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भारतीय अर्थव्यवस्था

छोटे हथियारों के आयात पर चिंता

  • 21 Jul 2020
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

INSAS, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश

मेन्स के लिये:

आत्मनिर्भर भारत की भूमिका और संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में छोटे हथियारों के घरेलू निर्माताओं ने भारत सरकार द्वारा छोटे हथियारों के आयात को जारी रखने पर अपनी चिंता व्यक्त की है।

प्रमुख बिंदु

  • घरेलू निर्माताओं के लिये कोई बड़ा ऑफर नहीं:
    • पिछले कुछ वर्षों में कई भारतीय कंपनियों ने छोटे हथियारों के क्षेत्र में निवेश किया है। सरकार ने छोटे हथियारों की बड़ी मांग एवं आवश्यकता को देखते हुए गोला-बारूद क्षेत्र में निजी क्षेत्र के प्रवेश को भी अनुमति दे रखी है।
      • भारत सरकार ने 74% तक के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दे रखी है और कुछ विशिष्ट मामलों में यह 100% भी है।
    • भारतीय कंपनियाँ 50% से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ छोटे हथियार बनाने में सक्षम हैं और इनकी कीमत तथा निर्माण एवं आपूर्ति की समय-सीमा भी मांग के अनुरूप हैं।
    • हालाँकि किसी भी बड़े ऑर्डर की कमी में, भारतीय कंपनियाँ अब पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) के छोटे ऑर्डर की तलाश कर रही हैं।
    • इसके अलावा भारतीय कंपनियों को फास्ट ट्रैक प्रोक्योरमेंट (Fast Track Procurement- FTP) के माध्यम से होने वाले सौदों में शामिल नहीं किया जाता है, वर्तमान में ऐसे सभी सौदे विदेशी विक्रेताओं तक ही सीमित है।
  • छोटे शस्त्रों का आयात:
    • हाल ही में भारतीय सेना ने दूसरी बार संयुक्त राज्य अमेरीका के सिग सॉयर को 72,400 SIG-716 असॉल्ट राइफलों का ऑर्डर दिया है।
      • सेना स्वदेशी भारतीय राष्ट्रीय लघु शस्त्र प्रणाली (Indian National Small Arms System-INSAS) राइफल को आधुनिक राइफल से बदलने का प्रयास कर रही है।
    • इससे पहले, फरवरी 2019 में रक्षा मंत्रालय ने फास्ट ट्रैक प्रोक्योरमेंट के माध्यम से संयुक्त राज्य अमेरीका के सिग सॉयर से 72,400 SIG-716 असॉल्ट राइफलें खरीदी थीं, जिनमें से अधिकांश सेना के लिये थीं।
    • 7 लाख से अधिक राइफलों की शेष मांग को आयुध निर्माणी बोर्ड (Ordnance Factory Board-OFB) के साथ संयुक्त उद्यम के माध्यम से भारत में रूसी AK-203 राइफल्स के लाइसेंस प्राप्त निर्माण के माध्यम से पूरा किया जाना था। हालाँकि मूल्य निर्धारण के मुद्दे पर अंतिम सौदा पूरा नहीं हो सका।
  • घरेलू निर्माताओं की मांग:
    • घरेलू कंपनियाँ अपने उत्पादों का प्रदर्शन करने और मेक इन इंडिया का समर्थन करने के लिये विदेशी कंपनियों के समान अवसर प्रदान करने का आग्रह कर रहे हैं।

आगे की राह

  • अपने घरेलू विनिर्माण को समर्थन प्रदान करके, भारत छोटे हथियारों के क्षेत्र में उत्कृष्टता का केंद्र बन सकता है। यह हथियारों और गोला-बारूद के आयात पर देश की निर्भरता को भी कम करेगा।
  • छोटे हथियारों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना, सरकार के आत्मनिर्भर भारत के सपने के अनुरूप है।
  • हथियारों के घरेलू विनिर्माण से भारतीयों के लिये रोज़गार के नए अवसर पैदा होंगे।

स्रोत: द हिंदू

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