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भारतीय अर्थव्यवस्था

कमोडिटी मार्केट्स आउटलुक

  • 24 Apr 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये

कमोडिटी मार्केट्स आउटलुक

मेन्स के लिये

विभिन्न वस्तुओं की कीमतों में वस्तुओं का प्रभाव

चर्चा में क्यों?

विश्व बैंक द्वारा हाल ही में जारी ‘अप्रैल कमोडिटी मार्केट्स आउटलुक’ (April Commodity Markets Outlook) के अनुसार, COVID-19 के कारण वर्ष 2020 में लगभग सभी कमोडिटीज़ के मूल्य में कमी आने का अनुमान है।

प्रमुख बिंदु

  • विश्व बैंक के ‘कमोडिटी मार्केट्स आउटलुक’ के अनुसार, COVID-19 महामारी के कारण ऊर्जा और धातु की कीमतें सर्वाधिक प्रभावित हुई हैं।
  • हालाँकि कृषि उत्पादों की कीमतों पर इसका कुछ अधिक प्रभाव नहीं हुआ है, किंतु आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान, निर्यात प्रतिबंध और सरकार द्वारा किये गए भंडारण ने आम नागरिकों के समक्ष खाद्य असुरक्षा की चुनौती उत्पन्न कर दी है।
  • विश्व बैंक के अनुसार, मौजूदा समय में कमोडिटीज़ के मूल्य काफी अनिश्चित हो गए हैं और ये मुख्य रूप से महामारी की गंभीरता और उसकी अवधि पर निर्भर हो गए हैं।

कच्चे तेल की कीमतें हुईं सर्वाधिक प्रभावित

  • ध्यातव्य है कि COVID-19 के प्रकोप का सर्वाधिक प्रभाव कच्चे तेल के बाज़ार पर देखने को मिला है, क्योंकि इस महामारी के प्रसार को रोकने के लिये दुनिया भर में आंशिक या पूर्ण लॉकडाउन लागू किया गया है, जिसके कारण दुनिया भर में परिवहन पूरी तरह से रुक गया है।
    • ज्ञात हो कि वैश्विक स्तर पर परिवहन के लिये दो-तिहाई तेल का उपयोग किया जाता है।
  • वर्ष 2020 में कच्चे तेल की कीमतें औसतन 35 डॉलर प्रति बैरल  होने का अनुमान है, जो तेल की मांग में अभूतपूर्व गिरावट को दर्शाता है। ध्यातव्य है कि इसी वर्ष जनवरी माह में कच्चे तेल की कीमतें अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच गई थीं, जिसके पश्चात् तेल की कीमतों में 70 प्रतिशत तक  गिरावट आ गई है और पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन और अन्य तेल उत्पादक देश भी तेल की कीमतों में वृद्धि करने में विफल रहे हैं।
  • कच्चे तेल की मांग वर्ष 2020 में लगभग 10 प्रतिशत घटने की उम्मीद है, जो बीते किसी भी गिरावट के मुकाबले दोगुना है।

औद्योगिक मांग में गिरावट का धातु की कीमत पर प्रभाव

  • COVID-19 महामारी के कारण वैश्विक औद्योगिक मांग में काफी गिरावट हुई है, जिसका प्रभाव वर्ष 2020 की पहली तिमाही में अधिकांश धातु की कीमतों पर देखने को मिला है और धातु की कीमतों में काफी गिरावट आई है।
  • वर्ष 2020 में धातु की कीमतों में 13 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है, क्योंकि वैश्विक मांग में कमी आई है और प्रमुख उद्योग बंद हो गए हैं।
  • धातु की कीमतें मुख्य रूप से वैश्विक गतिविधियों में मंदी से प्रभावित हुई हैं, विशेष रूप से चीन में जिसकी वैश्विक स्तर पर धातु की मांग में आधे से अधिक हिस्सेदारी है।

