भारतीय विरासत और संस्कृति
प्राचीन बौद्ध स्थल का संरक्षण
- 11 Jul 2022
- 5 min read
प्रिलिम्स के लिये:ASI, बौद्ध, अशोक के शिलालेख। मेन्स के लिये:मौर्य और सातवाहन, ब्राह्मी लिपि। |
चर्चा में क्यों?
भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) कर्नाटक के कलबुर्गी ज़िले में कानागनहल्ली (सन्नति स्थल का हिस्सा) के पास भीमा नदी के तट पर प्राचीन बौद्ध स्थल का संरक्षण करेगा।
- संरक्षण परियोजना के तहत खुदाई में प्राप्त महा स्तूप के अवशेषों को बिना किसी अलंकरण के उनकी मूल स्थिति में पुनर्स्थापित किया जाएगा और साथ ही समान आकार और बनावट की नव-निर्मित ईंटों का उपयोग करके अयाका प्लेटफाॅर्मों (Ayaka Platforms) के गिरे हुए हिस्सों का पुनर्निर्माण करेगी।
उत्खनन के निष्कर्ष:
- अशोक के शिलालेख:
- अशोक के शिलालेखों के साथ-साथ पत्थरों और गुफाओं की दीवारों पर तीस से अधिक शिलालेखों का संग्रह है, मौर्य साम्राज्य के सम्राट अशोक ने इनका निर्माण करवाया था, जिन्होंने 268 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व तक शासन किया था।
- महा स्तूप:
- एक महा स्तूप की खोज की गई थी जिसे शिलालेखों में अधोलोक महा चैत्य (नीदरलोक का महान स्तूप) के रूप में संदर्भित किया गया था और अधिक महत्त्वपूर्ण रूप से सम्राट अशोक का भित्तिचित्र उनकी रानियों और महिला परिचारकों से घिरा हुआ था।
- माना जाता है कि महा स्तूप को तीन निर्माण चरणों में विकसित किया गया था - मौर्य, प्रारंभिक सातवाहन और बाद में सातवाहन काल जो तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी ईस्वी तक फैला हुआ था।
- माना जाता है कि भूकंप में स्तूप नष्ट हो गया था।
- यह अपने समय के सबसे बड़े स्तूपों में से एक है, भित्तिचित्र को मौर्य सम्राट की एकमात्र जीवित छवि माना जाता है, जिस पर ब्राह्मी में 'राय अशोक' शिलालेख था।
- एक महा स्तूप की खोज की गई थी जिसे शिलालेखों में अधोलोक महा चैत्य (नीदरलोक का महान स्तूप) के रूप में संदर्भित किया गया था और अधिक महत्त्वपूर्ण रूप से सम्राट अशोक का भित्तिचित्र उनकी रानियों और महिला परिचारकों से घिरा हुआ था।
अन्य प्रमुख बिंदु:
- जातक कथाओं का मूर्तिकलात्मक प्रतिपादन।
- जातक बौद्ध कला और साहित्य का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं।
- वे बुद्ध (प्रबुद्ध व्यक्ति) के पिछले अस्तित्व या जन्म का वर्णन करते हैं, जब वे मानव और गैर-मानव दोनों रूपों में बोधिसत्व (ऐसे प्राणी जो अभी तक ज्ञान या मोक्ष प्राप्त नहीं कर पाए हैं) के रूप में प्रकट हुए थे।
- सातवाहन राजशाही और अशोक द्वारा विभिन्न भागों में भेजे गए बौद्ध मिशनरियों के कुछ अद्वितीय चित्रण।
- विभिन्न धर्म चक्रों से सजाए गए 72 मृदंग पट्टी (Drum-Slabs)।
- यक्ष और सिंह की मूर्तियांँ।
- यक्ष (पुरुष प्रकृति की आत्माएंँ) प्राकृतिक दुनिया की पहचान हैं।
- समय के साथ उन्हें बौद्ध और हिंदू देवताओं दोनों में सामान्य देवताओं के रूप में पूजा की जाती थी, जो अक्सर पृथ्वी के धन के संरक्षक के रूप में कार्य करते थे और वे धन से जुड़े हुए थे।
- विभिन्न पुरालेखीय विशेषताओं वाले ब्राह्मी शिलालेख:
- ब्राह्मी लिपि सबसे पुरानी लेखन प्रणालियों में से एक है, जिसका उपयोग भारतीय उपमहाद्वीप और मध्य एशिया में अंतिम शताब्दी ईसा पूर्व एवं प्रारंभिक शताब्दी के दौरान किया गया था।
सातवाहन:
- मौर्यों के पतन के बाद दक्कन में सातवाहनों ने अपना स्वतंत्र शासन स्थापित किया। उनका शासन लगभग 450 वर्षों तक चला।
- उन्हें आंध्र के नाम से भी जाना जाता था।
- पुराण और नासिक एवं नानागढ़ शिलालेख सातवाहनों के इतिहास के लिये महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं।
- सातवाहन वंश का संस्थापक सिमुक था। सातवाहन वंश का सबसे महान शासक गौतमीपुत्र सातकर्णी था।
- सातवाहनों ने बौद्ध धर्म और ब्राह्मणवाद को संरक्षण दिया। सातवाहनों द्वारा अश्वमेध और राजसूय यज्ञों के प्रदर्शन के साथ ब्राह्मणवाद को पुनर्जीवित किया था।
- उन्होंने प्राकृत भाषा और साहित्य को भी संरक्षण दिया।