मेट्रो रेल प्रणाली में मानकीकरण और स्वदेशीकरण के लिये समिति का गठन | 20 Sep 2018
चर्चा में क्यों?
देश की प्रगति के लिये परिवहन संरचना एक महत्त्वपूर्ण कारक है। तेज़ी से हो रहे औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, वैश्वीकरण तथा शहरी केंद्रों के कारण शहरों तथा नगरों में तेज़ गति से आबादी सघन होती जा रही है। इस तेज़ गति के साथ लोगों और वस्तुओं की आवाजाही तथा विभिन्न सेवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु मेट्रो रेल परियोजनाएँ न केवल परिवहन समाधान के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं, बल्कि शहरों की स्थिति को बदलने के साधन के रूप में भी कार्य कर रही हैं।
देश में मेट्रो की स्थिति
- देश के दस नगरों में 490 किलोमीटर की मेट्रो लाइनें चालू हैं। विभिन्न शहरों में 600 किलोमीटर से अधिक की मेट्रो रेल परियोजनाएँ निर्माणाधीन हैं।
- आने वाले वर्षों में मेट्रो रेल क्षेत्र में काफी विस्तार होने की संभावना है। अगले कुछ वर्षों में 350 किलोमीटर से अधिक की मेट्रो रेल लाइनों का निर्माण किया जाएगा, क्योंकि शहरों के विस्तार या मेट्रो रेल के नए निर्माण की योजनाएँ बनाई जा रही हैं।
- दिल्ली और एनसीआर में भीड़भाड़ को कम करने के लिये मेट्रो रेल नेटवर्क के अतिरिक्त क्षेत्रीय रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (आरआरटीएस) चलाया जा रहा है।
- आरआरटीएस के पहले चरण में तीन गलियारों का निर्माण किया जाएगा, जो लगभग 380 किलोमीटर की कुल लम्बाई को कवर करते हैं। इस परिवहन व्यवस्था से दिल्ली, सोनीपत, अलवर तथा मेरठ से जुड़ जाएगी।
वित्तीय स्थिति
- भारत सरकार मेट्रो रेल परियोजनाओं को लागू करने के लिए वित्तीय समर्थन दे रही है। सरकार एक्विटी तथा गौण बॉण्ड और बहुपक्षीय तथा द्विपक्षीय ऋणों की गारंटी देकर वित्तीय समर्थन प्रदान कर रही है।
- पिछले चार वर्षों में मेट्रो रेल परियोजनाओं के लिये केंद्र सरकार के बजट आवंटन में वृद्धि, हमारे शहरों को भीड़भाड़ तथा जाम से मुक्त करने और आवाजाही बढ़ाने के साक्ष्य के रूप में देखा जा सकता है।
- राज्य सरकारों, निजी साझेदारों और निवेशकों के अतिरिक्त केंद्र सरकार का बजट आवंटन बढ़कर 25,000 करोड़ रुपए वार्षिक हो सकता है।
अन्य महत्त्वपूर्ण कदम
- देश में मेट्रो रेल परियोजनाओं के प्रणालीगत और सतत् विकास के लिये विभिन्न अन्य कदम उठाए गए हैं। रेल बोर्ड से सहमति मिलने के बाद रॉलिंग स्टॉक तथा सिग्नल प्रणालियों या मेट्रो रेल के लिये मानकों को 2017 में अधिसूचित किया गया।
- रॉलिंग स्टॉक के लिये मानकों से ढाँचे का मानक तय होता है। हाल में इलेक्ट्रिकल प्रणालियों के लिये रेल बोर्ड द्वारा मानक स्वीकृत किये गए हैं और शीघ्र ही इसकी अधिसूचना जारी की जाएगी।
- विभिन्न नई मेट्रो प्रणालियों ने अधिसूचित मानकों के अनुसार प्रणालियों की खरीदारी प्रारंभ कर दी है।
- आवास और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा स्वीकृत अनुसंधान परियोजना के माध्यम से एनपीसीआई तथा सी-डैक द्वारा डीएमआरसी के सहयोग से स्वचालित किराया संग्रह प्रणाली तथा रुपे मानक पर आधारित संपूर्ण प्रणाली के लिये विस्तृत विनिर्देश तैयार किये गए हैं।
ई. श्रीधरन की अध्यक्षता में समिति का गठन
- मेट्रो रेल में मानकीकरण और स्वदेशीकरण के लिये डॉ. ई. श्रीधरन की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई है, जिसमें एक अध्यक्ष के अलावा सात अन्य सदस्य एवं आवास और शहरी कार्य मंत्रालय का पद संयुक्त सचिव शामिल हैं।
- यह समिति तीन महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। तीन महीनों के बाद मानकीकरण के विशेष कार्य के आधार पर डॉ. श्रीधरन निर्दिष्ट अवधि के लिये विशेषज्ञ सदस्यों को शामिल कर सकते हैं।
स्वदेशी पर अधिक बल
- बीईएल को कहा गया है कि वह अपनी निधि से गेट का प्रोटोटाइप बनाए।
- इस कार्य के लिये पहले ही काफी मात्रा में धन खर्च किया जा चुका हैं और अब अक्तूबर, 2018 में राष्ट्रीय कॉमन मोबीलिटी कार्ड (एनसीएमसी) पर आधारित पहला स्वदेशी गेट लॉन्च किये जाने की संभावना है।
- विश्व की सर्वाधिक आधुनिक सिग्नल प्रणाली यानी संचार आधारित ट्रेन नियंत्रण (सीबीटीसी) प्रणाली के विनिर्देश संयुक्त रूप से बीईएल, सी-डैक, डीएमआरसी, एसटीक्यूसी द्वारा आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के माध्यम से तैयार किये जा रहे हैं। सीबीटीसी प्रणाली पहली बार देश में कोच्चि मेट्रो रेल द्वारा लागू की गई।
- लेकिन कई अन्य क्षेत्र हैं जिनके लिये स्वदेशी मानक बनाए जाने की आवश्यकता है। इनमें मेट्रो स्टेशन की रूपरेखा, प्लेटफॉर्म, संकेतक, सुरंगों का आकार, अग्नि सुरक्षा प्रणाली, आपदा प्रबंधन प्रणाली, पर्यावरण अनुकूल और कचरा प्रबंधन प्रणाली तथा स्टेशनों पर सौर पैनलों के लिये मानक शामिल हैं।
- इन स्वदेशी मानकों से यह सुनिश्चित होगा कि सभी नई मेट्रो परियोजनाओं के लिये मेट्रो रेल उप-प्रणालियाँ निर्धारित मानकों की पुष्टि करती हैं।