संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2021 | 07 Aug 2021
प्रिलिम्स के लिये:संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2021, राज्यसभा, भारत की संचित निधि, जनगणना, 2011 मेन्स के लिये:संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2021 का अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों हेतु महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राज्यसभा ने संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित किया है।
- यह विधेयक अरुणाचल प्रदेश राज्य से संबंधित संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 की अनुसूची के भाग-XVIII को संशोधित करने का प्रावधान करता है।
प्रमुख बिंदु
विधेयक के संबंध में:
- यह अरुणाचल प्रदेश द्वारा अनुशंसित अनुसूचित जनजातियों की संवैधानिक सूची में संशोधन करना चाहता है।
- वर्तमान में अरुणाचल प्रदेश राज्य के संबंध में अनुसूचित जनजातियों की दृष्टांत सूची में 18 समुदाय हैं।
- अरुणाचल प्रदेश राज्य से संबंधित अनुसूचित जनजातियों की सूची में यह संशोधन विधेयक में प्रस्तावित समुदायों के लोगों को प्रदान किये जाने वाले लाभों हेतु भारत की संचित निधि से कोई अतिरिक्त आवर्ती व्यय नहीं करेगा।
- जनजातीय कार्य मंत्रालय अनुसूचित जनजाति की आबादी (10.45 करोड़) के कल्याण के लिये वित्तपोषण कर रहा है (जनगणना, 2011)।
- इसके अलावा अनुसूचित जनजाति के लोग केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की योजनाओं में भी अनुसूचित जनजाति घटक (STC) के तहत लाभ के पात्र हैं।
- अनुसूचित जनजाति घटक का मूल उद्देश्य अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिये कम-से-कम उनकी जनसंख्या के अनुपात में केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों में सामान्य क्षेत्रों से होने वाले परिव्यय और लाभों के प्रवाह को दिशा देना/निगरानी करना है।
- विधेयक अरुणाचल प्रदेश में चिह्नित अनुसूचित जनजातियों की सूची से अबोर (Abor) जनजाति को हटाता है। इसके अलावा यह कुछ अनुसूचित जनजातियों को अन्य जनजातियों के साथ प्रतिस्थापित करता है (जैसा कि नीचे दर्शाया गया है):
मूल सूची |
विधेयक के तहत प्रस्तावित परिवर्तन |
अबोर |
सूची से हटा दिया गया है। |
खाम्प्टी |
ताई खाम्प्टी |
मिश्मी, इदु और तारों |
मिश्मी-कमान (मिजू मिश्मी), इदु (मिश्मी) और तारों (दिगारू मिश्मी) |
मोम्बा |
मोनपा, मेंबा, सरतांग और सजोलंग (मिजी) |
कोई भी नागा जनजाति |
नोक्टे, तांगसा, तुत्सा और वांचो |
अरुणाचल प्रदेश में अनुसूचित जनजाति:
- 2001 की जनगणना के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश की कुल जनसंख्या का लगभग 64.2 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति (ST) है।
- राज्य ने 1991-2001 की जनगणना में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या में 28.1 प्रतिशत की दशकीय वृद्धि दर्ज की है।
अनुसूचित जनजाति:
- संविधान का अनुच्छेद 366 (25) अनुसूचित जनजातियों को उन समुदायों के रूप में संदर्भित करता है, जो संविधान के अनुच्छेद 342 के अनुसार निर्धारित हैं।
- अनुच्छेद 342 के अनुसार, केवल वे समुदाय जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा प्रारंभिक सार्वजनिक अधिसूचना के माध्यम से या संसद के बाद के संशोधन अधिनियम के माध्यम से ऐसा घोषित किया गया है, उन्हें अनुसूचित जनजाति माना जाएगा।
- अनुसूचित जनजातियों की सूची राज्य/संघ राज्य क्षेत्र विशिष्ट है और एक राज्य में अनुसूचित जनजाति के रूप में घोषित समुदाय के लिये दूसरे राज्य में भी ऐसा होने की आवश्यकता नहीं है।
- किसी समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में निर्दिष्ट करने के मानदंड के बारे में संविधान मौन है। आदिमता, भौगोलिक अलगाव, शर्म और सामाजिक, शैक्षिक तथा आर्थिक पिछड़ापन ऐसे लक्षण हैं जो अनुसूचित जनजाति समुदायों को अन्य समुदायों से अलग करते हैं।
- कुछ अनुसूचित जनजातियाँ, जिनकी संख्या 75 है, उन्हें विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) के रूप में जाना जाता है, इनकी विशेषता है:
- प्रौद्योगिकी पूर्व कृषि स्तर
- स्थिर या घटती जनसंख्या
- अत्यंत कम साक्षरता
- अर्थव्यवस्था का निर्वाह स्तर
- सरकार की पहल: अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 (FRA), पंचायतों का प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996, लघु वनोपज अधिनियम 2005, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम और जनजातीय उप-योजना रणनीति जो कि अनुसूचित जनजातियों के सामाजिक-आर्थिक सशक्तीकरण पर केंद्रित हैं।