शीत लहर | 12 Jan 2023
प्रिलिम्स के लिये:शीत लहर, पछुआ हवाएँ, आईएमडी, कोहरा, भारत-गंगा का मैदान। मेन्स के लिये:शीत लहर के लिये ज़िम्मेदार कारक। |
चर्चा में क्यों?
दिल्ली और उत्तर पश्चिम भारत के अनेक हिस्से वर्ष 2023 की शुरुआत से ही शीत लहर की चपेट में हैं।
- इस महीने का न्यूनतम तापमान 8 जनवरी को 1.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था, जो 15 वर्षों में जनवरी माह का दूसरा सबसे न्यूनतम तापमान था।
- दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में अधिक कोहरा तथा बादलों की कमी के कारण क्षेत्र में कड़ाके की ठंड पड़ रही है।
शीत लहर के ज़िम्मेदार कारक:
- बड़े पैमाने पर कोहरा:
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, जनवरी 2023 में उत्तर भारत में सामान्य तापमान से अधिक ठंड के प्रमुख कारकों में से एक बड़े पैमाने पर कोहरा है।
- कोहरा लंबे समय तक बना रहता है जो सूर्य की रोशनी को सतह तक पहुँचने से रोकता है और विकिरण संतुलन को प्रभावित करता है। दिन के समय में गर्मी नहीं होती है तथा फिर रात का प्रभाव होता है।
- धुँधली रातें:
- धुँधली या बादल भरी रातें आमतौर पर गर्म रातों से संबंधित होती हैं, लेकिन अगर कोहरा दो या तीन दिनों तक रहता है, तो रात में भी ठंड शुरू हो जाती है।
- हल्की हवाएँ और भूमि की सतह के पास उच्च नमी सुबह के समय भारत-गंगा के मैदानी इलाकों के बड़े हिस्से में कोहरे की चादर के निर्माण में योगदान दे रही है।
- पछुआ हवाएँ:
- चूँकि इस क्षेत्र में पश्चिमी विक्षोभ का कोई महत्त्वपूर्ण प्रभाव नहीं है, इसलिये ठंडी उत्तर-पश्चिमी हवाएँ भी कम तापमान में योगदान दे रही हैं।
- दोपहर में लगभग 5 से 10 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी हवाएँ भी तापमान गिरावट में योगदान दे रही हैं।
शीत लहर:
- परिचय:
- 24 घंटों के भीतर तापमान में तेज़ी से गिरावट को शीत लहर कहते है, फलस्वरूप कृषि, उद्योग, वाणिज्य और सामाजिक गतिविधियों के लिये अत्यधिक सुरक्षा की आवश्यकता होती है।
- शीत लहर की स्थिति:
- मैदानी इलाकों के लिये शीतलहर की घोषणा तब की जाती है जब न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस या उससे कम हो और लगातार दो दिनों तक सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस कम हो।
- 'अत्यंत' ठंडा दिन तब माना जाता है जब अधिकतम तापमान सामान्य से कम-से-कम 6.5 डिग्री कम होता है।
- तटीय स्थानों पर न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस शायद ही कभी होता है। ठंडी हवा की गति के आधार पर न्यूनतम तापमान कुछ डिग्री कम हो जाता है जो स्थानीय लोगों के लिये परेशानी का कारण बनता है।
- हवा के तापमान पर शीतलन प्रभाव के माप को विंड चिल फैक्टर कहते है।
- भारत का मुख्य शीत लहर क्षेत्र:
- 'प्रमुख शीत लहर' क्षेत्र के अंतर्गत पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और तेलंगाना आदि आते हैं।
- भारत में शीत लहर का कारण:
- क्षेत्र में बादलों के आच्छादन का अभाव: बादल कुछ उत्सर्जित अवरक्त विकिरण को वापस परावर्तित कर देते हैं, जिससे पृथ्वी गर्म हो जाती है, किंतु बादलों की अनुपस्थिति से क्षेत्र में यह प्रक्रिया नहीं हो पाती है।
- ऊपरी हिमालय में बर्फबारी से इन क्षेत्रों की ओर ठंडी हवाओं का चलना।
- इस क्षेत्र में ठंडी हवा का अधोगमन (Subsidence): ठंडी एवं शुष्क वायु का पृथ्वी की सतह के पास नीचे की ओर गति हवाओं का अधोगमन (Subsidence of Air) कहलाता है।
- ला नीना: प्रशांत महासागर इस समय ला नीना की स्थिति का सामना कर रहा है। ला नीना प्रशांत महासागर के ऊपर होने वाली एक जटिल मौसमी घटना है जिसका विश्व भर के मौसम पर व्यापक असर पड़ता है, यह स्थिति शीत लहर को प्रोत्साहित करती है।
- ला नीना वर्षों के दौरान ठंड की स्थिति अत्यंत तीव्र हो जाती है और शीत लहर की आवृत्ति एवं क्षेत्र बढ़ जाता है।
- पश्चिमी विक्षोभ: पश्चिमी विक्षोभ भारत में शीत लहर का कारण बन सकता है। पश्चिमी विक्षोभ मौसम प्रणालियाँ हैं जो भूमध्य सागर में उत्पन्न होती हैं और पूर्व की ओर प्रवाहित होती हैं, जो भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में ठंडी हवाएँ, वर्षा और बादल का निर्माण करती हैं। इन विक्षोभ से तापमान में गिरावट आ सकती है एवं शीत लहर की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। हालाँकि सभी पश्चिमी विक्षोभ शीत लहर की स्थिति उत्पन्न नहीं करते हैं।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD):
- IMD की स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी।
- यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक एजेंसी है।
- यह मौसम संबंधी निगरानी, मौसम पूर्वानुमान और भूकंप विज्ञान के लिये ज़िम्मेदार प्रमुख एजेंसी है।