कॉफी संवर्द्धन विधेयक | 29 Jul 2022
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय कॉफी बोर्ड, भारत में कॉफी उत्पादन। मेन्स के लिये:सरकारी नीतियांँ और हस्तक्षेप। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सरकार ने कॉफी बोर्ड के कामकाज को आधुनिक बनाने, निर्यात को बढ़ावा देने और घरेलू बाज़ार के विकास का समर्थन करने के लिये कॉफी संवर्द्धन विधेयक पेश किया है।
नए विधेयक के संदर्भ में:
- परिचय:
- इसका उद्देश्य भारतीय कॉफी बोर्ड के कामकाज का आधुनिकीकरण करना है।
- यह कॉफी बोर्ड के कई कार्यात्मक क्षेत्रों को संबोधित करेगा, जैसे- उत्पादन, अनुसंधान, विस्तार और गुणवत्ता सुधार, कॉफी को बढ़ावा देने तथा उत्पादकों के कौशल विकास के लिये समर्थन।
- ऐसी कई गतिविधियों को मूल रूप से कॉफी बोर्ड के अधिदेश में शामिल नहीं किया गया था जिन्हें अब इसके कार्यों और शक्तियों में शामिल करने की आवश्यकता है।
- महत्त्व:
- कॉफी उद्योग के विस्तार के साथ उत्पादन से लेकर उपभोग तक कॉफी मूल्य शृंखला के सभी क्षेत्रों में रोज़गार और व्यावसायिक उद्यमिता के अवसरों का सृजन होगा।
- इसके अलावा उपभोक्ताओं को अन्य देशों की तुलना में उच्च गुणवत्ता वाली कॉफी प्राप्त होगी।
- यह बागानों, प्रसंस्करण इकाइयों और कॉफी समुदायों में श्रमिकों के हितों की भी रक्षा करेगा।
- यह पंजीकरण सह सदस्यता प्रमाणपत्र (RCMC) की मौजूदा पाँच साल की वैधता को एक बार के निर्यातक पंजीकरण में के साथ बदलने और निदान इकाइयों के एक बार पंजीकरण सहित दस्तावेज़ीकरण एवं प्रक्रियाओं को सरल बनाकर व्यवसाय करने में आसानी को बढ़ावा देगा।
- पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करने के लिये विधेयक में एक समयबद्ध प्रक्रिया होगी।
पुराने कानून को बदलने की ज़रूरत:
- पहले का अधिनियम लगभग 80 वर्ष पुराना था और आज के समय में अप्रचलित हो गया था।
- इसके प्रावधान उस समय के लिये प्रासंगिक थे।
- इसके अलावा वर्तमान में कई अनावश्यक नियम और कानून हैं जो विशेष रूप से कॉफी के विपणन से संबंधित हैं।
- विगत 10 वर्षों में कॉफी उगाने, विपणन और उपभोग करने के तरीके में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव आया है।
भारत में कॉफी उत्पादन की वर्तमान स्थिति:
- भारत वर्ष 2020 में वैश्विक उत्पादन के लगभग 3% हिस्सेदारी के साथ शीर्ष 10 कॉफी उत्पादक देशों में शामिल है।
- भारत दो प्रकार की कॉफी का उत्पादन करता है: अरेबिका और रोबस्टा।
- हल्के सुगंधित स्वाद के कारण अरेबिका का बाज़ार मूल्य रोबस्टा कॉफी की तुलना में अधिक है।
- अनुकूल पारिस्थिक वातावरण:
- कॉफी के पौधों को गर्म और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है, जिसमें तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच, जबकि वर्षा 150 से 250 सेमी तक चाहिये होती है।
- यह ठंढ, बर्फबारी, 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के उच्च तापमान और तेज़ धूप को बर्दाश्त नहीं कर पाता है तथा आमतौर पर इसे छायादार पेड़ों के नीचे उगाया जाता है।
- कॉफी का उत्पादन मुख्यतः भारत के दक्षिणी भाग में होता है।
- कर्नाटक भारत में कुल कॉफी के लगभग 70% हिस्से का उत्पादन करता है।
- कॉफी के पौधों को गर्म और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है, जिसमें तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच, जबकि वर्षा 150 से 250 सेमी तक चाहिये होती है।
- प्रमुख उत्पादक राज्य:
- कॉफी का उत्पादन मुख्य रूप से कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और ओडिशा में होता है।
- निर्यात:
- खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के आँकड़ों के अनुसार, भारत कॉफी का आठवाँ सबसे बड़ा निर्यातक है।
भारतीय कॉफी बोर्ड:
- कॉफी बोर्ड कॉफी अधिनियम, 1942 की धारा (4) के तहत गठित एक वैधानिक संगठन है और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है। बोर्ड में अध्यक्ष सहित 33 सदस्य होते हैं।
- बोर्ड मुख्य रूप से अनुसंधान, विस्तार, विकास, बाज़ार आसूचना, बाहरी और आंतरिक संवर्द्धन तथा कल्याणकारी उपायों के क्षेत्रों में अपनी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
- इसका मुख्यालय बंगलूरू में है।
- बालेहोन्नूर (कर्नाटक) में भी कॉफी बोर्ड का एक केंद्रीय अनुसंधान संस्थान स्थित है।
विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिये और सूचियों के नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (2008) सूची-I सूची-II
कूट: A B C D (a) 2 4 3 1 उत्तर: (b)
अतः विकल्प (B) सही है। |