शासन व्यवस्था
ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी
- 18 Nov 2020
- 5 min read
प्रिलिम्स के लियेओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी, हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन एंड लाइसेंसिंग पॉलिसी मेन्स के लियेसरकार द्वारा अन्वेषण एवं लाइसेंसिंग नीति में किये गए सुधार |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (OALP) की पाँचवें राउंड की बोली के तहत पेश किये गए 11 तेल और गैस ब्लॉकों के लिये अनुबंध पर हस्ताक्षर किये गए।
प्रमुख बिंदु
- ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (OALP) के पाँचवें राउंड की बोली के तहत 465 करोड़ रुपए में कुल 11 ब्लॉकों में 19,789.04 वर्ग किमी. क्षेत्र का आवंटन किया गया।
- इस आवंटन के तहत 7 ब्लॉक ओएनजीसी लिमिटेड (ONGC Limited) को दिये गए हैं, जबकि 4 ब्लॉक ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) को दिये गए हैं।
ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (OALP)
- भारत सरकार द्वारा ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (OALP) की शुरुआत जून 2017 में हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन एंड लाइसेंसिंग पॉलिसी (HELP) के एक हिस्से के रूप में भारत में अन्वेषण और उत्पादन (E&P) संबंधी गतिविधियों में तेज़ी लाने के उद्देश्य से की गई थी।
- एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (OALP) के तहत कंपनियों और निवेशकों को बोली लगाने के लिये अपनी पसंद के मुताबिक तेल और गैस के अन्वेषण के लिये किसी भी ब्लॉक का चयन करने की अनुमति दी जाती है।
- इसके तहत निवेशकों को अपनी इच्छा के अनुसार, सरकार को रुचि-प्रकटन (Expression of Interest-EoI) देना होता है, जो कि एक वर्ष में कभी भी दी जा सकती है। इसके बाद सरकार द्वारा उस ब्लॉक को बोली (Bidding) में शामिल कर लिया जाता है।
- महत्त्व
- एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (OALP) के सफल कार्यान्वयन के बाद भारत के अन्वेषण क्षेत्र में काफी वृद्धि हुई है और वर्तमान में यह करीब 2,37,000 वर्ग किलोमीटर तक पहुँच गया है।
- एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (OALP) के कारण लालफीताशाही की समाप्ति हुई है और खोज व उत्पादन के क्षेत्र में भारत की स्थिति काफी मज़बूत हुई है।
- चिंताएँ
- अब तक के अनुभव से यह ज्ञात हुआ है कि अक्सर राज्य के स्वामित्त्व वाली कंपनियों को इस प्रक्रिया में अधिक वरीयता दी जा रही है, जिसके कारण इस क्षेत्र में निजी कंपनियों की पर्याप्त भूमिका नज़र नहीं आ रही है।
- पाँचवें राउंड में भी सभी ब्लॉक राज्य की स्वामित्व वाली ओएनजीसी लिमिटेड (ONGC Limited) और ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) को दिये गए हैं।
- हालिया राउंड में निजी निवेशकों की रुचि की कमी का सबसे मुख्य कारण सरकार की ओर से नीतिगत अस्पष्टता और कराधान तथा नियामक परिस्थिति की अनुपयुक्तता को माना जा रहा है।
- हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और उत्पादन के क्षेत्र में विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के भारत के प्रयास सफल होते नहीं दिखाई दे रहे हैं।
- अब तक के अनुभव से यह ज्ञात हुआ है कि अक्सर राज्य के स्वामित्त्व वाली कंपनियों को इस प्रक्रिया में अधिक वरीयता दी जा रही है, जिसके कारण इस क्षेत्र में निजी कंपनियों की पर्याप्त भूमिका नज़र नहीं आ रही है।
हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन एंड लाइसेंसिंग पॉलिसी (HELP)
- नई अन्वेषण लाइसेंसिंग नीति (NELP) के स्थान पर हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन एंड लाइसेंसिंग पॉलिसी (HELP) को मार्च 2016 में मंज़ूरी दी गई थी।
- इस नई व्यवस्था की मुख्य विशेषताओं में राजस्व साझा करने का समझौता, अन्वेषण के लिये एकल लाइसेंस, परंपरागत और गैर-परंपरागत हाइड्रोकार्बन संसाधनों का उत्पादन, मार्केटिंग एवं मूल्य निर्धारित करने की आज़ादी शामिल है।
- इस नीति का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना और प्रशासकीय विवेकाधिकार में कमी लाना है।