अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारतीय खगोलविद् के सिद्धांत की पुष्टि करता “रेगुलस”
- 21 Sep 2017
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने पहली बार तीव्र गति से घूर्णन करने वाले तारे से उत्सर्जित होने वाले ध्रुवीय प्रकाश का अवलोकन किया। विदित हो कि यह अवलोकन भारतीय खगोलविद् और नोबेल पुरस्कार विजेता सुब्रमण्यम चन्द्रशेखर द्वारा की गई भविष्यवाणी के 70 वर्षों बाद किया गया था। उनके सिद्धांत के अनुसार, ‘तीव्र गति से घूर्णन करने वाले तारे ध्रुवीय प्रकाश का उत्सर्जन करेंगे’।
प्रमुख बिंदु
- शोधकर्त्ताओं ने एक संवेदनशील उपकरण से “रेगुलस” (Regulus) नामक तारे से आने वाले ध्रुवीय प्रकाश का अवलोकन किया। विदित हो कि रेगुलस रात के समय आकाश में चमकने वाले सबसे अधिक चमकीले तारों में से एक है।
- इस उपकरण से तारे के विषय में कई अभूतपूर्व तथ्यों का पता चला। यह तारा सिंह नक्षत्र में है । इसके नक्षत्र का पता चलने पर वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष में इसके स्थान का निर्धारण करने में मदद मिली।
- रेगुलस तकरीबन 320 किलोमीटर प्रति सेकेंड की गति से घूम रहा था।
- इसके घूर्णन की उच्च परिशुद्धता ने शोधकर्त्ताओं को पहली बार एक तीव्र गति से घूर्णन करने वाले तारे से आने वाले ध्रुवीय प्रकाश का पता लगाने में मदद की।
- शोधकर्त्ताओं के अनुसार, तीव्र गति से घूर्णन करने वाले तारों की इन विशेषताओं का पता लगाना अत्यंत मुश्किल था।
- आकाशगंगाओं में उपस्थित अधिकांश उष्ण और बड़े तारों के जीवन चक्र को समझने के लिये ये सूचनाएँ अत्यंत महत्त्वपूर्ण थीं।
- शोधकर्त्ताओं द्वारा बनाया गया उच्च परिशुद्धता वाला पोलेरिमेंट्रिक उपकरण (High Precision Polarimetric Instrument -HIPPI) विश्व का सबसे अधिक संवेदनशील खगोलीय पोलेरीमीटर है।
पृष्ठभूमि
- वर्ष 1946 में भारतीय खगोलविद् चन्द्रशेखर द्वारा यह कहा गया था कि तारे के किनारों से होने वाले ध्रुवीय प्रकाश के उत्सर्जन के परिणामस्वरूप इस प्रभाव का पता लगाने के लिये संवेदनशील उपकरणों (जिन्हें जैसे नक्षत्रीय अथवा स्टेलर पोलेरीमीटर कहा जाता है) का विकास किया जाना चाहिये।
- वर्ष 1968 में, अन्य शोधकर्त्ताओं ने चन्द्रशेखर के सिद्धांत पर कार्य किया ताकि वे यह पता लगा सकें कि तीव्र गति से घूर्णन करने वाले तारे के विकृत आकार से ध्रुवीय प्रकाश का उत्सर्जन होगा अथवा नहीं। परन्तु इसके संसूचन ने खगोलविदों को अभी तक इस संबंध में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई थी।
- प्रकाश पुंज की यात्रा की दिशा में इसके दोलनों के अभिविन्यास का मापन, ‘प्रकाशीय ध्रुवीकरण’ (Optical polarization) कहलाता है।
क्या है “रेगुलस”?
- रेगुलस पृथ्वी से लगभग 77 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है।
- यह सिंह नक्षत्र में स्थित है।
- अगस्त में अमेरिका में हुए पूर्ण सूर्य-ग्रहण के दौरान रेगुलस सूर्य से मात्र 1 डिग्री की दूरी पर था तथा ग्रहण के दौरान कई लोगों को दिखने वाला यही एकमात्र तारा था।
- इसे सिंह नक्षत्र का हृदय भी कहा जाता है।
- पृथ्वी से दिखने वाले सभी चमकीले तारों में रेगुलस 21वां अथवा 22वां तारा है।
- यह एक उष्ण तारा है, यह सूर्य से भी गर्म है। इसकी सतह का तापमान लगभग 12,000 केल्विन है|