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औद्योगिक नीतिगत बाधाओं की समीक्षा करने हेतु समिति का गठन

  • 27 Sep 2017
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?
जल्द ही केंद्र सरकार द्वारा नीतिगत औद्योगिक बाधाओं और अन्य कारकों के संबंध में एक 'नियामक समीक्षा समिति' की स्थापना की जाएगी। यह समिति देश के औद्योगिक विकास को बाधित करने वाले कारकों के साथ-साथ ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ और निजी निवेश को प्रभावित करने संबंधी पक्षों के विषय में भी अपने सुझाव पेश करेगी।

अन्य महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा घरेलू और विदेशी निवेश प्रस्तावों को मॉनिटर करने के लिये एक नई व्यवस्था के क्रियान्वयन पर भी विचार किया जा रहा है।
  • वस्तुतः इस नई व्यवस्था की स्थापना का विचार, राज्य सरकारों और केंद्र की निवेश तथा संवर्धन शाखा 'निवेश भारत' के मध्य समन्वय स्थापित करते हुए ऐसे प्रस्तावों पर तेज़ी से निर्णय लेने के मुद्दे पर आधारित है।

औद्योगिक अप्रयुक्त क्षमता की समस्या के संबंध में विचार 

  • इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा उद्योगों की अप्रयुक्त क्षमता का समुचित उपयोग सुनिश्चित करने के तरीकों के संबंध में भी विचार किया जा रहा है। 
  • वर्तमान में, उद्योगों की देशव्यापी औसत अप्रयुक्त क्षमता लगभग 26% है या दूसरे शब्दों में कहें तो औद्योगिक क्षमता का औसत उपयोग केवल 74% ही है। 
  • संभवतः इसी बात को ध्यान में रखते हुए शीघ्र ही घरेलू मांग में वृद्धि करने के साथ-साथ निर्यात को बढ़ावा देने के लिये भी प्रभावी उपाय किये जाएंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उद्योगों की पूरी क्षमता का उपयोग किया जा रहा है।

समिति का गठन

  • इस समिति के अंतर्गत औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग के सचिव तथा इंडिया इंक के प्रतिनिधि शामिल होंगे ।

अन्य समस्याओं के संदर्भ में विचार किया जाएगा

  • इसके अतिरिक्त सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (Micro, Small and Medium Enterprises - MSME) एवं निर्यातकों के साथ जी.एस.टी. से संबंधित समस्याओं एवं उनके समाधान के विषय में भी चर्चा की जाएगी, ताकि सभी पक्षों की समस्याओं का निवारण किया जा सके।
  • इसके अलावा, रोज़गार के अवसरों में वृद्धि तथा विकास को बढ़ावा देने वाले तरीकों पर भी  विचार किया जाएगा। 

भारतीय उद्योग परिसंघ की क्या मांग है? 

  • औद्योगिक नीति की समीक्षा हेतु गठित समिति के सी.आई.आई. (Confederation of Indian Industry – CII) द्वारा भी अपनी मांग प्रस्तुत की गई है। 
  • सी.आई.आई. द्वारा अगले साल तक ब्याज दर में 100 आधार अंकों की कटौती की मांग की गई, ताकि खपत में वृद्धि की जा सके। 
  • इसके अतिरिक्त सी.आई.आई. द्वारा कॉर्पोरेट टैक्स को 18% तक घटाए जाने की भी मांग की गई है। 
  • इसके अलावा, सी.आई.आई. द्वारा असाधारण परिस्थितियों के कारण एक या दो वर्ष के लिये राजकोषीय समेकन लक्ष्यों (Fiscal Consolidation Targets) में छूट देने की भी बात की गई है। 
  • सी.आई.आई. द्वारा यह सुझाव प्रस्तुत किया गया है कि सरकार को राजमार्गों के निर्माण, कम लागत वाले ग्रामीण आवास, ग्रामीण एवं शहरी बुनियादी ढाँचे और ऊर्जा (संचरण तथा वितरण) को बढ़ावा देने के लिये सार्वजनिक खर्च में वृद्धि करनी चाहिये। 
  • इसके अलावा बिजली, तेल एवं गैस, शराब और अचल संपत्ति को भी जी.एस.टी. के दायरे में लाया जाना चाहिये।
  • इसके अलावा सी.आई.आई. द्वारा सरकार से इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने संबंधी ढाँचे को सरल बनाने के विषय में भी कहा गया है। 
  • साथ ही सभी विनिर्माण क्षेत्रों के लिये निश्चित अवधि के रोज़गार पुनर्स्थापन के विषय में सुधार करने की अपील की गई है।
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