समेकित एफ.डी.आई. नीति दस्तावेज़ | 30 Aug 2017
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सरकार द्वारा समेकित एफ.डी.आई. नीति दस्तावेज़ (consolidated FDI policy document) के नवीनतम संस्करण को प्रकाशित किया गया, जो कि पिछले एक साल में किये गए परिवर्तनों का संकलन है।
- इस पहल का लक्ष्य भारत में ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (ease of doing business) को सशक्त बनाना तथा अधिक से अधिक विदेशी निवेश को आकर्षित करने हेतु विदेशी निवेशकों के लिये एक निवेशक-अनुकूल माहौल तैयार करना है।
पृष्ठभूमि
- पिछले एक साल में रक्षा, नागरिक उड्डयन, निर्माण और विकास, समाचार प्रसारण तथा निजी सुरक्षा एजेंसियों सहित अभूत से क्षेत्रों में एफ.डी.आई. नीति को उदार बनाया गया है। इन सभी सुधारों को इस दस्तावेज़ के अंतर्गत् शामिल किया गया है।
प्रमुख बिंद
- सक्षम प्राधिकारी (Competent authority)
⇒ इस दस्तावेज़ में एफ.डी.आई. अनुमोदनों के लिये एक "सक्षम प्राधिकारी" (competent authority) की नियुक्ति की घोषणा की गई है।
⇒ इस अधिकारी को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (Foreign Investment Promotion Board) की अनुपस्थिति में मुख्य रूप से प्रशासनिक विभागों (administrative departments) को संभालने का अधिकार दिया जाएगा।
⇒ जबकि बैंकिंग, खनन, रक्षा, प्रसारण, नागरिक उड्डयन, दूरसंचार, फार्मास्यूटिकल्स (pharmaceuticals) आदि क्षेत्रों से संबंधित प्रस्तावों को प्रशासनिक मंत्रालयों द्वारा अनुमोदित किया जाएगा होगा।
⇒ इसके अतिरिक्त खुदरा (एकल तथा बहु-ब्रांड और खाद्य) क्षेत्रों सहित संबंधित प्रस्तावों को मंजूरी देने का अधिकार डी.आई.पी.पी. (Department of Industrial Policy & Promotion – DIPP) का होगा।
⇒ वित्तीय सेवाओं से संबंधित उन सभी प्रस्तावों के लिये जो किसी वित्तीय क्षेत्र के नियामक द्वारा विनियमित नहीं हैं या जहाँ वित्तीय सेवाओं की गतिविधि का केवल एक हिस्सा ही विनियमित किया गया है अथवा जहाँ नियामक निरीक्षण के विषय में कोई भी संदेह है, इन सभी के संबंध में आर्थिक मामलों के विभाग (department of economic affairs) द्वारा कार्यवाही की जाएगी।
- संगणना (Computation)
⇒ उक्त दस्तावेज़ के अंतर्गत औपचारिक रूप से स्पष्ट किया गया है कि ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस (e-commerce marketplace) के माध्यम से किसी विक्रेता की बिक्री पर लगाए जाने वाले 25% प्रतिबंध (restriction of 25% on sales) की गणना वित्तीय वर्ष के आधार पर की जाएगी।
- स्टार्ट-अप का समावेशन (Inclusion of start-ups)
⇒ पहली बार, इस दस्तावेज़ में स्टार्ट-अप्स (start-ups) को शामिल किया गया है।
⇒ दस्तावेज़ में उल्लेखित मानदंडों के अनुसार, स्टार्ट-अप विदेशी उद्यम पूंजी निवेशकों (Foreign Venture Capital Investors - FVCIs) से 100% धनराशि का सृजन कर सकते हैं।
⇒ विदेशी प्रेषण (foreign remittance) की प्राप्ति के विरुद्ध स्टार्ट-अप इक्विटी (equity) या इक्विटी-लिंक्ड इंस्ट्रूमेंट्स या डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स (equity-linked instruments or debt instruments) को एफ.वी.सी.आई. को जारी सकते हैं।
⇒ इसके अलावा, भारत के बाहर निवास करने वाले किसी भी व्यक्ति (पाकिस्तान और बांग्लादेश की संस्थाओं एवं नागरिकों के अलावा) को किसी भारतीय स्टार्ट-अप कंपनी (Indian start-up company) द्वारा जारी किये जाने वाले 25 लाख या उससे अधिक राशि के परिवर्तनीय नोट्स (convertible notes) खरीदने की अनुमति होगी।
⇒ अनिवासी भारतीय भी गैर-प्रत्यावर्तन (non-repatriation) के आधार पर परिवर्तनीय नोटों (convertible notes) को प्राप्त कर सकते हैं।
- उद्यम पूंजी निधि (venture capital fund) की परिभाषा
⇒ एफ.डी.आई. के तहत वेंचर कैपिटल फंड (venture capital fund) की जटिल परिभाषाओं के बजाय इसे अब सेबी (वेंचर कैपिटल फंड्स) विनियम (Sebi (Venture Capital Funds) Regulations), 1996 के तहत् पंजीकृत करते हुए एक फंड के रूप में परिभाषित किया गया है।