जीएसटी मुआवज़े की कमी और ऋण का विकल्प | 28 Aug 2020

प्रिलिम्स के लिये

वस्तु एवं सेवा कर, GST क्षतिपूर्ति संबंधी नियम, जीएसटी परिषद

मेन्स के लिये

जीएसटी मुआवज़े की कमी का मुद्दा

चर्चा में क्यों?

कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी और उसके आर्थिक प्रभावों को ‘एक्ट ऑफ गॉड’ यानी ‘दैवीय आपदा’ की संज्ञा देते हुए वित्तीय मंत्रालय ने स्वीकार किया कि राज्यों को इस वर्ष 2.35 लाख करोड़ रुपए के GST मुआवज़े की कमी का सामना करना पड़ सकता है।

प्रमुख बिंदु

  • जीएसटी परिषद की 41वीं बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यों को अनुमानित मुआवज़े की कमी के विवादास्पद मुद्दे को हल करने के लिये दो विकल्प प्रस्तुत किये।

पहला विकल्प 

  • वित्त मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत किये गए पहले विकल्प के अंतर्गत केंद्र सरकार, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के परामर्श से राज्यों को उचित ब्याज़ दर पर अनुमानित जीएसटी कमी, जो कि लगभग 97,000 करोड़ रुपए है, को ऋण के रूप में लेने के लिये एक विशेष विंडो प्रदान करेगी।
  • राज्य सरकारों द्वारा यह धनराशि उपकर संग्रह के माध्यम से जीएसटी कार्यान्वयन के 5 वर्ष बाद (यानी वर्ष 2022 के बाद) चुकाई जा सकती है।

दूसरा विकल्प

  • वित्त मंत्रालय द्वारा राज्यों को प्रस्तुत किये गए दूसरे विकल्प के अंतर्गत राज्य सरकारें मौजूदा वित्तीय वर्ष में जीएसटी राजस्व में आई संपूर्ण कमी को उधार के रूप में ले सकती हैं, जिसमें केंद्र सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) राज्यों की मदद करेंगे। इस वर्ष के जीएसटी राजस्व में कुल 2.35 लाख रुपए की कमी अनुमानित है।
  • यहाँ यह समझना महत्त्वपूर्ण है कि वित्त मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत पहले विकल्प (97,000 करोड़ रुपए की राशि) में केवल जीएसटी कार्यान्वयन के कारण आई राजस्व की कमी को शामिल किया गया है, जबकि मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत दूसरे विकल्प में जीएसटी कार्यान्वयन के साथ-साथ मौजूदा कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी के प्रभाव को भी शामिल किया गया है।

निर्णय की आलोचना

  • दोनों ही विकल्पों से यह स्पष्ट है कि उधार ली गई राशि राज्य सरकारों द्वारा ही वहन की जाएगी, यद्यपि यह ऋण उचित ब्याज़ दर पर दिया जाएगा, ऐसे में राज्यों पर ऋण का बोझ काफी अधिक बढ़ जाएगा।
  • ध्यातव्य है कि कई राज्यों ने मांग की है कि राज्य सरकारों के स्थान पर केंद्र सरकार ही आवश्यक राशि ऋण के रूप में उधार ले और क्षतिपूर्ति के रूप में राज्यों को वितरित करे।
  • कई राज्यों के वित्त मंत्रियों ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत किये गए विकल्प से संतुष्टि व्यक्त की है।
  • पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत समाधान राज्यों पर ज़बरदस्ती लागू किया जा रहे हैं और यह पंजाब के लिये स्वीकार्य नहीं हैं।
  • वित्त मंत्रालय के इस निर्णय का विरोध करते हुए दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि ‘दिल्ली का कुल राजस्व संग्रह निर्धारित लक्ष्य से तकरीबन 57 प्रतिशत कम है। ऐसे में यदि मुआवज़ा नहीं मिलता है तो दिल्ली सरकार के समक्ष गंभीर संकट उत्पन्न हो सकता है।

जीएसटी क्षतिपूर्ति और राजस्व संग्रह में कमी

  • नियम के अनुसार, वर्ष 2022 यानी GST कार्यान्वयन शुरू होने के बाद पहले पाँच वर्षों तक GST कर संग्रह में 14% से कम वृद्धि (आधार वर्ष 2015-16) दर्शाने वाले राज्यों के लिये क्षतिपूर्ति की गारंटी दी गई है। केंद्र द्वारा राज्यों को प्रत्येक दो महीने में क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जाता है।
  • हालाँकि, क्षतिपूर्ति भुगतान में होने होने वाली देरी राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के बीच एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा रहा है, जिसकी शुरुआत बीते वर्ष अक्तूबर में हुई थी, जब राज्यों के जीएसटी राजस्व में कमी होना शुरू हो गया था।
  • अप्रैल-जून तिमाही में जीएसटी राजस्व में 41 प्रतिशत की गिरावट के साथ कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी ने जीएसटी राजस्व के इस अंतराल को और अधिक बढ़ा दिया है।
  • केंद्र सरकार ने इसी वर्ष 27 जुलाई को राज्यों को मार्च माह के लिये 13,806 करोड़ रुपए जारी किये थे, हालाँकि मौजूदा वित्तीय वर्ष में चार माह (अप्रैल-जुलाई) के लिये मुआवज़ा अभी लंबित है।
  • इस वर्ष वित्त मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक वार्षिक जीएसटी मुआवज़े के लिये लगभग 3 लाख करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी, वहीं इसके भुगतान के लिये उपकर संग्रह लगभग 65,000 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। इस प्रकार कुल 2.35 लाख करोड़ रुपए की अनुमानित कमी हो सकती है।
    • इस प्रकार वित्त मंत्रालय की गणना के अनुसार, GST मुआवज़े में GST कार्यान्वयन के कारण मात्र 97,000 करोड़ रुपए की कमी हुई है, जबकि शेष कमी COVID-19 के प्रभाव के कारण हुई है।

Yawning-deficit

वस्तु एवं सेवा कर (GST)- पृष्ठभूमि

  • ऐतिहासिक वस्तु एवं सेवा कर 1 जुलाई, 2017 को लागू हुआ था। 1 जुलाई, 2018 को GST लागू किये जाने के एक वर्ष पूरा होने पर भारत सरकार द्वारा इस दिन को GST दिवस के रूप में मनाया गया था।
  • गौरतलब है कि GST एक अप्रत्यक्ष कर है जिसे भारत को एकीकृत साझा बाज़ार बनाने के उद्देश्य से लागू किया गया है। यह निर्माता से लेकर उपभोक्ताओं तक वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति पर लगने वाला एकल कर है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस