भारतीय अर्थव्यवस्था
कंटेनर की कमी
- 13 Sep 2021
- 4 min read
प्रिलिम्स के लिये:अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, आर्थिक सुधार, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड मेन्स के लिये:कंटेनर की कमी के कारण एवं अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कंटेनर की व्यापक कमी का प्रभाव अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में बड़े पैमाने पर देखा गया।
प्रमुख बिंदु
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कमी का कारण:
- शिपिंग जहाज़ों की कम संख्या:
- कोविड-19 महामारी के परिणामस्वरूप संचालित शिपिंग जहाज़ों की संख्या में कमी के चलते खाली कंटेनरों को कम संख्या में उठाया गया।
- भीड़/जमाव:
- चीनी बंदरगाहों पर भीड़भाड़ के कारण अमेरिका जैसे प्रमुख बंदरगाहों पर लंबी प्रतीक्षा अवधि भी कंटेनरों के लिये टर्नअराउंड समय में वृद्धि करने में योगदान दे रही है।
- शिपिंग जहाज़ों की कम संख्या:
- वैश्विक प्रभाव:
- एक सतत् वैश्विक आर्थिक सुधार ने व्यापार को गति प्रदान की है। कंटेनरों की उपलब्धता में कमी और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अपेक्षा से अधिक गति से रिकवरी ने परिवहन लागत दरों में काफी वृद्धि की है।
- इससे परिवहन लागत दरों में 300% से अधिक की वृद्धि हुई है।
- एक सतत् वैश्विक आर्थिक सुधार ने व्यापार को गति प्रदान की है। कंटेनरों की उपलब्धता में कमी और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अपेक्षा से अधिक गति से रिकवरी ने परिवहन लागत दरों में काफी वृद्धि की है।
- भारत पर प्रभाव:
- भारतीय निर्यातकों को अपने शिपमेंट में अधिक देरी का सामना करने के परिणामस्वरूप तरलता के मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उन्हें निर्यात की गई वस्तुओं हेतु भुगतान प्राप्त करने के लिये लंबा इंतजार करना पड़ता है।
- तरलता से तात्पर्य उस सहजता से है जिसके साथ किसी परिसंपत्ति या सुरक्षा को उसके बाज़ार मूल्य को प्रभावित किये बिना तैयार नकदी में परिवर्तित किया जा सकता है।
- भारत में जहाज़ों के लिये उच्च टर्नअराउंड समय जैसी संरचनात्मक समस्याएँ भी समस्या को बढ़ाती हैं।
- भारतीय निर्यातकों को अपने शिपमेंट में अधिक देरी का सामना करने के परिणामस्वरूप तरलता के मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उन्हें निर्यात की गई वस्तुओं हेतु भुगतान प्राप्त करने के लिये लंबा इंतजार करना पड़ता है।
- सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
- केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने अपने अधिकारियों को निर्यातकों के लिये कंटेनरों की उपलब्धता को आसान बनाने के उद्देश्य से लावारिस (Unclaimed) रखे गए कंटेनर्स, अस्पष्ट और ज़ब्त की गई वस्तुओं का शीघ्र निपटान करने का निर्देश दिया है।
आगे की राह
- सरकार खाली कंटेनरों के निर्यात को नियंत्रित कर सकती है। यह वित्तीय वर्ष के अंत तक सभी निर्यातों के लिये माल ढुलाई सहायता योजना को भी अधिसूचित कर सकती है, हालाँकि भारतीय निर्यात संगठनों के संघ (Federation of IndianExport Organisations) के अनुरोध पर माल ढुलाई दरों के सामान्य होने की उम्मीद है।
- सरकार उच्च दरों पर प्राथमिकता के आधार पर बुकिंग की पेशकश करने के लिये शिपिंग लाइनों को एक कदम पीछे धकेल सकती है, यह कहते हुए कि शिपिंग लाइनें पहले आओ पहले पाओ के आधार पर बुकिंग कर सकती हैं।