वर्णांधता (कलर ब्लाइंडनेस) | 14 Apr 2022

प्रिलिम्स के लिये:

सर्वोच्च न्यायालय का फैसला, भारतीय फिल्म और टेलीविज़न संस्थान, वर्णांधता

मेन्स के लिये:

वर्णांधता, स्वास्थ्य

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय फिल्म और टेलीविज़न संस्थान (FTII) को वर्णांधता (कलर ब्लाइंडनेस) से पीड़ित उम्मीदवारों को फिल्म निर्माण और संपादन पर अपने पाठ्यक्रमों से बाहर करने की बजाय इसके पाठ्यक्रम में बदलाव करने का निर्देश दिया है।

Color-Blindness

वर्णांधता/कलर ब्लाइंडनेस:

  • परिचय: वर्णांधता का तात्पर्य सामान्य तरीके से रंगों को देखने में असमर्थता से है। वर्णांधता में व्यक्ति आमतौर पर हरा और लाल तथा कभी-कभी नीले रंगों के बीच अंतर नहीं कर पाते हैं।
    • इसे रंग की कमी के रूप में भी जाना जाता है।
  • शरीर रचना (एनाटॉमी): रेटिना में दो प्रकार की कोशिकाएँ प्रकाश का पता लगाती हैं:
    • छड़ (Rods): ये प्रकाश और अँधेरे के बीच अंतर करने में मदद करते हैं।
    • शंकु (Cones): ये रंग का पता लगाने में मदद करते हैं।
    • अनुमानतः तीन प्राथमिक रंगों (Primary Colours) लाल, हरानीले से संबंधित तीन प्रकार के शंकु (Cones) पाए जाते हैं तथा हमारा दिमाग इन कोशिकाओं की जानकारी का उपयोग रंगों को देखने के लिये करता है।
    • वर्णांधता इन शंकु कोशिकाओं में से एक या अधिक की अनुपस्थिति या उनके ठीक से कार्य करने में विफलता का परिणाम हो सकती है।
  • विभिन्न प्रकार: वर्णांधता विभिन्न प्रकार और डिग्री की हो सकती है।
    • ऐसी स्थिति में जहाँ तीनों शंकु कोशिकाएँ मौज़ूद हों, लेकिन उनमें से एक खराब हो रही हो, तो  हल्का वर्णांधता हो सकती है।
    • माइल्ड कलर ब्लाइंड/वर्णांधता से ग्रसित लोग अक्सर सभी रंगों को ठीक से तभी देख पाते हैं जब रोशनी की उचित मात्रा हो।
    • वर्णांधता की सबसे गंभीर स्थिति में दृष्टि श्वेत-श्याम ( Black-And-White) होती है अर्थात् सब कुछ धूसर रंग की छाया के रूप में दिखाई देता है। यह सामान्य स्थिति नहीं है।
  • कारण
    • जन्मजात वर्णांधता: ज़्यादातर लोगों में वर्णांधता की स्थिति (जन्मजात कलर ब्लाइंडनेस) उनके जन्म के साथ ही होती है। जन्मजात वर्णांधता की स्थिति सामान्यत: आनुवंशिक होती है।
      • इस प्रकार की वर्णांधता में आमतौर पर दोनों ऑंखें प्रभावित होती हैं और जब तक व्यक्ति जीवित रहता है तब तक यह स्थिति लगभग समान रूप से बनी रहती है।
    • चिकित्सीय स्थितियांँ: वर्णांधता की समस्या जो कि जन्म के बाद उत्पन्न होती है, बीमारी, आघात या अंतर्ग्रहण विषाक्त पदार्थों का परिणाम हो सकती है।
      • यदि वर्णांधता की स्थिति किसी बीमारी के कारण उत्पन्न होती है, तो एक आँख दूसरी से भिन्न रूप से प्रभावित हो सकती है और समय के साथ स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
      • जिन चिकित्सीय स्थितियों से वर्णांधता का खतरा बढ़ सकता है, उनमें ग्लूकोमा, मधुमेह, अल्ज़ाइमर, पार्किंसन, शराब, ल्यूकेमिया और सिकल सेल एनीमिया शामिल हैं।
  • उपचार:  वर्णांधता का अभी तक कोई इलाज नहीं है या इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
    • हालांकि विशेष कॉन्टैक्ट लेंस या कलर फिल्टर ग्लास पहनकर इसे कुछ हद तक ठीक किया जा सकता है।
    • कुछ शोधों में पाया गया है कि जीन रिप्लेसमेंट थेरेपी (Gene Replacement Therapy) इस स्थिति को परिवर्तित करने में मदद कर सकती है।
  • लिंग भेद: महिलाओं की तुलना में पुरुष वर्णांधता से अधिक पीड़ित होते हैं।
    • दुनिया भर में हर दसवें पुरुष का किसी-न-किसी रूप में वर्णांधता से ग्रसित होने का अनुमान है।
    • उत्तरी यूरोपीय मूल के पुरुषों को वर्णांधता के प्रति विशेष रूप से सुभेद्य माना जाता है।
  • नौकरियों में प्रतिबंध: वर्णांधता/कलर ब्लाइंडनेस कुछ खास तरह के काम करने की क्षमता को कम कर देता है, जैसे कि पायलट या सशस्त्र बलों में शामिल होना आदि।
    • हालाँकि यह वर्णांधता की गंभीरता एवं विभिन्न न्यायाक्षेत्रों में लागू नियमों पर निर्भर करता है।
    • दुनिया में अनुमानित 300 मिलियन लोग ‘वर्णांधता’ से प्रभावित हैं।
  • सरकार द्वारा की गई पहल: जून 2020 में भारत के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 में संशोधन किया था, ताकि हल्के से मध्यम ‘कलर ब्लाइंडनेस’ से प्रभावित नागरिकों को ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने में सक्षम बनाया जा सके।

भारतीय फिल्म एवं टेलीविज़न संस्थान:

  • भारतीय फिल्म और टेलीविज़न संस्थान (FTII) की स्थापना वर्ष 1960 में भारत सरकार द्वारा पुणे में तत्कालीन प्रभात स्टूडियो के परिसर में की गई थी।
  • प्रभात स्टूडियो फिल्म निर्माण के व्यवसाय में अग्रणी था और वर्ष 1933 में कोल्हापुर से पुणे स्थानांतरित हो गया।
  • यह केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय है। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस