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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन

  • 20 Apr 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन, सागर विजन, क्वाड ग्रुपिंग, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (सार्क)।

मेन्स के लिये:

हिंद महासागर क्षेत्र, सागर: क्षेत्र, भारत और उसके पड़ोस में सभी के लिये सुरक्षा और विकास।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत की राष्ट्रीय जाँच एजेंसी द्वारा कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (Colombo Security Conclave- CSC) का वर्चुअल आयोजन किया गया था।

  • प्रतिभागियों ने अपने-अपने देशों में आतंकवाद से संबंधित विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा की और आतंकवाद के मामलों के अभियोजन, विदेशी लड़ाकों से निपटने की रणनीति तथा इंटरनेट और सोशल मीडिया के दुरुपयोग का मुकाबला करने में अपने अनुभव साझा किये।

कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (CSC):

  • परिचय: CSC का गठन वर्ष 2011 में भारत, श्रीलंका और मालदीव के त्रिपक्षीय समुद्री सुरक्षा समूह के रूप में किया गया था।
    • इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की पाँचवीं बैठक में चौथे सदस्य के रूप में मॉरीशस शामिल किया गया।
    • बांग्लादेश और सेशेल्स ने पर्यवेक्षकों के रूप में भाग लिया तथा उन्हें समूह में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया गया।
  • परिकल्पित लक्ष्य: CSC के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की पाँचवीं बैठक ने निम्नलिखित पाँच स्तंभों में क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ाने और मज़बूत करने के लिये सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की गई:
    • सुरक्षा और समुद्री सुरक्षा
    • आतंकवाद और कट्टरवाद का मुकाबला
    • अवैध व्यापार और अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध का सामना करना
    • साइबर सुरक्षा, महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे और प्रौद्योगिकी की सुरक्षा
    • मानवीय सहायता और आपदा राहत
  • महत्त्व: CSC को क्षेत्रीय सहयोग और साझा सुरक्षा उद्देश्यों को रेखांकित करने के लिये हिंद महासागर में भारत की पहुँच के रूप में देखा जा रहा है।
    • चीन का मुकाबला: CSC रणनीतिक महत्त्व के क्षेत्र में चीन के प्रभाव को प्रतिबंधित करने तथा सदस्य देशों में चीन की उपस्थिति को कम करने की उम्मीद करता है।
    • समुद्री सुरक्षा: भारत के पास रणनीतिक चोकपॉइंट के द्वीपों के साथ-साथ लगभग 7500 किलोमीटर की एक बड़ी तटरेखा है। समुद्री सुरक्षा देश के लिये प्राथमिक है, जिसमें CSC महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • सागर विजन के साथ तालमेल: यह समूह भारत के "सागर: क्षेत्रों में सभी के लिये सुरक्षा और विकास" और भारत क्वाड  ग्रुपिंग का सदस्य होने के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
    • उभरते उप-क्षेत्रवाद: 6 हिंद महासागर क्षेत्र के देशों का एक सामान्य समुद्री और सुरक्षा मंच पर एक साथ आना उप-क्षेत्रवाद के विकास का संकेत देता है तथा यह व्यापक वैश्विक संदर्भ में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • संबद्ध चुनौती: भले ही छह देशों के रणनीतिक हित हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में संरेखित है परंतु  चीन के प्रभाव का मुकाबला करने हेतु CSC को एक संस्था के रूप में ढालने का प्रयास दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (SAARC) को पूरा करना चाहिये।

आगे की राह: 

  • क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता: सुरक्षा मुद्दों की बढ़ती प्रासंगिकता और अनिश्चितताओं को देखते हुए IOR में सहयोग की अत्यधिक आवश्यकता है।
    • CSC के सफल होने की अधिक संभावना है यदि इस क्षेत्र में बढ़ते चीनी प्रभाव से प्रभाव को सीमित करते हुए यह एक समान रणनीतिक दृष्टि बनाए रखता है।
    • अपने पड़ोसी देशों के साथ विवाद के बिंदुओं से बचने के लिये, भारत को यह स्वीकार करना शुरू कर देना चाहिये कि IOR वैश्विक स्तर पर विकसित हो रहा है। 

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा,विगत वर्षों के प्रश्न (पीवाईक्यू)

प्रश्न:  हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (IONS) के संबंध में निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2017)

  1. वर्ष 2015 में आईओएनएस का उद्घाटन  भारतीय नौसेना की अध्यक्षता में भारत में आयोजित किया गया था। 
  2. IONS एक स्वैच्छिक पहल है जो हिंद महासागर क्षेत्र के तटीय राज्यों की नौसेनाओं के बीच समुद्री सहयोग बढ़ाने का प्रयास करती है।

उपर्युक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c)1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2 

उत्तर: (b) 

  • हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी' (IONS) एक स्वैच्छिक पहल है जो क्षेत्रीय रूप से प्रासंगिक समुद्री मुद्दों पर चर्चा हेतु एक खुला और समावेशी मंच प्रदान कर हिंद महासागर क्षेत्र के तटवर्ती राज्यों की नौसेनाओं के बीच समुद्री सहयोग बढ़ाने का प्रयास करती है।

स्रोत: पी.आई.बी 

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