भारतीय राजव्यवस्था
लोकसभा की आचार समिति
- 03 Dec 2019
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प्रीलिम्स के लिये
लोकसभा की आचार समिति, इसकी संरचना, कार्यकाल
मेन्स के लिये
लोकसभा में नैतिकता बनाए रखने में आचार समिति की भूमिका
चर्चा में क्यों?
हाल ही में लोकसभा की कार्यवाही के दौरान इसके सदस्यों की आचरण संबंधी शिकायतों की खबरें चर्चा में रहीं जिसके बाद लोकसभा की आचार समिति को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। अतः इस संदर्भ में लोकसभा की आचार समिति (Committee on Ethics) तथा इसके कार्यों को समझना आवश्यक है।
आचार समिति (Committee on Ethics)
- लोकसभा की आचार समिति के बारे में लोकसभा की नियमावली (Rules of Procedure and Conduct of Business in Lok Sabha) में दिया गया है।
- इसके अनुसार लोकसभा में एक आचार समिति होगी जिसमें 15 सदस्य होंगे तथा इनका कार्यकाल 1 वर्ष का होगा।
- आचार समिति के सदस्यों की नियुक्ति लोकसभा अध्यक्ष द्वारा होगी।
- यह समिति लोकसभा की कार्यवाही के दौरान किसी सदस्य द्वारा किये गए अनैतिक आचरण के संबंध में शिकायतों की सुनवाई करेगी जिसे लोकसभा अध्यक्ष द्वारा संज्ञान में लिया गया हो।
- समिति लोकसभा के सदस्यों के लिये आचार संहिता का निर्माण करेगी तथा उसे समय-समय पर इसमें संशोधन एवं बदलाव करने का अधिकार होगा।
- इस समिति के लिये निर्दिष्ट किसी शिकायत पर प्राथमिक जाँच होगी। जाँच पूरी होने के बाद समिति द्वारा की गई सिफारिशों (Recommendations) को एक रिपोर्ट के तौर पर लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
- लोकसभा अध्यक्ष इस रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखने की अनुमति देगा जिसके बाद इस पर सदस्यों द्वारा चर्चा या सवाल-जवाब किया जाएगा। इस प्रकार की चर्चा आधे घंटे से अधिक की नहीं होगी।
- चर्चा के बाद सदस्यों की सहमति या असहमति के आधार पर इस प्रस्ताव को पारित किया जाएगा।
आचार संहिता
- लोकसभा में पहली आचार समिति का गठन 16 मई, 2000 को हुआ था।
- आचार समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की तथा इसमें लोकसभा की रूलबुक (Rulebook) में संशोधन से संबंधित सुझाव दिये।
- 18 दिसंबर, 2014 को यह रिपोर्ट सदन के पटल पर प्रस्तुत की गई तथा इसके सुझावों को लोकसभा की विनियम समिति (Rules Committee) की रिपोर्ट में शामिल किया गया।
- इसमें कहा गया है कि आचार समिति लोकसभा के सदस्यों के लिये एक आचार संहिता का निर्माण करेगी तथा समय-समय पर इस संहिता में संशोधन करेगी या नए प्रावधान जोड़ेगी।
- तब से यह मामला आचार समिति के पास लंबित है।