पिछड़ा वर्ग पैनल को संवैधानिक दर्ज़ा? | 07 Jul 2017
संदर्भ
केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को संवैधानिक दर्ज़ा दिये जाने के प्रयासों के कारण राजस्थान में गुर्जर समुदायों को विशेष पिछड़ा वर्ग (एसबीसी) श्रेणी में आरक्षण दिये जाने का मुद्दा जटिल हो गया है।
प्रमुख घटनाक्रम
- राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को संवैधानिक दर्ज़ा दिये जाने संबंधी एक विधेयक को संसद के इसी मानसून सत्र में पारित किया जा सकता है।
- एनसीबीसी को संवैधानिक दर्ज़ा दिये जाने से आरक्षण के लिये पिछड़ा वर्ग की सूची में विभिन्न जातियों एवं वर्गों के नामों को जोड़ने या घटाने की राज्यों की शक्तियाँ समाप्त हो जाएंगी। तब राज्य सरकारों के पास केवल इस संबंध में सिफारिश करने की शक्ति रह जाएगी ।
- गौरतलब है कि राजस्थान में गुर्जर समुदाय स्वयं को विशेष पिछड़ा वर्ग (एसबीसी) श्रेणी में आरक्षण दिये जाने की माँग कर रहा है।
- राजस्थान में इस आरक्षण के आंदोलन में शामिल गुर्जर युवाओं के खिलाफ अदालतों और पुलिस स्टेशन स्तर पर 274 आपराधिक मामलें दर्ज़ हैं।
राष्ट्रीय सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग आयोग
- देश के सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों की आवाज सुनने के लिये अब पहली बार संवैधानिक व्यवस्था होने जा रही है। केंद्र सरकार ने इसके लिये "राष्ट्रीय सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग आयोग" के गठन को मंजूरी दे दी है।
- नया आयोग पिछड़े वर्ग की अपने स्तर से पहचान भी करेगा, जिसे मानना सरकार के लिये बाध्यकारी होगा।
- देश में पिछड़े वर्गों की पहचान और उनकी शिकायतों की सुनवाई के लिये केंद्र सरकार ने यह एक बड़ा कदम उठाया है।
- इसका नाम "राष्ट्रीय सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग आयोग" होगा। साथ ही इसे संवैधानिक दर्ज़ा हासिल होगा। इसके लिये संसद में जल्दी ही संविधान संशोधन विधेयक लाया जाएगा।
- इसके साथ ही पहले से चले आ रहे राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को समाप्त कर दिया जाएगा।
- इस आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और तीन सदस्य होंगे। यह विभिन्न वर्गों की ओर से पिछड़े वर्ग में शामिल किए जाने की मांग पर भी विचार करेगा। साथ ही पिछड़ा वर्ग की सूची में किसी खास वर्ग के ज्यादा प्रतिनिधित्व या कम प्रतिनिधित्व पर भी यही सुनवाई करेगा।
- पिछड़े वर्गों की केंद्रीय सूची में किसी भी वर्ग को जोड़ने या हटाने के लिये संसद की स्वीकृति लेने संबंधी अनुच्छेद 342(ए) जोड़ा जाएगा। यह भी तय किया गया है कि आयोग की सिफारिश सामान्य तौर पर सरकार को माननी ही होगी।
वर्तमान में पिछड़ा वर्ग आयोग की स्थिति
- वर्तमान राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्ज़ा प्राप्त नहीं है। यह केंद्र सरकार के सामाजिक कल्याण और अधिकारिता मंत्रालय के तहत चलने वाला वैधानिक आयोग है। 1993 में संसद में पारित कानून के तहत मौजूदा आयोग का गठन किया गया था।
- यह एक वैधानिक संस्था है। इसके तहत सरकार के स्तर पर ही फैसले होते हैं।
- आयोग का एक अध्यक्ष होता है और चार अन्य सदस्य होते हैं।
- इसका काम किसी वर्ग को पिछड़ों की सूची में शामिल किये जाने के अनुरोधों की जाँच करना है। आयोग केंद्र सरकार को ऐसे सुझाव देता है, जो उसे उचित लगता है।