भारतीय अर्थव्यवस्था
उपभोक्ता संरक्षण (प्रत्यक्ष बिक्री) नियम, 2021
- 29 Dec 2021
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:उपभोक्ता संरक्षण (प्रत्यक्ष बिक्री) नियम, 2021, कंपनी अधिनियम, सीमित देयता भागीदारी अधिनियम, 2008 के प्रावधान मेन्स के लिये:उपभोक्ता संरक्षण (डायरेक्ट सेलिंग) नियम के प्रावधान, उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा में उपभोक्ता संरक्षण (डायरेक्ट सेलिंग) नियम, 2021 की भूमिका |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार ने प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग के लिये उपभोक्ता संरक्षण (प्रत्यक्ष बिक्री) नियम, 2021 को अधिसूचित किया है।
- यह पिरामिड योजनाओं के प्रचार और धन संचलन योजनाओं में भागीदारी को प्रतिबंधित करता है।
- इसे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए अधिसूचित किया गया है।
- इससे पहले सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 के प्रावधानों को अधिसूचित और प्रभावी किया था।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- ये नियम "उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा" करने के लिये प्रत्यक्ष बिक्री संस्थाओं तथा उनके प्रत्यक्ष विक्रेताओं दोनों के कर्तव्यों और दायित्वों को निर्धारित करते हैं।
- मौजूदा डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे 90 दिनों के भीतर नियमों का पालन करें।
- हालाँकि प्रत्यक्ष विक्रेताओं के साथ-साथ बिक्री के लिये ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का उपयोग करने वाली प्रत्यक्ष बिक्री संस्थाएँ उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 की आवश्यकताओं का पालन करेंगी।
- नियमों की प्रयोज्यता- यह निम्नलिखित पर लागू होगा:
- प्रत्यक्ष बिक्री के माध्यम से खरीदे या बेचे जाने वाले सभी सामान और सेवाएँ।
- प्रत्यक्ष बिक्री के सभी मॉडल, भारत में उपभोक्ताओं को वस्तुओं और सेवाओं की पेशकश करने वाली सभी प्रत्यक्ष बिक्री संस्थाएँ।
- प्रत्यक्ष बिक्री के सभी मॉडलों में सभी प्रकार के अनुचित व्यापार व्यवहार।
- प्रत्यक्ष बिक्री वाली संस्थाओं के लिये जो भारत में स्थापित नहीं हैं, लेकिन भारत में उपभोक्ताओं को सामान या सेवाएँ प्रदान करती हैं।
- नए नियमों के प्रमुख प्रावधान:
- गतिविधियों की निगरानी के लिये तंत्र:
- इसने राज्य सरकारों को प्रत्यक्ष विक्रेताओं और प्रत्यक्ष बिक्री संस्थाओं की गतिविधियों की निगरानी या निगरानी के लिये एक तंत्र स्थापित करने हेतु निर्देशित किया।
- शिकायत निवारण तंत्र:
- डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों को पर्याप्त शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता होगी।
- ऐसी वस्तुओं या सेवाओं की प्रामाणिकता से संबंधित किसी भी कार्रवाई में प्रत्यक्ष बिक्री संस्थाओं को दायित्त्व वहन करना होगा।
- प्रत्येक प्रत्यक्ष बिक्री इकाई को एक नोडल अधिकारी नियुक्त करना होगा जो अधिनियम और नियमों के प्रावधानों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिये ज़िम्मेदार होगा।
- डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों को पर्याप्त शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता होगी।
- उपभोक्ताओं को खरीदारी के लिये उत्प्रेरित न करना:
- प्रत्यक्ष बिक्री कंपनियाँ या उनके प्रत्यक्ष विक्रेता उपभोक्ताओं को इस आधार पर खरीदारी करने के लिये उत्प्रेरित नहीं कर सकती हैं कि वे संभावित ग्राहकों को समान खरीदने के लिये प्रत्यक्ष विक्रेताओं को संदर्भित करके कीमत को कम या वसूल कर सकते हैं।
- प्रत्यक्ष बिक्री संस्थाओं पर दायित्व:
- अधिनियमों के तहत निगमन:
- कंपनी अधिनियम 2013 के तहत निगमन या यदि एक साझेदारी फर्म है, तो साझेदारी अधिनियम, 1932 के तहत पंजीकृत हो, या यदि एक सीमित देयता भागीदारी है, तो सीमित देयता भागीदारी अधिनियम, 2008 के तहत पंजीकृत हो।
- भौतिक रूप से उपस्थित हो:
- भारत के भीतर एक पंजीकृत कार्यालय के रूप भौतिक उपस्थिति होनी आवश्यक है।
- स्व-घोषणा:
- संस्थाओं को इस बात की स्व-घोषणा करनी होगी कि डायरेक्ट सेलिंग एंटिटी ने डायरेक्ट सेलिंग नियमों के प्रावधानों का पालन किया है और किसी पिरामिड योजना या मनी सर्कुलेशन योजना में शामिल नहीं है।
- अधिनियमों के तहत निगमन:
- गतिविधियों की निगरानी के लिये तंत्र:
- महत्त्व:
- ये नए नियम बाज़ार में स्पष्टता लाएंगे और प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग को प्रोत्साहन देंगे, जो पहले से ही 70 लाख से अधिक भारतीयों को आजीविका प्रदान कर रहा है, जिसमें 50% से अधिक महिलाएँ हैं।
उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020
- परिचय:
- उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 अनिवार्य है, सलाहकारी नहीं।
- प्रयोज्यता:
- ये नियम सभी ई-कॉमर्स खुदरा विक्रेताओं पर लागू होते हैं, जो भारतीय उपभोक्ताओं को सामान और सेवाएँ प्रदान करते हैं, चाहे वे भारत में पंजीकृत हों अथवा विदेश में।
- नोडल अधिकारी:
- ई-कॉमर्स संस्थाओं को अधिनियम या नियमों के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु भारत में एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति करने की आवश्यकता है।
- कीमत और एक्सपायरी तिथि:
- ई-कॉमर्स विक्रेताओं को बिक्री के लिये दी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की कुल कीमत प्रदर्शित करनी होगी, जिसमें अन्य शुल्कों के साथ कुल शुल्क का ब्रेकअप भी शामिल होगा।
- इसके अलावा वस्तु की एक्सपायरी तिथि का भी स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया जाना चाहिये।