सामाजिक न्याय
असमानता घटाने की प्रतिबद्धता सूचकांक 2020: ऑक्सफैम
- 25 Mar 2021
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चर्चा में क्यों:
हाल ही में श्रम और रोज़गार मंत्री ने लोकसभा को सूचित किया है कि ऑक्सफैम द्वारा जारी किये जाने वाले ‘असमानता घटाने की प्रतिबद्धता सूचकांक 2020’ (Commitment to Reducing Inequality (CRI) Index 2020) में स्पष्टता का अभाव था और उन्होंने चार नए श्रम कोड के प्रावधानों को ध्यान में नहीं रखा था।
प्रमुख बिंदु:
- इस सूचकांक के अंतर्गत देशों की रैंक को निम्नलिखित तीन क्षेत्रों में उनकी नीतियों और कार्यों के मापन के आधार पर प्रदान किया जाता है तथा यह माना जाता है कि ये असमानता को कम करने से सीधे संबंधित हैं:
- सार्वजनिक सेवाएँ
- कराधान
- श्रमिक अधिकार
- नाइजीरिया, बहरीन और भारत, कोविड-19 से सर्वाधिक प्रभावित देशों में शामिल थे, साथ ही महामारी के कारण उत्पन्न असमानता से निपटने में ये दुनिया के सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देश थे।
सूचकांक में भारत की स्थिति:
- शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा, कराधान और श्रमिकों के अधिकारों से संबंधित सार्वजनिक सेवाओं के क्षेत्र में भारत सरकार की नीतियों और उनके क्रियान्वयन के आधार पर CRI सूचकांक में शामिल कुल 158 देशों में भारत की समग्र रैंकिंग 129 है।
- कमज़ोर श्रम अधिकारों और संवेदनशील रोज़गार की उच्च घटनाओं के चलते वर्ष 2020 में भारत लेबर रैंकिंग में 151वें स्थान पर पहुँच गया है जबकि वर्ष 2018 में यह 141वें स्थान पर था।
- अनौपचारिक क्षेत्र में सर्वाधिक पुरुषों की उपस्थिति उत्तर प्रदेश में 86.9% और महिलाओं की उपस्थिति आंध्र प्रदेश में 73.6% थी।
- सार्वजनिक सेवाओं के मामले में यह 141वें स्थान पर है।
- कराधान मानदंड पर भारत को 19वाँ स्थान दिया गया है।
भारत के खराब प्रदर्शन के कारण:
- कोविड में मज़दूरों का शोषण:
- भारत में कई राज्य सरकारों ने दैनिक कार्य के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 करने और न्यूनतम वेतन कानून को स्थगित करने के लिये कोविड-19 महामारी का सहारा लिया है, जिससे लाखों गरीब श्रमिकों की आजीविका बर्बाद हो रही है, और अब वे भुखमरी का सामना कर रहे हैं।
- स्वास्थ्य बजट में कमी:
- भारत का स्वास्थ्य बजट को चौथा सबसे कम बजटीय आवंटन प्राप्त हुआ है एवं इसकी आधी आबादी की पहुँच प्रमुख आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक नहीं थी। 70% से अधिक स्वास्थ्य व्यय लोगों द्वारा स्वयं ही वहन किया जा रहा था।
- अनौपचारिक रोज़गार:
- अधिकांश श्रमिकों की आय न्यूनतम मज़दूरी के आधे से भी कम हैं। 71% मज़दूरों का कोई भी लिखित अनुबंध नहीं है, जबकि 54% को वैतनिक अवकाश की सुविधा नहीं प्राप्त है।
- भारत में कुल कार्यबल का लगभग 10% ही औपचारिक क्षेत्र से संबंधित है।
अनुशंसाएँ:
- कोरोनावायरस महामारी के संकट को देखते हुए सरकारों को सतत् विकास लक्ष्य-10 (SDG-10) के तहत राष्ट्रीय असमानता निवारण योजनाओं के हिस्से के रूप में प्रगतिशील व्यय, कराधान और श्रमिकों के वेतन एवं संरक्षण के प्रयासों में सुधार करना चाहिये।
- SDG-10:
- यह आय के साथ-साथ एक देश के भीतर उम्र, लिंग, दिव्यांगता, नस्ल, जातीयता, मूल, धर्म, आर्थिक या अन्य स्थिति के आधार पर आय में असमानताओं को कम करने का आह्वान करता है।
- यह देशों के बीच ऐसी असमानताओं को भी कम करने का प्रयास करता है, जो प्रतिनिधित्व, प्रवास और विकास सहायता से संबंधित हैं।
असमानता को कम करने हेतु कुछ वर्तमान भारतीय पहलें:
- बजट 2021-22 में स्वास्थ्य के लिये आवंटन में 137% की वृद्धि हुई है।
- प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास अधिनियम, 2020 के तहत लंबित कर विवादों का समाधान करना।
- ‘पारदर्शी कराधान- ईमानदार का सम्मान’ प्लेटफॉर्म के तहत देश के ईमानदार करदाताओं का सम्मान करना।
- औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यस्थिति संहिता, 2020।
- E-PG पाठशाला: पढ़ाई हेतु ई-सामग्री प्रदान करने के लिये शिक्षा मंत्रालय की एक पहल।
- स्वयम: यह ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के लिये एक एकीकृत मंच प्रदान करता है।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020।
ऑक्सफैम इंटरनेशनल:
- ऑक्सफैम इंटरनेशनल वर्ष 1995 में गठित स्वतंत्र गैर-सरकारी संगठनों का एक समूह है।
- ‘ऑक्सफैम’ नाम ‘ऑक्सफोर्ड कमेटी फॉर फेमिन रिलीफ’ से लिया गया है, इसकी स्थापना 1942 में ब्रिटेन में की गई थी
- इस समूह ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ग्रीस में भूख से मर रही महिलाओं और बच्चों को भोजन की आपूर्ति हेतु एक अभियान चलाया।
- इसका उद्देश्य वैश्विक गरीबी और अन्याय को कम करने के लिये दक्षता में वृद्धि करना और उसे अधिक-से-अधिक प्रभावी बनाना है।
- ‘ऑक्सफैम इंटरनेशनल’ का सचिवालय नैरोबी, केन्या में स्थित है।
- ‘ऑक्सफैम’ नाम ‘ऑक्सफोर्ड कमेटी फॉर फेमिन रिलीफ’ से लिया गया है, इसकी स्थापना 1942 में ब्रिटेन में की गई थी
अन्य रिपोर्ट:
- जनवरी 2021 में ऑक्सफैम द्वारा जारी वैश्विक असमानता रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि भारत की सबसे अमीर 1% आबादी के पास निचले स्तर के 70% लोगों की संपत्ति से चार गुना से अधिक संपत्ति है।
- जनवरी 2021 में वायरस असमानता रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि कोविड महामारी ने भारत एवं दुनिया भर में मौजूदा असमानताओं को और अधिक बढ़ाया है।