कंपनी अधिनियम, 2013 : दंड प्रावधानों की समीक्षा के लिये 10 सदस्यीय समिति का गठन | 16 Jul 2018
चर्चा में क्यों?
सरकार ने कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत दंड प्रावधानों की समीक्षा करने और कुछ मामलों के गैर-अपराधीकरण की जाँच करने के लिये 10 सदस्यीय समिति गठित की है।
प्रमुख बिंदु
- कॉर्पोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास की अध्यक्षता वाली यह समिति 30 दिनों के भीतर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप देगी ताकि इसकी अनुशंसाओं पर विचार किया जा सके।
- कंपनी मामले मंत्रालय का उद्वेश्य कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत उन अपराधों की समीक्षा करना है जहाँ डिफॉल्ट की स्थिति में आर्थिक दंड लगाए जाते हैं।
- यह न्यायालयों को गंभीर प्रकृति के अपराधों पर अधिक ध्यान देने में भी सक्षम बनाएगा।
- इसके अलावा, समिति इस बात पर भी ध्यान देगी कि क्या किसी समाधान निषिद्ध अपराध (non-compoundable offences) – ऐसे अपराध जो अधिनियम के तहत दंड के रूप में केवल कारावास या कारावास व अर्थदंड दोनों की श्रेणी में आते हों, को क्षमायोग्य अपराध की श्रेणी में शामिल किया जा सकता है।
- समिति एक आतंरिक तंत्र स्थापित करना चाहती है जहाँ MCA 21 प्रणाली द्वारा संचालित तरीके से ज़ुर्माना लगाया जा सकता है ताकि विचारशीलता को कम किया जा सके।
- MCA 21 कंपनी के अधिनियम के तहत हितधारकों के लिये वैधानिक फाइलिंग जमा करने हेतु एक पोर्टल है।
सचिव की अध्यक्षता में समिति की संरचना
अध्यक्ष
- इंजेती श्रीनिवास, कंपनी मामले मंत्रालय के सचिव
सदस्य
- लोकसभा के पूर्व महासचिव एवं बीएलआरसी के अध्यक्ष (सदस्य)
- उदय कोटक, एमडी, कोटक महेंद्रा बैंक (सदस्य)
- शार्दुल एस श्रॉफ, कार्यकारी अध्यक्ष, शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी (सदस्य)
- अजय बहल, संस्थापक मैनेजिंग पार्टनर, एजेडबी (AZB) एंड पार्टनर्स (सदस्य)
- अमरजीत चोपड़ा, सीनियर पार्टनर, जीएसए एसोसिएट (सदस्य)
- अरघ्य सेनगुप्ता, विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी (सदस्य)
- सिद्दार्थ बिड़ला, पूर्व अध्यक्ष, फिक्की (सदस्य)
- सुश्री प्रीति मल्होत्रा, पार्टनर एवं स्मार्ट ग्रुप की कार्यकारी निदेशक (सदस्य)
- संयुक्त सचिव (पॉलिसी), कंपनी मामले मंत्रालय (सदस्य-सचिव)