माब लिंचिंग पर समिति ने रिपोर्ट सौंपी | 30 Aug 2018
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय गृह सचिव राजीव गाबा की अध्यक्षता में माब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिये वरिष्ठ अधिकारियों का एक पैनल गठित किया गया था। समिति ने इस विषय पर विचार – विमर्श कन्र के बाद अपनी रिपोर्ट मंत्रियों के समूह की अध्यक्षता कर रहे राजनाथ सिंह को सौंप दी है।
प्रमुख बिंदु
- पैनल ने लिंचिंग की विभिन्न घटनाओं का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को ‘समयबद्ध तरीके’ से कार्य करने की आवश्यकता है।
- फेसबुक, व्हाट्सअप, ट्विटर और यूट्यूब जैसे सोशल मिडिया प्लेटफॉर्मों के संज्ञान में लाए जाने के बाद विद्वेषपूर्ण पोस्ट और वीडियो को प्रतिबंधित नहीं करने पर उन्हें उत्तरदायी बनाया जाएगा और सरकार के आदेशों का पालन न करने पर देश में कार्यरत संबंधित मीडिया प्लेटफॉर्म के प्रमुख पर प्राथमिकी दर्ज कर मुकदमा चलाया जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपने से पहले विभिन्न हितधारकों से इस संबंध में चर्चा भी की थी।
कानून में ऐसा प्रावधान है जो सरकार को आपत्तिजनक सामग्री को हटाने, वेबसाइटों को ब्लॉक करने आदि कार्यों को करने में सक्षम बनाता है। इस तरह कानून लागू करने वाली एजेंसियों को इन आदेशों को आगे बढ़ाने और अधिक सक्रियता से काम करने की आवश्यकता है। इसके लिये सोशल मीडिया के साथ संबंधों को भी आगे बढ़ाना होगा।
- इस संबंध में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के लिये विभिन्न सरकारी आदेशों के अनुपालन के संदर्भ में एक रिपोर्ट दी गई थी। इसे बेहतर बनाने और समय पर अनुपालन सुनिश्चित करने पर वे सहमत हैं।
- कुछ देशों में गैर-सरकारी संगठनों और स्वयंसेवकों के माध्यम से इंटरनेट की निगरानी की जाती है, वहीं पैनल द्वारा इसके लिये एक पोर्टल बनाने की बात कही गई है जहाँ लोगों द्वारा आपत्तिजनक सामग्री और विडियो के संदर्भ में रिपोर्ट दर्ज कराई जा सकेगी जिसे राष्ट्रीय अपराध ब्यूरों द्वारा संबंधित राज्य को उचित कार्रवाई के लिये भेजा जा सकेगा।
विशेष कार्य बल
- केंद्र सरकार द्वारा प्रत्येक ज़िले में पुलिस अधीक्षक के स्तर पर एक अधिकारी नियुक्त करने, खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिये एक विशेष कार्य बल गठित करने और बच्चों की चोरी या मवेशियों की तस्करी के संदेह में लोगों पर भीड़ द्वारा किये जाने वाले हमलों को रोकने के लिये सोशल मिडिया पर निगरानी रखने के लिये कहा गया है।