जीएसटी आंकड़ों का कैग द्वारा लेखा-परीक्षण किये जाने पर भ्रम की स्थिति | 05 Apr 2017
संदर्भ
गौरतलब है कि वर्तमान में जीएसटी के संबंध में आँकड़ों को कैसे प्राप्त किया जाए यह एक गंभीर प्रश्न बनता जा रहा है| जीएसटी के आँकड़ों के प्रबंधन के संबंध में कैग की भूमिका पर अभी भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है| हालाँकि यह ओर बात है कि सैकड़ों कैग लेखा-परीक्षकों को एक जुलाई से लागू होने वाली नई कर प्रणाली के लिये विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है|
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि इस भ्रम की स्थिति के मद्देनज़र ही कई सरकारी अधिकारियों द्वारा इस बात पर विशेष ज़ोर दिया जा रहा हैं कि प्रस्तावित कर प्रणाली को नियत समय पर ही लागू किया जाना चाहिये अथवा नहीं|
- ध्यातव्य है कि जीएसटी नेटवर्क (जो कि राष्ट्रीय स्तर पर कर प्रणाली का एक इलेक्ट्रॉनिक आधार है) की जाँच भी मई 2017 से आरंभ की जायेगी|
चिंता के कारण
- जैसा कि हम सभी जानते है कि जीएसटी प्रणाली के पूर्ण कार्यान्वयन, राज्यों के लिये क्षतिपूर्ति का निर्धारण और राजस्व में उनकी हिस्सेदारी का निर्धारण करने के लिये कैग के लेखा परीक्षक को विभिन्न डाटा समूहों की आवश्यकता होगी, जो कि वर्तमान स्थितियों में एक कठिन कार्य प्रतीत हो रहा है|
- वस्तुतः इन आँकड़ाबद्ध सूचनाओं में से एक राजस्व के डाटा से संबंधित है जिसमें एल्कोहल और पेट्रोकेमिकल के माध्यम से राज्यों को प्राप्त होने वाले कर संबंधी सूचनाएँ शामिल है| ध्यातव्य है कि इन दोनों ही उत्पादों को अभी जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया हैं|
- इसके अतिरिक्त कैग के लेखा परीक्षक जीएसटी के आँकड़ों को किस माध्यम से और कैसे प्राप्त करेंगे? इस विषय में अभी तक कोई स्पष्ट जानकारी प्राप्त नहीं हुई हैं|
- इसमें कोई संदेह नहीं है कि जीएसटीएन के अंतर्गत अपनी क्षमता के साथ आँकड़ों को संग्रहित किया जाता है| वास्तव में कर संबंधी ये सभी आँकड़ें केंद्र और राज्यों सरकारों के होते हैं|
- उक्त सन्दर्भ में अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, एक अन्य समस्या यह कि अभी तक जीएसटीएन एक निजी कंपनी के स्वामित्व में है| अतः स्पष्ट है कि इसका लेखा परीक्षण कैग द्वारा नहीं किया जा सकता है|
- हालाँकि हाल में हुई कुछ आधिकारिक वार्ताओं में कैग ने यह संकेत दिया है कि नए कंपनी अधिनियम के अंतर्गत, जीएसटीएन को सरकारी नियंत्रण की कंपनी कहा जा सकता है| इसका कारण यह है कि इस कंपनी का सामरिक नियंत्रण सरकार के हाथ में है|
- ध्यातव्य है कि किसी भी सार्वजानिक क्षेत्र के उपक्रम की भाँति जीएसटीएन का लेखा परीक्षण करने के लिये कैग चार्टेड अकाउंटेंट की नियुक्ति कर सकता है| परंतु यह बहुत छोटा मुद्दा है| वास्तविक मुद्दा यह है कि लेखा परीक्षक इन आँकड़ों को प्राप्त कैसे करेंगे|
- इसका कारण यह है कि इसके अंतर्गत विभिन्न परिप्रेक्ष्यों में आँकड़ों का निर्धारण किया जाएगा जैसे- विनिर्माण केंद्र, बिक्री केंद्र आदि| स्पष्ट है कि ये जीएसटी के लेखा परीक्षण को जटिल और लगभग असंभव कार्य बना देगा तथा अन्य कार्यों को भी बाधित करेगा जिसमें राज्यों के लिये जीएसटी की हिस्सेदारी में कैग प्रमाणीकरण मिलना भी शामिल है|
केंद्रीकृत स्थिति
- गौरतलब है कि लेखा परीक्षकों द्वारा जीएसटी से बाहर रखे गए एल्कोहल और पेट्रोकेमिकल उत्पादों से प्राप्त करों में प्रत्येक राज्य की हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिये उपलब्ध आंकड़ों का उपयोग किया जाएगा|
- स्वीकार्य शर्तों के तहत, जीएसटी के कारण प्रथम पाँच वर्षों में राजस्व में हुई किसी भी प्रकार की कमी के लिये राज्यों को पूर्ण क्षतिपूर्ति प्रदान की जाएगी|
- इसके अतिरिक्त वर्ष 2015-16 में प्राप्त हुए राजस्व के आधार पर राज्यों की क्षतिपूर्ति की गणना की जायेगी|
- राज्य का सम्पूर्ण राजस्व राज्यों और बिक्री कर, वैट, खरीद कर, केन्द्रीय बिक्री कर, चुंगी आदि के माध्यम से स्थानीय निकायों को मिलने वाली आय का मिश्रित रूप होगा|