रदेश राज्य निर्वाचन आयुक्त को हटाने पर विवाद | 17 Apr 2020

प्रीलिम्स के लिये:

राज्य निर्वाचन आयुक्त, अपर्मिता प्रसाद सिंह बनाम स्टेट ऑफ उत्तर प्रदेश (2007) मामला

मेन्स के लिये:

राज्य निर्वाचन आयुक्त की भूमिका 

चर्चा में क्यों?

हाल में आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा एक अध्यादेश के माध्यम से 'राज्य निर्वाचन आयुक्त' (State Election Commissioner- SEC) के कार्यकाल में कटौती की गई है।

मुख्य बिंदु:

  • अध्यादेश जिसके माध्यम से मद्रास उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश को उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है, जिसे पूर्व SEC ने असंवैधानिक घोषित करने के लिये उच्च न्यायालय में अपील की है।
  • जबकि मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया SEC सरकार से सलाह लिये बिना कार्य कर रहे थे तथा कुछ राजनीतिक नेताओं के इशारे पर काम कर रहे हैं।

अध्यादेश के माध्यम से बदलाव: 

  • अध्यादेश के माध्यम से पंचायत राज अधिनियम, 1994 (Panchayat Raj Act, 1994) में संशोधन के माध्यम से SEC का कार्यकाल तीन वर्ष तक सीमित कर दिया गया।
  • साथ ही अध्यादेश में उल्लेख किया गया है कि SEC को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने के आधार एवं प्रक्रिया के अलावा किसी अन्य आधार पर नहीं हटाया जा सकेगा।

क्या था विवाद?

  • आंध्र प्रदेश में स्थानीय निकायों के चुनाव होने वाले थे लेकिन SEC ने COVID- 19 महामारी के प्रकोप का हवाला देते हुए चुनाव स्थगित कर दिये। 
  • इसके बाद राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में मामले को ले जाना चाहा लेकिन अदालत ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

अपर्मिता प्रसाद सिंह बनाम स्टेट ऑफ उत्तर प्रदेश (2007) मामला: 

  • अपर्मिता प्रसाद सिंह बनाम स्टेट ऑफ उत्तर प्रदेश (2007) वाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि सेवा का कार्यकाल भी सेवा शर्तों का एक हिस्सा है। राज्य चुनाव आयोग सेवा कार्यकाल की सुरक्षा नहीं होने की स्थिति में अपने संवैधानिक दायित्त्वों का निर्वहन करने में सक्षम नहीं होगा।
  • SEC के कार्यकाल को कम करने का संशोधन संविधान की सीमओं का अतिक्रमण है।

आगे की राह:

  • ‘अपर्मिता प्रसाद सिंह बनाम स्टेट ऑफ उत्तर प्रदेश’ (2007) मामला, इस विवाद में मार्गदर्शक की भूमिका निभा सकता है। 

राज्य निर्वाचन आयोग

(State Election Commission- SEC):

  • भारत के संविधान में अनुच्छेद 243K तथा 243ZA में SEC संबंधी प्रावधान किये गए हैं।
  • SEC का गठन 73वें तथा 74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 (Constitution Amendments Act, 1992) के तहत किया गया था।
  • SEC भारत के निर्वाचन आयोग से स्वतंत्र इकाई है।

 कार्य:

  • SEC का गठन प्रत्येक राज्य/संघशासित क्षेत्र के निगम, नगरपालिकाओं, ज़िला परिषदों, ज़िला पंचायतों, पंचायत समितियों, ग्राम पंचायतों तथा अन्य स्थानीय निकायों के चुनावों के संचालन के लिये किया गया है। 
  • अनुच्छेद 243K के अनुसार पंचायतों के चुनाव तथा निर्वाचन नामावली तैयार करने के दौरान अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण के कार्य राज्य चुनाव आयोग में निहित होंगे।

विधानमंडल की भूमिका:

  • संविधान के प्रावधानों के अधीन राज्य का विधानमंडल कानून निर्माण करके पंचायतों के चुनाव या उससे संबंधित सभी मामलों के संबंध में प्रावधान कर सकता है। 

राज्यपाल की भूमिका:

  • राज्य निर्वाचन आयोग में एक राज्य निर्वाचन आयुक्त होता है जिसे राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया जाता है।
  • राज्य के विधानमंडल द्वारा बनाए गए किसी भी कानून के प्रावधानों के अधीन, राज्य निर्वाचन आयुक्त के पद की अवधि तथा सेवा की शर्तें ऐसी होंगी जैसे कि राज्यपाल निर्धारित करता है। 
  • राज्य का राज्यपाल, राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा अनुरोध करने पर ऐसे कर्मचारी उपलब्ध कराएगा, जो खंड (1) द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा प्रदत्त कार्यों के निर्वहन के लिये आवश्यक हो सकते हैं।

स्रोत: द हिंदू