नील नदी पर विवाद | 06 Jan 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इथियोपिया, सूडान और मिस्र ने हॉर्न ऑफ अफ्रीका में ग्रैंड रेनेसां डैम (Grand Rennaissance Dam) जलविद्युत परियोजना पर लंबे समय से चल रहे जटिल विवाद को हल करने के लिये फिर से बातचीत शुरू करने पर सहमति व्यक्त की है।
- हॉर्न ऑफ अफ्रीका, अफ्रीकी भूमि का सबसे पूर्वी विस्तार है और इसमें ज़िबूती, इरिट्रिया, इथियोपिया तथा सोमालिया देशों के क्षेत्र शामिल हैं, जिनकी संस्कृतियों को उनके लंबे इतिहास से जोड़ा गया है।
- 'ग्रैंड रेनेसां डैम' का निर्माण इथियोपिया द्वारा नील नदी पर किया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु:
विवाद:
- अफ्रीका की सबसे लंबी नदी नील एक दशक से चल रहे जटिल विवाद के केंद्र में है, इस विवाद में कई देश शामिल हैं जो नदी के जल पर निर्भर हैं।
- ग्रैंड रेनेसां डैम:
- इथियोपिया द्वारा 145 मीटर लंबे (475 फुट लंबा) पनबिजली प्रोजेक्ट का निर्माण शुरू किया जाना इस विवाद का प्रमुख कारण है ।
- बाँध के चलते इथियोपिया नील नदी के जल पर नियंत्रण कर सकता है। यह मिस्र के लिये चिंता का विषय है क्योंकि मिस्र नील नदी के अनुप्रवाह क्षेत्र में स्थित है।
- ब्लू नील, नील नदी की एक सहायक नदी है और यह पानी की मात्रा का दो-तिहाई भाग तथा अधिकांश गाद को वहन करती है।
- इस विवाद में सबसे आगे इथियोपिया, मिस्र और सूडान हैं।
- इथियोपिया के लिये बाँध का महत्त्व:
- इथियोपिया का मानना है कि बाँध निर्माण से लगभग 6,000 मेगावाट विद्युत उत्पन्न की जा सकेगी। इथियोपिया की 65% आबादी वर्तमान में विद्युत की कमी का सामना कर रही है।
- बाँध निर्माण से देश के विनिर्माण उद्योग को मदद मिलेगी तथा पड़ोसी देशों को विद्युत की आपूर्ति किये जाने से राजस्व में वृद्धि की संभावना है।
- केन्या, सूडान, इरिट्रिया और दक्षिण सूडान जैसे पड़ोसी देश भी विद्युत की कमी से प्रभावित हैं और यदि इथियोपिया उन्हें विद्युत बेचने का फैसला करता है, तो वे भी जलविद्युत परियोजना से लाभान्वित हो सकते हैं।
- मिस्र की चिंता:
- यह मिस्र के लिये चिंता का विषय है क्योंकि मिस्र नील नदी के अनुप्रवाह क्षेत्र में स्थित है। मिस्र का मानना है कि नदी पर इथियोपिया का नियंत्रण होने से उसकी सीमाओं के भीतर जल स्तर कम हो सकता है।
- मिस्र पेयजल और सिंचाई की आपूर्ति के लिये आवश्यक पानी के लगभग 97% हेतु नील नदी पर निर्भर है।
- यह बाँध मिस्र के आम नागरिकों की खाद्य और जल सुरक्षा तथा आजीविका को खतरे में डाल सकता है।
- सूडान का रुख:
- सूडान भी इस बात से चिंतित है कि यदि इथियोपिया नदी पर नियंत्रण करता है तो यह सूडान के जल स्तर को प्रभावित करेगा।
- बाँध से उत्पन्न बिजली से सूडान को लाभ होने की संभावना है।
- नदी का विनियमित प्रवाह सूडान को अगस्त और सितंबर माह में आने वाली गंभीर बाढ़ से बचाएगा। इस प्रकार इसने बाँध के संयुक्त प्रबंधन का प्रस्ताव दिया है।
वर्तमान स्थिति:
- इथियोपिया, सूडान और मिस्र के बीच वार्ताओं के नवीनतम दौर का आयोजन दक्षिण अफ्रीका तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में किया गया।
- पिछली बातचीत के बावजूद विवाद का मुद्दा नहीं बदला है।
नील नदी
- नील नदी अफ्रीका में स्थित है। यह भूमध्यरेखा के दक्षिण में बुरुंडी से निकलकर उत्तर-पूर्वी अफ्रीका से होकर भूमध्य सागर में गिरती है।
- स्रोत
- नील नदी की दो प्रमुख सहायक नदियाँ- व्हाइट नील और ब्लू नील हैं। व्हाइट नील नदी का उद्गम मध्य अफ्रीका के ‘महान अफ्रीकी झील’ (African Great Lakes) क्षेत्र से होता है, जबकि ब्लू नील का उद्गम इथियोपिया की 'लेक टाना' से होता है।
- नील नदी को दुनिया की सबसे लंबी नदियों में से एक माना जाता है।
- नील नदी की लंबाई लगभग 6,695 किलोमीटर (4,160 मील) है।
- नील नदी का बेसिन काफी विशाल है और इसमें तंजानिया, बुरुंडी, रवांडा, कांगो और केन्या आदि देश शामिल हैं।
- नील नदी एक चापाकार डेल्टा का निर्माण करती है। त्रिकोणीय अथवा धनुषाकार आकार वाले डेल्टा को चापाकार डेल्टा कहा जाता है।
आगे की राह
- विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिये पड़ोसी देशों और अंतर्राष्ट्रीय निकायों की भूमिका तथा मध्यस्थता काफी महत्त्वपूर्ण है।
- यदि सभी पक्ष विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से वार्ता के माध्यम से हल करने में असमर्थ रहते हैं, तो अंततः विवाद की समाप्ति के लिये एक मुआवज़ा पद्धति को अपनाया जा सकता है, जिसमें सभी देशों को एक-दूसरे के नुकसान की भरपाई करनी होगी।
- इसलिये विवाद में शामिल सभी देशों को शांतिपूर्ण ढंग से इस मुद्दे को हल करने की आवश्यकता है, ताकि सभी देश जहाँ तक संभव हो बाँध का फायदा उठा सकें और इस क्षेत्र में शांति एवंसुरक्षा फिर से बहाल की जा सके।