कृषि उत्पादों की कीमतें 

  • अधिकांश खाद्य बाज़ारों में आपूर्ति पूर्ण रूप से जारी है। हालाँकि, विभिन्न देशों में खाद्य सुरक्षा को लेकर चिंताएँ बढ़ रही है, क्योंकि आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान और निर्यात प्रतिबंध जैसे कारकों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
  • विश्व बैंक के ‘कमोडिटी मार्केट्स आउटलुक’ के अनुसार, मुख्य खाद्य वस्तुओं की कीमतों में जनवरी माह से लगभग 9 प्रतिशत की गिरावट आई है।

कमोडिटी बाज़ार पर COVID-19 का दीर्घकालिक प्रभाव

  • विश्व बैंक के अनुसार, वस्तुओं के आयातकों और निर्यातकों को महामारी के कारण बाज़ारों में कुछ दीर्घकालिक बदलाव दिखने की संभावना है।
  • इसमें परिवहन की लागतों में वृद्धि, आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव और आयात की जाने वाली वस्तुओं का घरेलू वस्तुओं के साथ प्रतिस्थापन आदि शामिल हैं।
  • उदाहरण के लिये अब लोग घर से कार्य करने को अधिक वरीयता दे सकते हैं, कम यात्रा कर सकते हैं जिससे तेल की मांग में स्थायी गिरावट आ सकती है, साथ ही तेल आयात देशों के खातों पर अनुकूल प्रभाव पड़ेगा।
  • सभी प्रकार की गतिविधियों पर लगे प्रतिबंध के कारण प्रदूषण काफी कम हो रहा है, यह बाज़ार उत्पादकों पर कम जीवाश्म ईंधन के उपयोग हेतु सार्वजनिक दबाव को बढ़ा सकता है।

‘कमोडिटी मार्केट्स आउटलुक’ 

(Commodity Markets Outlook)

  • विश्व बैंक का ‘कमोडिटी मार्केट्स आउटलुक’ प्रत्येक वर्ष में दो बार अप्रैल और अक्तूबर माह में प्रकाशित किया जाता है।
  • इस रिपोर्ट में विश्व बैंक द्वारा ऊर्जा, कृषि, उर्वरक, धातु और कीमती धातुओं समेत प्रमुख कमोडिटीज़ के लिये विस्तृत बाज़ार विश्लेषण प्रदान किया जाता है।
  • विश्व बैंक द्वारा इस रिपोर्ट में प्रमुख वस्तुओं के उत्पादन, खपत और व्यापार से संबंधित आँकड़े भी शामिल किये जाते हैं।

आगे की राह

  • मौजूदा समय में लगभग संपूर्ण विश्व COVID-19 वैश्विक महामारी का सामना कर रहा है। इस महामारी के कारण विश्व की तमाम आर्थिक तथा गैर-आर्थिक गतिविधियाँ प्रभावित हुई हैं और वैश्विक कमोडिटी बाज़ार भी इससे बच नहीं सका है।
  • विश्व बैंक द्वारा ‘कमोडिटी मार्केट्स आउटलुक’ में खाद्य सुरक्षा को लेकर जो चिंता ज़ाहिर की गई है, वह काफी गंभीर है और निम्न आय वाले देश इसके प्रति अपेक्षाकृत अधिक संवेदनशील हैं।
    • ध्यातव्य है कि संयुक्त राष्ट्र (United Nations-UN) ने भी इस संबंध में चिंता ज़ाहिर की है, संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार COVID-19 महामारी के कारण इस वर्ष के अंत तक लगभग दोगुने लोग गंभीर खाद्य असुरक्षा की स्थिति में जा सकते हैं।
  • आवश्यक है कि इस विषय से संबंधित सभी हितधारकों को एक मंच पर आकर इस मुद्दे को हल करने हेतु विचार विमर्श करना चाहिये और नए उपायों की खोज करनी चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

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