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भारतीय अर्थव्यवस्था

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में संकुचन

  • 13 Dec 2019
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक, मुद्रास्फीति जनित मंदी, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक

मेन्स के लिये:

अर्थव्यवस्था पर औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में संकुचन का प्रभाव

चर्चा में क्यों?

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation-MoSPI) द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, अक्तूबर 2019 के लिये औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Index of Industrial Production-IIP) का त्वरित अनुमान 127.7 है, जो कि अक्तूबर 2018 की तुलना में 3.8% कम है। इस संकुचन का कारण अर्थव्यवस्था में मांग की कमी और विनिर्माण, बिजली, बुनियादी ढाँचे आदि जैसे क्षेत्रों की गतिविधियों में गिरावट है।

प्रमुख बिंदु:

  • खुदरा मुद्रास्फीति (जो कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक द्वारा मापी जाती है) नवंबर 2019 में बढ़कर पिछले 40 महीनों में सबसे अधिक 5.54% हो गई है जिसके परिणामस्वरूप खाद्य मुद्रास्फीति में भी वृद्धि हो रही है।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि औद्योगिक गतिविधियों में संकुचन के साथ-साथ बढती मुद्रास्फीति के चलते विशेषज्ञों अर्थव्यवस्था मुद्रास्फीति जनित मंदी (स्टैगफ्लेशन) की ओर अग्रसर हो सकती है।

मुद्रास्फीति जनित मंदी

(STAGFLATION):

STAGFLATION

  • कीमतों में वृद्धि के साथ आर्थिक संवृद्धि में गिरावट स्टैगफ्लेशन की विशेषता है।
  • इसे अर्थव्यवस्था में ऐसी स्थिति के रूप में वर्णित किया जाता है जहाँ विकास दर धीमी हो जाती है, बेरोज़गारी का स्तर लगातार उच्च बना रहता है और फिर भी मुद्रास्फीति या मूल्य स्तर एक ही समय में उच्च रहता है।
  • अर्थव्यवस्था के लिये खतरनाक:
    • सामान्यतः निम्न संवृद्धि दर की स्थिति में, केंद्रीय बैंक और सरकार मांग का सृजन करने के लिये उच्च सार्वजनिक खर्च और कम ब्याज दरों पर ऋण उपलब्ध करवाकर अर्थव्यवस्था को उत्तेजित करने का प्रयास करते हैं।
    • ये उपाय भी कीमतों में वृद्धि करते हैं और मुद्रास्फीति का कारण बनते हैं। इसलिये इन उपायों/साधनों को तब नहीं अपनाया जा सकता है जब मुद्रास्फीति पहले से ही उच्च स्थिति में हो, परिणामस्वरूप निम्न संवृद्धि और उच्च मुद्रास्फीति (स्टैगफ्लेशन) के जाल से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है।
    • इसका एकमात्र समाधान उत्पादकता में वृद्धि करना है जो मुद्रास्फीति में वृद्धि किये बिना ही विकास को बढ़ावा देगा।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक क्या है?

  • यह सूचकांक अर्थव्यवस्था में विभिन्न क्षेत्रों के विकास का विवरण प्रस्तुत करता है, जैसे कि खनिज खनन, बिजली, विनिर्माण आदि।
  • इसे सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (Central Statistics Office-CSO), द्वारा मासिक रूप से संकलित और प्रकाशित किया जाता है।
  • IIP एक समग्र संकेतक है जो कि प्रमुख क्षेत्र (Core Sectors) एवं उपयोग आधारित क्षेत्र के आधार पर आँकड़े उपलब्ध कराता है।

इसमें शामिल आठ प्रमुख क्षेत्र (Core Sectors) निम्नलिखित हैं:

रिफाइनरी उत्पाद (Refinery Products) 28.04%
विद्युत (Electricity) 19.85%
इस्पात (Steel) 17.92%
कोयला (Coal) 10.33%
कच्चा तेल (Crude Oil) 8.98%
प्राकृतिक गैस (Natural Gas) 6.88%
सीमेंट (Cement) 5.37%
उर्वरक (Fertilizers) 2.63%

Industrial-production

IIP के आँकड़े कितने उपयोगी हैं?

  • IIP में आँकड़े मासिक स्तर पर जारी किये जाते हैं इसीलिये ये आँकड़े ऊपर-नीचे जाते रहते हैं।
  • इन आँकड़ों को एक या दो महीने के बाद संशोधित किया जाता है, इसलिये इसे "त्वरित अनुमान" कहा जाता है।
  • चूँकि 1 वर्ष के प्रोजेक्ट के लिये केवल 1 माह के आँकड़ों को आधार नहीं बनाया जा सकता, इसलिये यह पूरे वर्ष का होना चाहिये।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI):

  • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index -CPI) घरेलू उपभोक्ताओं द्वारा खरीदी गई वस्तुओं एवं सेवाओं जैसे- भोजन, कपड़े, आवास, मनोरंजन और परिवहन आदि के औसत मूल्य को मापने वाला एक सूचकांक है।
  • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की गणना वस्तुओं एवं सेवाओं के एक मानक समूह के औसत मूल्य की गणना करके की जाती है।
  • यह पालिसी ब्याज दर में परिवर्तन का आधार है।

स्रोत: द हिंदू

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